इंसान की पहचान, उसकी बातें

जैसे हीरे की पहचान जौहरी को होती है, वैसे ही इंसान की परख इंसान को. बस आप को सामने वाली बातों को ध्यान से सुनना है, जब वो किसी और से बात कर रहा हो. इस दौरान इंसान की मानसिकता किसी ना किसी रूप में सामने आई जाती है. आप ने देखा होगा कि कुछ लोगों को आदत होती है कि वो अपने एक सहयोगी या बोस के जाते उसकी बुराई करनी शुरू कर देते हैं तो उस पर आप विश्वास करके खुद को धोखा दे रहे हैं क्योंकि वो उस इंसान की फितरत है. जब आप न होंगे तो आपकी बुराई किसी और इंसान के सामने करेगा.

एक छोटी सी कहानी मेरी जिन्दगी से कहीं न कहीं जुड़ी हुई है, जो मैं इस बार आपसे सांझी करना चाहूंगा, कहते हैं जब तक आदमी किसी वस्तु को चखता नहीं तब तक उसको स्वाद का पता नहीं चलता. एक बार की बात है कि दो लड़कियां और दो लड़के आपस में बातें कर रहे थे, उसके बीच प्यार और दोस्ती का टोपिक था, लड़के कहते हैं कि प्यार और दोस्ती दिखावे की होती है जबकि लड़कियां इस बात पर अड़िंग थी कि प्यार और दोस्ती दोनों ही जिन्दगी में अहम स्थान रखतें हैं.

इसमें दोनों की बात सही थी क्योंकि लड़के अपनी फितरत बता रहे थे और लड़कियां अपनी. लड़कियों को प्यार और दोस्ती में विश्वास नज़र आ रहा था जबकि उन लड़कों की निगाह में दोस्ती और प्यार पैसे अथवा स्वार्थ के लिए किया जाता है. इस छोटी सी नोंक झोंक से लड़कों की असलियत सामने आ गई कि इनकी दोस्ती केवल पैसे अथवा स्वार्थ के लिए है. ये बात सच भी निकली, जो दोनों लड़के थे, उन में दोस्ती है, पर दोस्ती वाली बात नहीं, ये हकीकत मैंने अपनी आंखों से देखी है.

दोनों एक दूसरे की मदद नहीं करते बल्कि टांग खींचने में लगे रहते हैं. जबकि वो दोनों लड़कियां कल तक एक दूसरे दूर दूर थीं, परंतु उस घटना ने दोनों को समीप पहुंचा दिया. जिस इंसान की फितरत में हो दगा देना, वो वफा अपने सगे बाप से भी नहीं कर सकता,
आभार
कुलवंत हैप्पी

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