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लोहड़ी उत्सव 'लोहड़ी धीयां दी' छोड़ गया अमिट छाप

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कन्या भ्रूण हत्या को रोकने का प्रयास था 'लोहड़ी धीयां दी' : शर्मा बठिंडा । सुरक्षा हैल्पर 'रजि.', बठिंडा विकास मंच, गुडविल सोसायटी बठिंडा ने शहर की अन्य समाज सेवी संस्थाओं के साथ मिलकर लोगों को कन्या भ्रूण के नुक्‍सान प्रति जागरूक करने के लिए गत रविवार को यहां गुडविल पलिक हाई स्कूल परस राम बठिंडा में लोहड़ी धीयां दी नामक लोहड़ी उत्सव का आयोजन किया। यह आयोजन रविवार सुबह 11 बजे से दोपहर दो बजे तक चला। कार्यक्रम में सुरक्षा हैल्पर के चेयरमैन व टरूथ वे टाइम्स के संपादक शाम कुमार शर्मा व बठिंडा विकास मंच के अध्यक्ष राकेश नरूला ने बताया कि कार्यक्रम में एक वर्ष से कम आयु की सौ के लगभग परिवारों की बच्चियों को तोहफे दिए गए। इस अवसर पर मुख्यातिथि नेशनल अवार्डी अनिल सर्राफ ने कहा कि हम लोग भ्रूण हत्या रोकने की बात तो करते हैं परन्तु उस पर खुद अमल करने से कतराते हैं। अगर सही तरीके से हमें भ्रूण हत्या रोकनी है तो महिलाओं को आगे आना होगा। इसके लिए त्याग की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगर आज किसी बहन के भाई नहीं तो उसकी शादी में कई रूकावटें पैदा होती हैं ऐसा यों? रूकावटें खड़ी करने वा

सावधान! गैस गीजर बन सकता है मौत का कारण

गैस गीजर ले चुका है कई लोगों की जिन्दगी : पठानियां एनडब्‍ल्यूएस ने की लोगों को सतर्क रहने की अपील बठिंडा। सर्दीयों के मौसम में ठंड से बचने के लिए लोगों द्वारा गर्म पानी के इस्तेमाल हेतु बाथरूम में लगे गैस गीजरों व कोयले वाली अंगीठियों का प्रयोग घरों में आम ही किया जाता है। इन दिनों में हमारी छोटी सी लापरवाही किसी बड़ी घरेलू घटना को अंजाम दे सकती है। घरों में बाथरूम में लगे गैस गीजर या सर्दियों दौरान प्रयोग की जाने वाली कोयले की अंगीठियाँ लोगों की लापरवाही तथा अज्ञानता के कारण मौत का सामान बन सकती है। इनकी इस्तेमाल संबंधी विशेष् तौर पर सावधान रहने की जरूरत है। पिछले सालों के दौरान कई लोग बाथरूम में नहाते समय बाथरूम में लगे गैस गीजरों की जहरीली गैस चढ़ने के कारण मौत के मुँह में चले गये या चलती फिरती जिन्दा लाश में तदील हो गए। यह खलासा सेंट जॉन के ट्रेनिंग सुपरवाईजर नरेश पठानिया ने समाजसेवी संस्था नौजवान वेलफेयर सोसाईटी के वालंटिरयों को जानकारी देते हुए किया। उन्होंने आगे बताया कि बंद बाथरूमों में नहाने के लिये गर्म पानी इस्तेमाल हेतु जब इन गैस गीजरों का प्रयोग कर रहें होतें हैं तो इन ग

कैसे कमाएं नेट यूजर्स पैसा

पिछले दिनों एक ब्‍लॉगर दोस्त ने पैसालाइव डॉट कॉम का लिंक भेजा, और लिखा हुआ था प्रत्येक माह कमाएं नौ हजार से ज्यादा रुपए, पहले पहल तो यकीन नहीं आया, लेकिन पूरी पॉलिसी पढ़ने के बाद समझा में आया कि असली बात क्‍या है। पैसा लाइव डॉट कॉम पर जैसे ही आप खाता बनाते हैं तो आपके खाते में 99 रुपए उसकी वक्‍त आ जाते हैं, उसके बाद जैसे ही आपके द्वारा भेजा इन्वीटेंशन पहले दो व्यक्ति अस्‍पेट करते हैं तो आपको मिलते हैं सौ रुपए। उसके बाद हर प्रत्येक इन्वीटेशन अस्पेट होने पर आपको मिलेंगे दो रुपए। इस खाते में आपके पास आएं की कुछ पेड ईमेल्स, जिनको क्‍लिक करने पर 25 पैसे मिलेंगे। आपका ड्राफट 500 रुपए होने के बाद तैयार हो जाएगा। खाता बनाने के लिए यहां क्‍लिक करें ।

