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movie review : संतोषी का अंदाज फटा पोस्‍टर निखरा शाहिद

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भले ही फिल्‍म 'फटा पोस्‍टर निकला हीरो' के पोस्‍टर पर गलती से निकला 'निखला' हो गया हो, लेकिन फिल्‍म बनाते वक्‍त फिल्‍म निर्देशक राजकुमार संतोषी ने कोई चूक नहीं की, इसलिये 'फटा पोस्‍टर निकला हीरो' में सब कुछ निखरा निखरा नजर आया। निर्देशक राजकुमार संतोषी, जिनकी 'अंदाज अपना अपना' के दूसरे भाग के लिए दर्शक आंखें बिछाये बैठे हैं, ने एक बार फिर साबित कर दिया कि आज के समय में भी दो अर्थ वाली शब्‍दावली के इस्‍तेमाल के बगैरह एक अच्‍छी कॉमेडी फिल्‍म का निर्माण हो सकता है। आज भी किरण खेर जैसी मॉर्डन ओवर एक्‍टिंग वाली मां के बिना मां बेटे के रिश्‍ते पर एक फिल्‍म बन सकती है। राजकुमार संतोषी ने पुराने समय की कहानी को चुना, लेकिन स्‍थितियां आज की रखी, और पूरा फोक्‍स महिला शक्‍तिकरण की तरफ था। एक नौजवान को किस तरह दो महिलायें एक योग्‍य पुलिस अधिकारी बनने में मदद करती हैं। फिल्‍म में एक नायक विश्‍वास राव (शाहिद कपूर) की मां पद्मिनी कोल्हापुरे, तो दूसरी प्रेमिका काजल ( इलियाना डीक्रूज )। नायक की मां नायक को इमानदार पुलिस अधिकारी बनते हुये देखना चाहती है

fact 'n' fiction : सोनिया गांधी के नाम मल्‍लिका शेरावत का पत्र

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नमस्‍कार, सोनिया गांधी जी। आज सुबह जब दरवाजे के नीचे से कुछ अख़बार आये, हर सुबह की तरह। मैंने उनको दौड़कर उठाया। शायद किसी सुर्खी में मेरा नाम हो, लेकिन एक सुर्खी ने मुझे पत्र लिखने के लिए मजबूर कर दिया। उस सुर्खी में पूर्व सेना अध्‍यक्ष वीके सिंह का नाम था, और उन पर किसी गुप्‍तचर एजेंसी की स्‍थापना व गलत इस्‍तेमाल करने का आरोप था। सोनिया जी, यह वीके सिंह वहीं हैं ना, जो पिछले दिनों मेरे मूल राज्‍य हरियाणा के रेवाड़ी शहर में नरेंद्र मोदी के साथ नजर आये थे, एक पूर्व सैनिक रैली में। मुझे लगता है शायद उसी कार्य के लिए वीके सिंह सम्‍मानित किये जाने के प्रयासों का हिस्‍सा है यह सुर्खी। और एक संकेत है कि इस तरह के कार्य करने वाले अन्‍य लोगों को भी किसी न किसी रूप से सम्‍मानित किया जा सकता है, मैं सम्‍मानित नहीं होना चाहती, मुझे सम्‍मान पसंद नहीं, क्‍यूंकि मैं तो पहले ही बेरोजगारी का शिकार हूं, सम्‍मान वाले व्‍यक्‍ति तो छोटा मोटा काम नहीं कर सकते। रोजगार पाने के मकसद से तो गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्‍मदिवस पर गीत गाया था, शायद किसी को मेरी आवाज पसंद आ जाये,

