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सितार के जादूगर पंडित रविशंकर नहीं रहे

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-:  वाईआरएन सर्विस :- फेफड़ों के संक्रमण से जूझ रहे मशहूर सितार वादक पंडित रविशंकर का अमरीका में निधन हो गया है। वो इस समय 92 वर्ष के थे। भारत रत्‍न समेत विश्‍व के कई स्‍थापित पुरस्‍कारों से सम्‍मानित पंडित रविशंकर को पिछले दिनों साँस लेने में तकलीफ के चलते सैन डिएगो के स्क्रिप्स मेमोरियल अस्पताल में भर्ती कराया गया था, और आज सुबह करीबन साढ़े चार बजे उनका निधन हो गया। पंडित रविशंकर भारत के महान संगीतकार थे और भारतीय संगीत को पश्चिम में लोकप्रिय बनाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। पश्चिमी देशों में भी वो काफी लोकप्रिय थे। 7 अप्रैल 1920 को वाराणसी में पैदा हुए पंडित रविशंकर ने नृत्य के जरिए कला जगत में प्रवेश किया था, मगर 18 साल की उम्र में उन्होंने नृत्य छोड़कर सितार सीखना शुरू कर दिया। सितार के जादू से बँधे पंडित रविशंकर उस्ताद अलाउद्दीन खान से दीक्षा लेने मैहर पहुंचे और खुद को उनकी सेवा में समर्पित कर दिया।

रेलवे को नहीं मिला 'ममता बेनर्जी' का 'करीमगंज'

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-: वाइआरएन सर्विस :-   जब ममता बेनर्जी रेल मंत्री थी, तो उन्‍होंने लोकसभा में रेलवे बजट पेश करते हुए पश्‍चिमी बंगाल स्‍थित कटवा एवं करीमगंज के बीच रेल लाइन बिछाने का एलान किया था, मगर 25 फरवरी, 2011 को हुई घोषणा अभी तक पूरी नहीं हुई, क्‍यूंकि रेलवे विभाग को कटवा के आसपास करीमगंज नामक कोई स्‍टेशन मिला ही नहीं। जानकारी के मुताबिक तत्तकालीन रेलमंत्री की घोषणा को अमली जामा पहनाने के लिए जब रेलवे विभाग ने कमर कसी, तो उनके पसीने छूट गए, मगर करीमगंज नामक स्‍टेशन रेलवे विभाग को नहीं मिला। फिलहाल रेलवे विभाग ने थक हार कर इस घोषणा को अपनी ब्‍लू बुक से हटाने का मन बना लिया है। ब्लू बुक में रेलवे की सभी लंबित, जारी और प्रस्तावित परियोजनाओं का ब्यौरा होता है। गौरतलब है कि करीमगंज नामक जगह पश्चिमी बंगाल में तो कहीं नहीं, लेकिन असम में जरूर है, जो कटवा से करीबन साढ़े सात सौ किलोमीटर दूर है। इसके अलावा इस नाम की जगह बंगला देश में भी है, जो कटवा से आठ सौ से नौ सौ किलोमीटर दूर है। अब तो ममता बेनर्जी ही बता सकती हैं कि यह क्‍लेरीकल मिस्‍टेक है या फिर कोई उनकी निगाह में ऐसा स्‍थान है, जो रेलवे विभाग

कांजी भाई की निगाह में मोदी की छवि

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-: वाईआरएन सर्विस :- 'ओह। माय गॉड' में अपने तर्क संवादों के कारण दर्शकों को प्रभावित करने वाले अभिनेता परेश रावल, अब राजनीतिक रैलियों में नरेंद्र मोदी का खुलकर समर्थन एवं प्रचार करते हुए नजर आ रहे हैं। आसोदर चौकड़ी में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए रावल एंव ओह। माय गॉड के कांजी भाई ने कहा कि जिस तरह कैलास जैसे ऊंचे पर्वत पर भगवान शंकर के अलावा कोई विराजमान नहीं हो सकता, उसी तरह गुजरात की गद्दी पर भी मोदी के अलावा कोई नहीं विराज सकता। उनका यह संवाद सुनकर कुछ लोगों ने तो जरूर कहा होगा, ओह। माय गॉड। वैसे परेश रावल की अगली फिल्‍म टेबल नम्‍बर 21 की पंच लाइन है, ईफ यू लाइ, यू डाइ, अगर झूठ बोला तो गए। उधर, अपने चुटीले संवादों के लिए बेहद प्रसिद्ध क्रिकेटर टू राजनेता नवजोत सिंह सिद्धू ने मनमोहन सिंह के सरदार होने पर सावलिया निशान लगाते हुए कुछ यूं कहा, मनमोहन सिंह के सरदार होने पर उनको शंका है, क्‍यूंकि सरदार देश की सरहदों पर देश की रक्षा करते हैं, लेकिन एक मनमोहन सिंह हैं, जो घोटालेबाजों की सरकार की चुप चाप अगुवाई कर रहे हैं।

