संदेश

अरविंद केजरीवाल से नाराज श्री श्री! क्यूं ?

चित्र
फेसबुक पर आजकल एक ख़बर को बड़े जोर शोर से शेयर किया जा रहा है, जिसमें अरविंद केजरीवाल की बुराई करते हुए नजर आते हैं पूजनीय श्री श्री रविशंकर जी। अब नाराजगी का कारण बता देता हूं। मैं लम्बे समय से इस संस्थान के टच में हूं, अपरोक्ष रूप से। नरेंद्र मोदी व श्री श्री में बहुत निकटता है, जो 2012 के विधान सभा चुनावों से निरंतर जारी है। पिछले महीने मोदी की किताब 'साक्षी भाव' को रिलीज भी श्री श्री ने किया। उसी शाम को अहमदाबाद में भोज भी रखा गया, जहां अपने भक्तों से कहा गया, लक्ष्मी कमल पर वास करती है, ध्यान रहे। बात यहां कहां खत्म होती है, मथुरा से चुनाव मैदान में हेमा मालिनी हैं, जो गुरू की अनुयायी हैं, उनके घर अ​द्वितीय का उद्घाटन भी श्री श्री ने अपने कर कमलों से किया। दिल्ली पूर्व चुनाव लड़ने वाले बीजेपी के उम्मीदवार महेश गिरि कौन हैं ? बता देता हूं, 16 साल की उम्र में घर छोड़कर हिमालय निकल गए। कुछ समय बाद गीर में आकर रहने लगे एवं गुरु दत्तात्रेय पीठ ​गीर के पीठ प्रमुख बने। यहां 2002 में वो श्री श्री के सन्निध्य में पहुंच गए। अध्यात्म से दिल भर गया तो राजनीति की तरफ चहल कद

राम मंदिर के बहाने, यूं ही कुछ चलते चलते

चित्र
राममंदिर, इसको अगर थोड़ा सा तोड़कर पढ़ा जाए तो शायद इसका अर्थ कुछ ऐसा होगा। राम+ मन+ अंदर। राम तो कण कण में बसता है, उसको कहां जरूरत है किस एक जगह बंधकर बैठने की। राम मंदिर की बात करने वाले अगर अपने राम को खुश देखना चाहते हैं तो उसकी प्रजा को पेट भर भोजन दें। इंटरनेट नहीं, बिजली सुविधा दें। उनके गलों को तर करें, उनके खेतों तक पानी पहुंचाने पर माथा पच्‍ची करें। इंटरनेट तो आ ही जाएगा, जब पैसे आएंगे। वैसे भी फेसबुक वाला फ्री में नेट देने के लिए कोशिश कर रहा है, वो कामयाब हो जाएगा। आपको जरूरत नहीं।  भावनगर जाते समय मैंने बहुत खूबसूरत मंदिर देखे, मुझे लगता है कि जितना पैसा गुजरात में मंदिर निर्माण पर खर्च होता है, उतना किसी अन्‍य जगह पर नहीं होता। वहां पर अभी तीन से चार मंदिरों का निर्माण जारी था, जो जल्‍द बनकर तैयार होंगे। गुजरात में स्‍वामिनारायण भगवान के मंदिर, जैनों के मंदिर, अलग अलग कुल देवियों के मंदिर। शायद ही कोई ऐसा मार्ग हो जहां आपको मंदिर न मिले। मंदिर तो स्‍वयं लोग बना देंगे, जैसा आपने कल्‍पना भी नहीं की, लेकिन पहले उनकी पेट की भूख को तो खत्‍म कर दें। पहले उनको चांद तो चांद नज

