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कौन छीनता है हमारी आजादी ?

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हम आजाद हैं, हम आजाद थे और आजाद रहेंगे। 18 साल के बाद वोट करने का अधिकार आपके हाथ में है, जिससे आप सत्ता पलटने ताकत रखते हैं। भगवान आपकी तरफ तलवार फेंकता है, यह निर्भर आप पर करता है कि आप उसको धार से पकड़ना चाहेंगे या हत्‍थे से। वोट का अधिकार सरकार द्वारा फेंकी तलवार है, अब निर्भर आप पर करता है कि आप लहू लहान होते हैं या फिर उसका औजार की तरह इस्‍तेमाल करते हैं। देश की सत्ता पर बैठे हुए लोग हमारे द्वारा चुने गए हैं। उनको देश पर शासन करने का अधिकार हमने दिया है। वो वोट खरीदते हैं। वो हेरफेर कर चुनावों में जीतते हैं। ऐसा हम कहते हैं और सिस्‍टम को कोसते हैं। मगर एक बार नजर डालो अपने आस पास फैले समाज पर और पूछो खुद से। वोट बेचने वाले कौन हैं? सिस्‍टम में गड़बड़ी करने वाले कौन हैं? अगर आप अपनी तलवार दुश्‍मन के हाथों में देकर सोचते हो कि भगवान ने आपके साथ अन्‍याय किया है तो यह आपकी गलती है, भगवान की नहीं। जब भी 15 अगस्‍त की तारीख पास आने वाली होती है तो हर जगह लिखा मिलता है 'भ्रष्‍टाचार, रिश्वतखोरी, बेरोज़गारी, भुखमरी के ''गुलाम देश'' के नागरिकों को स्वतंत्रता दिवस

जनता भैंस, अन्‍ना के हाथ में सिंघ, तो बाबा के हाथ में पूंछ

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अन्‍ना हजारे का अनशन एवं बाबा रामदेव का प्रदर्शन खत्‍म हो गया। अन्‍ना हजारे ने देश की बिगड़ी हालत सुधारने के लिए राजनीति में उतरने के विकल्‍प को चुन लिया, मगर अभी तक बाबा रामदेव ने किसी दूसरे विकल्‍प की तरफ कोई कदम नहीं बढ़ाया, हालांकि सूत्रों के अनुसार उनका भी अगला विकल्‍प राजनीति है। अपना अनशन खत्‍म करते हुए अन्‍ना टीम ने राजनीति को अपना अगला विकल्‍प बताया था और अब अन्‍ना टीम ने घोषणा भी कर दी है कि वो गांधी जयंती पर अपनी राजनीतिक पार्टी का नाम भी घोषित कर देंगे। मुझे लगता है कि पार्टी का गठन करना बड़ी बात नहीं, बड़ी बात तो उस पार्टी का अस्‍ितत्‍व में रहना है। क्‍यूंकि देश सुधारने के नाम पर हिन्‍दुस्‍तान के हर राज्‍य में कई पार्टियां बनी और विलय के साथ खत्‍म हो गई। इसलिए पार्टियों का गठन करना एवं उनको खत्‍म करना, भारत में कोई नई बात नहीं। कुछ माह पहले पंजाब में विधान सभा चुनाव हुए, इन चुनावों के दौरान कई छोटी पार्टियां बड़ी पार्टियों में मिल गई, जैसे नालियां नदियों में। मगर कुछ नई पार्टियों का गठन भी हुआ। पंजाब के पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने राज्‍य के हालतों को सुधारन

