लफ्जों की धूल-5
(1) कुलवंत हैप्पी अगर हिन्दु हो तो कृष्ण राम की कसम मुस्लिम हो तो मोहम्मद कुरान की कसम घरों को लौट आओ, हर सवाल का जवाब आएगा हैप्पी हथियारों से नहीं, विचारों से इंकलाब आएगा (2) नजरें चुराते हैं यहाँ से, वहीं क्यों टकराव होता है चोट अक्सर वहीं लगती है हैप्पी यहाँ घाव होता है। (3) तू तू मैं मैं की लड़ाई कब तक दो दिलों में ये जुदाई कब तक खुशी को गले लगा हैप्पी पल्लू में रखेगा तन्हाई कब तक (4) जैसे साहिर के बाद हर अमृता, एक इमरोज ढूँढती है वैसे ही मौत हैप्पी का पता हर रोज ढूँढती है