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पुरुषों की टीम में खेलेंगी सारा टेलर

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इंग्लैंड की राष्ट्रीय महिला क्रिकेट टीम की विकेटकीपर बल्लेबाज सारा टेलर को घरेलू क्रिकेट टीम ससेक्स के अगले सत्र के लिए पुरूषों की टीम में शामिल किया जा सकता है। क्रिकेट जगत पर पैनी निगाह रखने वाली बेवसाइट ने ब्रिटेन के द गार्जियन अख़बार के हवाले से बताया कि टेलर की ससेक्स के अगले सत्र के लिए पुरूषों की टीम में शामिल होने को लेकर लगातार बातचीत जारी है। टेलर ने इस बाबत जानकारी देते हुए बताया कि ससेक्स ने महिला टीम के कोच मार्क लेन से इस बाबत बातचीत की है। जानकार कहते हैं कि एकदिवसीय महिला क्रिकेट विश्वकप के लिए टेलर अगले सप्ताह भारत दौरे पर आएंगी। टेलर ने स्कूल स्तर पर ससेक्स के लिए क्रिकेट खेला है। अब सारा पुरूषों की काउंटी टीम का हिस्सा बनेंगी, जो कि प्रथम श्रेणी क्रिकेट से केवल एक स्तर ही पीछे है। 23 वर्षीय टेलर अगर पुरुषों की टीम में खेलती हैं तो इसको एक अच्‍छी पहल भी माना जा सकता है। हो सकता है कि इस पहल के कई सकारात्‍मक नतीजे सामने आएं। 2006 में भारत के खिलाफ खेलते हुए एक दिवसीय क्रिकेट में कदम रखने वाली टेलर ने 60 एकदिवसीय मैचों में करीबन 1821 स्‍कोर बनाए हैं, जिसमें तीन शतक ए

कहीं विलेन न बन जाएं

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बरिया की नई नई नौकरी लगी थी। बरिया बेहद मेहनती युवा था। काम के प्रति इतना ईमानदार कि पूछो मत, लेकिन बरिया जहां नौकरी करता था, वहां कुछ कम चोर भी थे। बरिया साधारण युवा नहीं जानता था कि जमाना बदल चुका है। मक्‍खनबाजों का जमाना है। काम वालों की भी जरूरत है, क्‍यूंकि घोड़ों की भीड़ में गधे भी चलते हैं। बरिया सबसे अधिक काम करता। वो हर रोज अपने हमरुतबाओं से अधिक वर्क काम करता, जैसे गधा कुम्‍हार के लिए। मगर कुछ दिनों बाद बरिया निराश रहने लगा। उसको लगा, उसके साथी सारा दिन गपशप मारते हैं, वो कार्य करता है, लेकिन उसका बॉस उसको उतना ही मानता है, जितना के उसके हमरुतबाओं को। बरिया उदास परेशान कई दिनों तक तो रहा, लेकिन अब उसके भीतर बैठा इंसान सब्र खोने लगा। वो कुछ भी बर्दाशत करने को तैयार नहीं था। वो अगले दिन बॉस के टेबल पर पहुंचा। उसने अपने हमरुतबाओं के कार्यशैली की भरपूर निंदा की, जो उसका बॉस अच्‍छी तरह पहले से जानता था। बॉस भी मन ही मन में सोच रहा था, अगर वो काम करने लायक होते तो तेरी जरूरत किसे थी। बॉस ने ध्‍यान से शिकायत को सुना। इस दिन के बाद बरिया को शिकायतों की लत लग गई। छोटी छोटी बातों पर

