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बदनाम हुए तो क्या हुआ

'बदनाम हुए तो क्या हुआ, नाम तो हुआ' ये पंक्ति बहुत बार सुनी होगी जिन्दगी में, लेकिन मैंने तो इसको कुछ समय से सत्य होते हुए भी देख लिया। इस बात को सत्य किसी और ने नहीं बल्कि हिंदुस्तानी मनोरंजक चैनलों ने कर दिखाया है। राखी सावंत से लेकर विश्व प्रसिद्धी हासिल शिल्पा शेट्टी तक आते आते कई ऐसे नाम मिल जाएंगे, जो इस बात की गवाही भरते हैं कि बदनाम हुए तो क्या हुआ नाम तो हुआ। कल तक अनुराधा बाली को कोई नहीं जानता था, लेकिन जैसे ही वो फिजा के नाम से बदनाम हुई तो रियालिटी शो बनाने वालों की निगाह सबसे पहले उस पर पड़ी, बेशक रियालिटी शो बनाने वाले शो का फोर्मेट तक चुराते हैं। फिजा को इस जंगल से मुझे बचाओ में ब्रेक देकर सोनी टेलीविजन वालों ने उस कड़ी को आगे बढ़ाया, जिसको क्लर्स ने मोनिका बेदी, शिल्पा शेट्टी एवं महरूम जेड गुडी को ब्रेक देकर शुरू किया था। मोनिका अबू स्लेम के कारण बदनाम हुई, तो शिल्पा शेट्टी पहले जेड गुडी के कारण और फिर रिचर्ड गेयर के कारण बदनाम हुई, क्लर्स टीवी ने बदनाम महिलाओं को ही नहीं बल्कि राहुल महाजन एवं राजा चौधरी को भी जगह दी, जिन्होंने असल जिन्दगी में अपना घर उजाड़ने के बा

जिन्दगी

एक कविता आधी अधूरी आपकी नजर तन्हा है जिन्दगी अब तो फना है जिन्दगी आपको क्या बताऊं खुद को पता नहीं कहां है जिन्दगी ताल मेल बिठा रहा हूं बस जहां है जिन्दगी इसके आगे एक नहीं चलती जैसे मौत के आगे इसकी जिन्दगी कभी जहर तो कभी व्हस्की बस इसका हर मोड़ है रिस्की फिर नहीं आती एक बार जो यहां से खिसकी

एक सिक्के के दो पहलू

चित्र
आज सुबह सुबह मनोदशा कुछ अच्छी न हीं थी, मन एक बना रहा था तो एक ढहा रहा था। तबी मेरे दोस्त जनक सिंह झाला ने एक तस्वीर दिखाई, जो उसने पिछले दिनों लिए अपने नए कैमरे से खींची। इस तस्वीर को देखने के बाद मुझे एक ख्याल आया वो ये कि ये तस्वीर नहीं, जिन्दगी का एक खरा सच है। इसी लिए मैंने को इस नाम से पुकारा-'एक सिक्के के दो पहलू'। अगर इस महिला को जिन्दगी मान लिया जाए तो दुख-सुख इसके दो पहलू हैं, जैसा कि इस तस्वीर में मुझे दिखाई पड़ता है। शायद आगे दौड़ रहा बच्चा सुख है और पीछे चल रहा दुख । अगर इस तस्वीर को मेरी नजर से देखें तो पीछे दो अक्षर लिखे हुए नजर आ रहे हैं, पीछे वाले बच्चे के पास 'T' एवं अगले वाले बच्चे के पास 'E'। 'T' बोले तो Tension एवं 'E' बोले तो Enjoyment। और तस्वीर में मिलती जुलती स्थिति । हम सबको बनाने वाला तो एक है, लेकिन हमारी स्थिति इन दोनों बच्चों सी है, कोई ज्यादा खुश तो कोई ज्यादा दुखी। दीवार फिल्म के अमिताभ बच्चन एवं शशि कपूर, जन्म तो एक मां ने दिया, लेकिन किस्मत दोनों की जुदा जुदा, जैसे मेरी और मेरे भाई की। जिन्दगी भी ऐसे ही चलती है, कभ

पंजाब में तो बोर्ड पर बोर्ड

आज सारा दिन खबरिया चैनलों पर एक ही चीज थी, दसवीं बोर्ड, सुबह से शाम तक सुनते सुनते पक गया। पंजाब में तो दसवीं तक आते आते दो बार बोर्ड की परीक्षा से गुजरना पड़ता है, और दसवीं एवं 12वीं कक्षा भी पंजाब में बोर्ड की हैं। पांचवीं कक्षा, आठवीं कक्षा, दसवीं कक्षा एवं बारहवीं कक्षा सब में बोर्ड की परीक्षा से गुजरना पड़ता है, जबकि अन्य राज्यों में तो दसवीं में ही शायद बोर्ड की परीक्षा होती है। अगर बोर्ड की परीक्षा को हटा दिया जाएगा तो ग्रामीण क्षेत्रों में मास्टरों की बल्ले बल्ले हो जाएगी। गधे और घोड़े एक रेस में आ जाएंगे, क्योंकि बोर्ड की परीक्षा के अलावा अन्य कक्षाओं की परीक्षाओं के नतीजे दबाव में बनते हैं। मुझे आज भी याद है, मेरे गाँव में अमीर परिवारों से संबंधित लोग बोर्ड की कक्षाएं छोड़कर अन्य कलासों में से बच्चों को पास करवाने के लिए स्कूल में आकर टीचरों पर दबाव डालते थे। इतना ही नहीं उनको शाम को घर जाते समय प्यार रूपी रिश्वत देने से भी बाज नहीं आते थे। खेतों से सब्जी लाकर देना, गन्ने थाम देने, दिन में चाय दूध लस्सी (छाछ) आदि भेजना। गांव में टीचरों की आओ भगत (मेहमान निवाजी) बहुत होती है, सिर्

सत्य पर रखें प्यार की नींव

आँखों देखी एक हकीकत, एक सत्य घटना, जिसको पेश तो हूबहू किया, लेकिन बदलें हैं नाम. सत्य पर रखें प्यार की नींव