सामूहिक राष्‍ट्रगान, भारत ने फिर बनाया रिकॉर्ड

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-: वाईआरएन सर्विस :- कानपुर के ग्रीन पार्क स्‍टेडियम में गत रविवार को उस समय अद्भुत नजारा देखने को मिला, जब पाकिस्‍तान के नाम दर्ज हो चुके राष्‍ट्रगान संबंधी रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए लाखों लोग जोश से लबालब सामूहिक राष्‍ट्रगान में शामिल होने के लिए स्‍टेडियम पहुंचे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लगभग सवा लाख लोग इस सामूहिक राष्‍ट्रगान में हिस्‍सा लेने के लिए पहुंचे। इस नजारे को कैमरे में कैद करने के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड्स की 14 सदस्‍यीय टीम मौके पर उपस्‍थित थी। इस दौरान हुई रिकॉर्डिंग को देखने के बाद अधिकारिक तौर पर गिनीज वर्ल्‍ड रिकार्ड्स में सम्‍मेलन को शामिल किया जाएगा। गौर तलब है कि पहले भी यह रिकार्ड भारत के नाम ही था, जिसमें 15,243 लोगों ने राष्ट्र गान गाया था। मगर गत  अक्तूबर महीने में लाहौर में 44,200 लोगों ने सामूहिक तौर पर राष्‍ट्र गान गाकर विश्‍व रिकॉर्ड को अपने नाम दर्ज कर लिया। कानपुर वासियों ने पाकिस्‍तान द्वारा बनाए गए रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए पिछले कई दिनों से निरंतर बहुत मेहनत की है। फेसबुक से लेकर गलियों तक बेहद प्रचार किया, उस मेहनत का रंग ग्रीन पार

कमाल के निकले प्रणब दा, आम आदमी को न्‍यौता

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-: वाईआरएन सर्विस :- आम आदमी को न्‍यौता, मतलब आम आदमी को, आम आदमी पार्टी को नहीं। राष्‍ट्रपति पद का जिम्‍मा सम्‍हालते ही 13 दिन के अंदर कसाब को फांसी। एक की फांसी को उम्र कैद में बदल दिया। वाह प्रणब दा कमाल। राष्‍ट्रपति के रूप में अपनी उपस्‍थ्‍िाति दर्ज करवाने का शायद प्रणब दा अब कोई मौका चूकने नहीं देंगे। राष्ट्रपति के प्रेस सचिव वेणु राजमोनी ने संवाददाता सम्‍मेलन को बताया कि राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी के कहने पर हमारे द्वारा ''चेंज ऑफ गार्ड'' समारोह को लेकर लगी हर तरह की बंदिश हटाने का फैसला लिया गया है। अब प्रत्‍येक शनिवार को राष्ट्रपति भवन के प्रांगण के लॉन में करीब 200 लोग पहुंचकर चेंज ऑफ गार्ड का नजारा ले सकेंगे। उन्‍होंने बताया कि राष्‍ट्रपति चाहते हैं कि इस जगह को आम आदमी के लिए भी खोला जाना चाहिए। सर्द मौसम में यह आयोजन हर शविार सुबह दस बजे शुरू होगा। ‘चेंज ऑफ गार्ड’ की परंपरा राष्ट्रपति संपदा में वर्ष 2007 से जारी है। ‘चेंज ऑफ गार्ड’ सेना की एक परंपरा है जिसके तहत पुराने संतरी अपना दायित्व नए संतरियों की टुकड़ी को सौंपते हैं।