बाबरी मस्जिद विध्वंस को लेकर Cobra Post का खुलासा

चित्र
आम चुनाव के शुरू होने से ठीक पहले 'कोबरा पोस्ट' द्वारा बाबरी मस्जिद से जुड़ा एक नया स्टिंग ऑपरेशन सामने लाया गया है। कोबरा पोस्ट के स्टिंग के सामने आने के बाद से राजनीतिक हलकों में हड़कंप मच गया है। इस स्टिंग में दिखाया गया है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस योजना पहले से बनाई गई थी। इसकी जानकारी बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं थी। बीजेपी इस स्टिंग औऱ इसके जारी करने की टाइमिंग का खुलकर विरोध कर रही है। वहीं विरोधी पार्टियों का कहना है कि इस स्टिंग में कुछ नया नहीं है। ऑपरेशन जन्मभूमि:- कोबरपोस्ट उस षड्यंत्र की तह मे जाता है और उन लोगों से मिलता है जो दिसंबर 1992 मे हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस के पीछे थे और यह पाता है की यह एक पूर्वनियोजित साजिश थी । कोबरपोस्ट राम जन्मभूमि आंदोलन के उन नेताओं को बेनकाब करता है जिन्होंने षड्यंत्र रच कर 6 दिसंबर 1992 को सोलहवी शताब्दी के एक विवादित ढांचे को धूल मे मिलाने मे सफलता प्राप्त की ।एक ऐसी साजिश जिसे इतने साल बीत जाने के बाद भी सी बी आई जैसी खुफिया एजेंसी भी ना सुलझा पायी। नयी दिल्ली: अपने एक बड़े इन्वैस्टिगेशन मे कोबरपोस्ट ने 6 दिसंबर 1992 के दिन बाब

बकवासवाणी केंद्र : ''द्वारकी - देव अफीमची'' की बकवास बातचीत - मोर खाया बिल्‍ली ने, पुलिस वाले हुए सस्‍पेंड

द्वारकी : पाकिस्‍तानी प्रधान मंत्री नवाज शरीफ के मोर को बिल्‍ली खा गई और पुलिस वाले हो गए सस्‍पेंड देव अफीमची : यह गलत हुआ, ऐसा नहीं होना चाहिए था, बेचारे पुलिस वालों का क्‍या दोष, नवाज शरीफ को नौ सौ चूहे पालने चाहिए, और हज वाले रास्‍तों पर नाकाबंदी करनी चाहिए, जैसे नौ सौ चूहे खाने के बाद बि ल्‍ली हज के लिए निकले तो उसको गिफ्तार करना चाहिए। द्वारकी : इसका फायदा क्‍या होगा देव अफीमची : प्‍लैग की बीमारी जाने के बाद पाकिस्‍तानी में चूहे पकड़ने का रिवाज कम हो गया, लोग खुद को बेरोजगार महसूस कर रहे हैं, इससे उनको रोजगार मिलेगा, और नौ सौ चूहे खाने के बाद बिल्‍ली भी शेर सी हो जाएगी, बिल्‍ली मार खाकर खाने वालों के लिए कई दिनों का भोजन एक साथ तैयार हो सकता है। द्वारकी : हमारे देव अफीमची की बकवासवाणी आपने सुनी, लेकिन आप क्‍या कहते हैं, अपनी राय हमें, नीचे प्रतिक्रिया बॉक्‍स में लिखकर भेज सकते हैं, या फिर एक कागज पर लिखकर अपने पास सकते हैं। इसके साथ #बकवासवाणी केंद्र का यह प्रोग्राम समाप्‍त होता है।

अब हिन्‍दुओं की भावनाएं आहत नहीं हुई

आजकल बाजार में एक नया नारा गूंज रहा है '' हर हर मोदी, घर घर मोदी'' अगर इस नारे को पहले कांग्रेस ने उठा लिया होता, और कहा होता कि ''हर हर गांधी, घर घर गांधी'', सच में हिन्‍दुयों की भावनाएं आहत हो जाती, लेकिन अब ऐसा नहीं, क्‍यूंकि हर हर महादेव की जगह मोदी को रखा है, और जिनकी भावनाएं आहत होती हैं, वो कथित हिन्‍दु इस नारे को बड़े शौक से लगा रहे हैं, शायद बोलने से झूठ सच हो जाए, लेकिन असंभव है। अगर भाजपा के कुछ मोदीवादियों ने मोदी को महादेव की जगह फिट कर ही दिया है तो मुझे इससे एक अन्‍य बात भी याद आ रही है। शायद हर हिन्‍दु भाई को ज्ञात होगी कि हिन्‍दु धर्म में 'त्रिदेव' का सर्वाधिक महत्व है यानि ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश, दूसरे क्रम में कहूं तो निर्माता, पालक व विनाशक। इस क्रम में अगर मोदी को महादेव कहा जाता है, तो बीजेपी के तीन शीर्ष नेता हुए, पहला अटल बिहारी वाजपेयी, जिन्‍होंने बीजेपी को एक अलग पहचान दी, स्‍वयं लोगों के प्रधान मंत्री होकर विदा हुए, दूसरा जो बीजेपी को आगे लेकर चले, जिनको पालक कहा जा सकता है यानि एलके आडवाणी, अब