बहुत बहुत शुक्रिया...

गत दिवस मेरा जन्मदिवस था, मुझे बेहद खुशी हुई कि मेरे जन्मदिवस पर इस बार भी मुझे ब्‍लॉग जगत से जन्मदिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं मिली। मुझे नहीं लगता था कि ऐसा होगा, क्‍योंकि पिछले लम्‍बे समय से मैंने ब्‍लॉग जगत से दूरी जो बना ली थी। मेरे जन्मदिवस की खुशी को दुगुना करने के लिए मैं ब्‍लॉग जगत का सदैव ऋणि रहूंगा, खास जन्मदिन डॉट ब्‍लॉगस्पॉट डॉट कॉम का व बीएस पाबला जी का। मैंने ब्‍लॉग से दूरी क्‍यों की.... ऐसा नहीं कि ब्‍लॉग जगत से मन ऊब गया था, ऐसा भी नहीं कि मैं लिखना नहीं चाहता, बस जिन्दगी केञ् कुञ्छ ड्डेञ्रबदल ऐसे होते हैं, जो कुञ्छ चीजों से अचानक दूरी बनाने पर बाध्य कर देते हैं, लेकिन दूरी से कोई रिश्ता खत्म नहीं होता, विछोह तो मिलन की ललक को ज्यादा बढ़ाता है। ब्‍लॉग जगत से एक बार फिर पहले जैसे जुडऩे की कोशिश में हूं, और उम्‍मीद है कि ब्‍लॉग में एक बार फिर से अपना योगदान अदा करूंगा। चलते चलते.... लेखिका अरुंधित रॉय, जिनके नाम के आगे अब विवादित शब्‍द जुड़ चुका है, से निवेदन है कि जो आप कहती हैं, उससे देश का कितना भला होने वाला है, और कितना नुकसान, इस बात को ध्यान में रखकर कहें तो

..खिड़की, बंद मत करना!

आध्यत्मिक लोग दुनिया को सराय कहते हैं, और विचारक इसको रंगमंच। दोनों ही अपने जगह बिल्कुल सही हैं, क्योंकि दोनों का अपना अपना नजरिया है। कारोबारी लोग इसको रिले ट्रेक भी कहते हैं, और कुछ बाजार भी। अगर खुले दिमाग से सोचा जाए, तो सब के सब सही नजर आएं, और वो हैं भी। एक बगीचे में तीन लोग सैर के लिए गए। जब वो बाहर आ रहे थे तो बगीचे के प्रवेश द्वार पर खड़े कर्मचारी ने एक एक से पूछा, आप ने बगीचे में क्या क्या देखा? सब ने उसको बताया, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि उन तीनों ने जो देखा, वो अलग अलग था, जबकि वो गए तो एक साथ ही थे। साहित्यकार की निगाह वहां खिले रहे पड़े पौधों पर गई, उद्यमी की निगाह इसको और बेहतर कैसे बनाए जाए पर गई और जबकि तीसरे व्यक्ति की निगाह वहां की निकम्मे प्रबंधन पर गई। जैसे हाथ की उंगली एक जैसी नहीं हो सकती, वैसे ही व्यक्तियों की सोच का एक होना मुश्किल है। एक आम बात जो हम सबके साथ घटित होती है। आप कुछ नया करने की सोच रहे हैं, उदाहरण के तौर पर कारोबार ही। जैसे आप इस बात को किसी के सामने रखोगे, वो पहले ही कह देगा मत करना, बहुत मुश्किल है। सामने वाले की पहली प्रतिक्रिया कुछ ऐसी ही