आओ करते हैं कुछ परे की बात
विज्ञापन बहुत रो लिए किसी को याद कर नहीं करनी, अब मरे की बात खिलते हुए फूल, पेड़ पौधे बुला रहे छोड़ो सूखे की, करो हरे की बात आलम देखो, सोहणी की दीवानगी का कब तक करते रहेंगे घड़े की बात आओ खुद लिखें कुछ नई इबारत बहुत हुई देश के लिए लड़े की बात चर्चा, बहस में ही गुजरी जिन्दगी आओ करते हैं कुछ परे की बात सोहणी- जो अपने प्रेमी महीवाल को मिलने के लिए कच्चे घड़े के सहारे चेनाब नदी में कूद गई थी, और अधर में डूब गई थी। परे की बात : कुछ हटकर.. आभार