मोदी के ड्रीम प्रोजेक्‍ट गिफ्ट सिटी का हुआ लोकार्पण

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-: वाईआरएन सर्विस :- गांधीनगर। मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरूवार को राज्‍य के सबसे ऊंचे इमारती प्रोजेक्‍ट गिफ्ट सिटी के अंदर बनकर तैयार हो चुके पहले 28 मंजिला टॉवर का लोकार्पण किया। हालांकि इस मौके पर मुख्‍यमंत्री ने वादा किया कि बहुत जल्‍द दूसरे टॉवर का निर्माण कार्य भी मुकम्‍मल कर दिया जाएगा। उन्‍होंने कहा, इस इमारत के प्रवेश द्वारा पर सरस्‍वती के साथ साथ लक्ष्‍मी जी भी विराजमान रहेंगी। मोदी ने टॉवरों का लोकार्पण करने के बाद कहा कि उनका पहला सपना साकार हुआ, आधुनिक शहरों के लिए गिफ्ट सिटी एक मॉडल बनेगी। गिफ्ट सिटी को बेहतर वित्तीय सेवाओं का केंद्र बनाने के भरोसे के साथ कहा कि युवाओं के लिए हाईटेक वित्तीय सेवाओं का मार्ग प्रशस्त हुआ है। गिफ्ट सिटी के अध्यक्ष व पूर्व सचिव सुधीर मांकड ने बताया गिफ्ट का पहला टॉवर रिकार्ड 14 माह में बनकर तैयार हो गया जबकि दूसरा टॉवर अगले दो माह में तैयार हो जाएगा। दोनों टावर पर अनुमानित एक हजार करोड़ रु की लागत आएगी। गिफ्ट वन 29 मंजिला है तथा इसमें करीब 8 लाख वर्गफीट का स्पेस है। इसका 60 फीसद व्यापारिक सेवाओं के लिए जबकि शेष आवासीय, होटल, हॉस्पीट

माँ की आँख

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मेरी माँ की सिर्फ एक ही आँख थी और इसीलिए मैं उनसे बेहद नफ़रत करता था | वो फुटपाथ पर एक छोटी सी दुकान चलाती थी | उनके साथ होने पर मुझे शर्मिन्दगी महसूस होती थी | एक बार वो मेरे स्कूल आई और मै फिर से बहुत शर्मिंदा हुआ | वो मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती है ? अगले दिन स्कूल में सबने मेरा बहुत मजाक उड़ाया | मैं चाहता था मेरी माँ इस दुनिया से गायब हो जाये | मैंने उनसे कहा, 'माँ तुम्हारी दूसरी आँख क्यों नहीं है? तुम्हारी वजह से हर कोई मेरा मजाक उड़ाता है | तुम मर क्यों नहीं जाती ?' माँ ने कुछ नहीं कहा | पर, मैंने उसी पल तय कर लिया कि बड़ा होकर सफल आदमी बनूँगा ताकि मुझे अपनी एक आँख वाली माँ और इस गरीबी से छुटकारा मिल जाये | उसके बाद मैंने म्हणत से पढाई की | माँ को छोड़कर बड़े शहर आ गया | यूनिविर्सिटी की डिग्री ली | शादी की | अपना घर ख़रीदा | बच्चे हुए | और मै सफल व्यक्ति बन गया | मुझे अपना नया जीवन इसलिए भी पसंद था क्योंकि यहाँ माँ से जुडी कोई भी याद नहीं थी | मेरी खुशियाँ दिन-ब-दिन बड़ी हो रही थी, तभी अचानक मैंने कुछ ऐसा देखा जिसकी कल्पना भी नहीं की थी | सामने मेरी म

बयान बवालों से 'बुद्धम् शरणम् गच्छामि' की गूंज तक - साप्‍ताहिक हलचल

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रविवार, 6 जनवरी 2013।   इसी के साथ नव वर्ष के प्रथम छह दिन खत्‍म होने जा रहे हैं। बीते सप्‍ताह के दौरान ज्‍यादा सुर्खियां बयानों को लेकर हुए बवालों पर बनी। अगर अंतर्राष्‍ट्रीय समाचारों की बात की जाए तो दो से अधिक सप्‍ताह बाद संडी हूक्‍स स्‍कूल के बच्‍चे जहां एक बार फिर स्‍कूल लौटे तो वहीं दूसरी तरफ तालिबानियों की गोली का निशान बनी मलाला को अस्‍पताल से छुट्टी मिल गई। अंत अमरीका में टैक्स की बढ़ोत्तरी एवं सरकारी खर्चों में कटौतियों के मसले पर 'फ़िस्कल क्लिफ़' नामक' प्रस्ताव को अमरीका के दोनों सदन ने मंजूरी दे दी है, जो प्रस्ताव राष्ट्रपति ओबामा के लिए गले की फांस बन गया था। इसके अलावा भारतीय मूल की अमेरिका में कांग्रेस के लिए निर्वाचित पहली हिन्दू तुलसी गैबर्ड ने पवित्र भगवद् गीता पर हाथ रखकर पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। तुलसी (31) को प्रतिनिधि सभा के स्पीकर जॉन बोहनर ने शपथ दिलाई। दाऊद इब्राहिम के समधि को भारत वीजा मिलने पर भारत में हुआ विरोध एवं अंत वीजे को कैंसल करना पड़ा। मियांदाद भारत में चल रही अंतर्राष्‍ट्रीय वनडे क्रिकेट सीरीज देखने के लिए आने वाले थे, जो भारत पाकिस्