हवा हवाई की वापसी 'इंग्‍लिश विंग्‍लिश' से

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'कहते हैं मुझको हवा हवाई' कुछ याद आया। जी हां, श्री देवी। रुपहले पर्दे पर 14 साल बाद वापसी कर रही हैं। सबसे दिलचस्‍प बात तो यह है कि पूरी फिल्‍म श्रीदेवी को ध्‍यान में रख कर लिखी गई है। श्रीदेवी इस फिल्‍म में अपने परिवार को खुश करने के लिए इंग्‍लिश सीखने की हरसंभव कोशिश करती हुई नजर आएंगी। इस दौरान कई घटनाएं घटित होंगी, जो दर्शकों को हंसाने का भी काम करेंगी। फिल्‍म की कहानी आर बाल्‍की ने लिखी है, जो चीनी कम, पा जैसी फिल्‍में निर्देशित कर चुके हैं जबकि इंग्‍लिश विंग्‍िलश नामक इस फिल्‍म का निर्देशन आर बाल्‍की की पत्‍िन गौरी शिंदे कर रही हैं। इस फिल्‍म में अमिताभ बच्‍चन छोटी सी भूमिका में नजर आएंगे। इसके अलावा फिल्म में कुछ अंतर्राष्ट्रीय कलाकार भी हैं। यह फिल्‍म सिनेमाहालों में 5 अक्‍टूबर को आने की उम्‍मीद है, मगर उससे पहले इस फिल्‍म को टोरोंटो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में भी 14 सितंबर को दिखा जाएगा।   गौरतलब है कि 1997 में आई फिल्‍म जुदाई उनकी पहली पारी की अंतिम फिल्‍म थी हालांकि 2005 में उनकी एक पुरानी फिल्‍म मेरी बीवी का जवाब नहीं को भी रिलीज किया गया था, जिसमें उ

क्‍यूं महान है टाइम पत्रिका एवं विदेशी मीडिया ?

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प्रतिष्ठित पत्रिका टाइम और सीएनएन के लिए काम करने वाले पत्रकार फरीद ज़कारिया को अपने एक कॉलम के लिए दूसरे अखबार की नकल करना महंगा पड़ गया है. टाइम और सीएनएन ने फरीद ज़कारिया को निलंबित कर दिया है. रुपर्ट मर्डॉक की कंपनी फॉक्स न्यूज़ द्वारा फोन हैकिंग में शामिल होने का मामला सामने आने के बाद अमरीकी पत्रकारिया जगत का ये दूसरा सबसे बड़ा विवाद है. भारतीय मूल के फरीद ज़कारिया विदेशी मामलों के विशेषज्ञ पत्रकार हैं और लंबे समय से टाइम और सीएनएन के लिए स्तंभ लिखते रहे हैं. ज़कारिया सीएनएनएन पर 'जीपीएस' नामक एक लोकप्रिय टेलिविज़न शो भी प्रस्तुत करते हैं. फरीद ज़कारिया भारत में इस्लामी मामलों के जाने-माने चिंतक रहे रफ़ीक ज़कारिया के बेटे हैं. कम उम्र में ही वो पढ़ाई के लिए हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय चले गए थे. मात्र 26 साल की उम्र में वो विदेशी मामलों की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘फॉरेन अफेयर्स’ के संपादक हो गए. विदेश मामलों और राजनीति से जुड़े ज़कारिया के लेख और उनकी किताबें आम लोगों और नीति निर्माताओं के बीच ही नहीं बल्कि अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा जैसे नेताओं के बीच भी काफी लोकप्रिय रही

शिवानी भटनागर से गीतिका शर्मा तक

गीतिका शर्मा ने आत्‍महत्‍या कर ली और उसको इंसाफ दिलाने के लिए कुछ लोगों ने कमर कस ली, क्‍योंकि आरोपी हरियाणा कांग्रेस सरकार में मंत्री है। गीतिका शर्मा की तस्‍वीर देखने के बाद मुझे पहले तो फिजा की याद आई, फिर मुझे उस वक्‍त की याद आई, जब मैं मीडिया जगत में कदम रख रहा था, उन दिनों भी एक ऐसा की केस चर्चाओं में था, मगर उस केस में महिला की हत्‍या की गई थी, जो मीडिया जगत से संबंध रखती थी, उसका नाम था शिवानी भटनागर। शिवानी भटनागर के केस में कई किस्‍से सामने आए, जिनमें एक था पुलिस अधिकारी आरके शर्मा से अवैध संबंधों का। आज उस बात को कई साल बीत गए, मगर गीतिका की मौत ने एक बार फिर उस याद को ताजा कर दिया, जो कुछ दिन पहले जिन्‍दगी को अलविदा कह कर इस दुनिया से दूर चली गई, पीछे सुलगते कई सवाल छोड़कर, जिनका उत्तर मिलते मिलते सरकारी कोर्टों में पता नहीं कितना वक्‍त लग जाएगा। आज गीतिका शर्मा के लिए इंसाफ की गुहार लगाई जा रही है, आरोपों के दायरे में है एक मंत्री। शायद इस लिए यह केस हाइप्रोफाइल हो गया। इन दिनों एक और घटना घटित हुई, जिसमें फिजा ने पंखे से लटक कर अपनी जान दे दी। इसके तार भी एक नेता से जु