सुंदर मुंदरीए को मिले गए दुल्ला भट्टी
सुंदर मुंदरीए हो, तेरा कौन बेचारा, ओ दुल्ला भट्टी वाला। यह लोहड़ी का लोकप्रिय गीत तो लोहड़ी के त्योहार के आस पास आम सुनाई पड़ता है, लेकिन पिछले कई दशकों से यह गीत केवल एक औपचारिकता मात्र बना हुआ था, क्योंकि सुंदर मुंदरियां तो हर वर्ष पैदा होती रहीं, लेकिन उनकी कदर करने वाला दुल्ला भट्टी किसी मां की कोख से नहीं जन्मा। किसी ने सच ही कहा कि आखिर बारह वर्ष बाद तो रूढ़ी की भी सुन ली जाती है, यह तो फिर भी कन्याएं हैं, इनकी तो सुनी जानी जायज थी। दुल्ले भट्टी की मृत्यु के दशकों बाद ही सही, लेकिन इन सुंदर मुंदरियों को दुल्ले भट्टी जैसे महान लोग मिलने शुरू हो गए। लड़कों की लोहड़ी, नव विवाहित जोड़ों की लोहड़ी तो पंजाब में हर लोहड़ी के दिन मनाई जाती है, लेकिन दुल्ले भट्टी के बाद लड़कियों की लोहड़ी मनाने का रुझान मर गया, क्योंकि लड़कियों को लड़कों से कम आंका जाने लगा, जबकि गुरूओं पीरों ने इनकी कोख से जन्म लिया एवं उन गुरूओं पीरों ने भी औरत को पूजनीय तक बताया, मगर समाज ने समाज को चलाने वाली कन्या को ही भुला दिया। समय ने करवट बदली, आज से करीब चार पांच साल पहले बठिंडा की समाज सेवी संस्था सुरक्षा हेल्पर रजि. बठिंडा के चेयरमैन शाम कुमार शर्मा ने लोहड़ी को एक अलहदा ढंग से मनाने का फैसला लिया, उस फैसले ने लोहड़ी धीयां दी उत्सव को जन्म दिया, और इस संस्था की ओर से हर साल लोहड़ी धीयां दी उत्सव मनाना शुरू क्या किया गया कि शहर की आबोहवा बदलने लगी, आज आलम यह है कि लोग लड़कों की लोहड़ी कम व लड़कियों की लोहड़ी सामूहिक तौर पर द्गयादा मनाने लगे हैं। साल 2010, 9 जनवरी को स्थानीय बहमन दीवाना रोड़ स्थित गुडविल पलिक स्कूल के प्रांगण में सुरक्षा हेल्पर, बठिंडा विकास मंच व गुडविल सोसायटी की ओर से एक लोहड़ी धीयां दी पांचवां लोहड़ी उत्सव मनाया गया। इस समारोह में करीब 150 के करीब कन्याओं को उपहार देकर सम्मानित किया गया एवं उनकी सामूहिक लोहड़ी बड़ी हर्षेल्लास के साथ मनाई। यह समारोह तो केवल एक शुरूआत थी, इसके बाद महानगर में अन्य संस्थाओं ने भी लोहड़ी धीयां दी मनाने के लिए बीड़ा उठा लिया। बठिंडा महानगर में एक छोटी सी संस्था के द्वारा शुरू किए इस प्रयत्न ने बहुत जल्द अपना असर दिखाया और लोगों में लड़की के प्रति भी सम्मान पैदा किया। इतना ही नहीं, गत दिवस गांव नथाना में पहुंची सांसद बीबी हरसिमरत कौर बादल ने भी समाज से अपील की कि लड़कियों की लोहड़ी मनाने वाले लोगों को उत्साहित करें एवं वहीं लड़कियों की पहली लोहड़ी मनाने वाले दम्पतियों को सम्मानित किया जाए। श्रीमति बादल की इस अपील से कयास लगाया जा सकता है कि लोहड़ी धीयां दी किस तरह समाज का हिस्सा बनती जा रही है। लड़कियों की लोहड़ी मनाने की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए मालवा हेरिटेज फाउंडेशन की ओर से स्थानीय खेल परिसर के समीप स्थित बनावटी गांव जयपालगढ़ में 105 कन्याओं की लोहड़ी बड़ी धूमधाम से मनाई गई। वहीं दूसरी तरह नवयुग स्पोर्ट्स कल्चर एंड वेलफेयर सोसायटी बठिंडा की ओर से 13 जनवरी को जीटी रोड़ स्थित समरहिल कान्वेंट स्कूल में 31 कन्याओं की लोहड़ी मनाई जा रही है। इस तरह के प्रयत्न यहां लड़कियों को समाज में बनता सम्मान दिलाने के लिए कारगार सिद्ध होंगे, वहीं दूसरी तरफ कन्या भ्रूण हत्या व दहेज जैसी सामाजिक बुराईयों को भी खत्म करेंगे। सुरक्षा हेल्पर की ओर से जो कदम कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए उठाया गया था, वह आज सार्थक सिद्ध हो रहा है। ऐसे में सुरक्षा हेल्पर के लिए यह पंक्ित कहना कोई गलत बात न होगी कि मैं तो अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर लोग मिलते गए और कारवां बनता गया।
happy lohri...:)
जवाब देंहटाएंआपको मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंसक्रांति ...लोहड़ी और पोंगल....हमारे प्यारे-प्यारे त्योंहारों की शुभकामनायें आपको भी...
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