पता नहीं
कब दिन, महीने साल गुजरे
पता नहीं,
कैसे और किस हाल गुजरे
पता नहीं,
कितना कुछ खो दिया
कितना पा लिया
पता नहीं,
कब घर छोड़ा, अपने छोड़े
और परदेस में काम से मन लगा लिया
पता नहीं
जिसे समझे रोशने साधन
उसी दीये से कब घर जला लिया
पता नहीं
सूर्यादय और अस्त होता
देखे कितने दिन हुए
पता नहीं
कितने मिलकर बिछड़े
और कितने दोस्तों में गिन हुए
पता नहीं
कब खत्म होगा
सफर ये अलबेला
पता नहीं
कब देखूंगा वो गलियां,
वो अपनों का मेला
पता नहीं
पता नहीं,
कैसे और किस हाल गुजरे
पता नहीं,
कितना कुछ खो दिया
कितना पा लिया
पता नहीं,
कब घर छोड़ा, अपने छोड़े
और परदेस में काम से मन लगा लिया
पता नहीं
जिसे समझे रोशने साधन
उसी दीये से कब घर जला लिया
पता नहीं
सूर्यादय और अस्त होता
देखे कितने दिन हुए
पता नहीं
कितने मिलकर बिछड़े
और कितने दोस्तों में गिन हुए
पता नहीं
कब खत्म होगा
सफर ये अलबेला
पता नहीं
कब देखूंगा वो गलियां,
वो अपनों का मेला
पता नहीं
bete pata rakha karo bita vkt phir haath nahi aayega rachna achhi hai
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे....
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