fact 'n' fiction : दिग्‍गी सुर्खियों से गैरहाजिर, तो जनपथ होना पड़ा लाइन-हाजिर

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बुधवार की सुबह। सोनिया अपने आवास पर गॉर्डन में टेंशन भरी मुद्रा में घूम रही थी, मानो कोई बड़ा विज्ञापन छूटने के बाद संपादक। बस इंतजार था, बयानवीर दिग्‍विजय सिंह का। कब आयें, कब लेफ्ट राइट सेंटर किया जाये। दरवाजे खुले एक गाड़ी आई। गाड़ी में वो सवार थे, जिनका इंतजार था। पास आये, मैडम का चेहरा और आंखें लाल। साथ आये सलाहकार ने पूछा, मैडम क्‍या गुस्‍ताखी हुई ? जो इतना गुस्‍से में हैं। तुम को शर्म आनी चाहिए, अब गुस्‍ताखी पूछते हो ? अख़बार और टेलीविजन चैनलों से समझ नहीं पड़ता, आख़िर चूक कहां हो रही है ? गुस्‍से में लाल पीली मैडम ने साजो सामान समेत की चढ़ाई। मैडम आप साफ साफ बतायें बात क्‍या हुई, दिग्‍विजय सिंह का सलाहकार बोला। नरेंद्र मोदी ने रेवाड़ी पहुंचकर हम पर हल्‍ला बोला। कोई प्रतिक्रिया नहीं, हमारी ओर से। मोदी का जन्‍मदिवस ऐसे मनाया गया, जैसे देश का कोई उत्‍सव, कोई प्रतिक्रिया नहीं हमारी ओर से। वहां नरेंद्र मोदी बयान के ड्रोन दागे जा रहा है, ताकि हमारा जनपथ ध्‍वस्‍त किया जाये, और आप गुस्‍ताखी पूछते हो ? मुझे बिल्‍कुल पसंद नहीं, पाकिस्‍तान निरंतर सीमा पर हमले करे, और

fact 'n' fiction : entrance exam बाबाओं के लिए 'न बाबा न'

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Picture From myindiapictures.com आध्‍यात्‍िमक गुरूओं पर लग रहे यौन शोषण के आरोपों के कारण कहीं देश की सर्वोच्‍च अदालत वेश्‍यावृत्‍ति संबंधी पूछे गये सवाल की तरह सरकार से इस बार भी न पूछ ले कि अगर आध्‍यात्‍मिक गुरूओं द्वारा किये जा रहे यौन शोषण को रोकना संभव नहीं तो इसको वैधता दे दी जाये। इस बात से डरते हुए देश की सरकार ने इस मामले पर गंभीरता से सोचने का विचार किया है। सरकार चाहती है कि बाबाओं को भी entrance exam से गुजरना चाहिए। इस प्रस्‍ताव पर काल्‍पनिक लोक सभा में पहली बार में नेताओं की राय मांगी गई। मलंगनगर से सांसद मलंग दास ने सुझाव देते हुए कहा कि बाबाओं को कुछ महीनों तक रेड लाइट इलाकों में रखा जाये, और उनके व्‍यवहार पर पैनी निगाह रखी जाये। अगर बाबा बनने के इच्‍छुक आवेदनकर्ता यहां से पास होते हैं तो उनको जर्मनी के उन बीचों पर तीन महीने के लिए छोड़ा जाये, जहां पर महिलायें व पुरुष नग्‍न अवस्‍था में मौज मस्‍ती करते हैं। जर्मन में ऐसे बीच हैं, जहां पर महिलायें और पुरुष नग्‍न अवस्‍था में घूमते मिल जाते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह महिला पुरुष बराबरता के विचार को

trailer review : संजय की रामलीला का ट्रेलर 'फर्स्‍ट क्‍लास'

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निर्माता निर्देशक संजय लीला भंसाली की अगली रोमांटिक एक्‍शन ड्रामा फिल्‍म रामलीला का ट्रेलर रिलीज कर दिया गया है। गुजारिश के बाद बतौर निर्देशक लेकर आ रहे संजय लीला भंसाली के लिए यह फिल्‍म बेहद अहम होगी, और फिल्‍म का ट्रेलर देखने के बाद ऐसा लगता भी है कि फिल्‍म को बेहतर बनाने के लिए उन्‍होंने अपना सारा दम खम लगा दिया है। इस फिल्‍म के हर पक्ष पर संजय लीला भंसाली ने अपनी निगाह रखी है। निर्देशन के अलावा लेखन, संगीत निर्देशन और धन लागत आदि में संजय लीला भंसाली का सहयोग है। फिल्‍म में संजय लीला भंसाली ने रणबीर सिंह और दीपिका पादुकोण को एक साथ रुपहले पर्दे पर उतारने की कोशिश की, जो सफल होती नजर आ रही है, क्‍यूंकि ट्रेलर देखने के बाद दोनों सितारे संतुष्‍ट करते हैं।  कहानी भले ग्रामीण पृष्‍ठभूमि से जुड़ी है, लेकिन संवादों में मॉर्डन शब्‍दों का इस्‍तेमाल किया है। कुछ संवाद दो अर्थे हैं, जो शायद युवा पीढ़ी को ध्‍यान में रखकर बनाए गए। फिल्‍म की कहानी लड़के और लड़की व समाज के बीच घूमेगी, ट्रेलर देखने के बाद लगता है कि लड़की और लड़के के किरदारों के बीच नोक झोंक के बाद सच प्