बनते बनते बिगड़ी किस्मत
गज्जन सिआं वो देख बस आ रही है, बस नहीं निहाले, वो तो रूह की खुराक है. पास बैठा करतारा बोलिया. ऐसा क्या है बस में, बूढ़ी उम्र में भी आंखें गर्म करने से बाज नहीं आते, ओ नहीं करतारिया, उस बस में गांव के लिए एकलौता समाचार पत्र आता है, जिसको सारा दिन गांव के पढ़े लिखे लोग पढ़कर देश के हालात को जानते हैं, अच्छा अच्छा, ओ गज्जन सिआं माफ करी, ऐसे ही गलत मलत बोल गया था, नहीं नहीं इसमें तेरा कोई कसूर नहीं, टीवी वालों ने बुजुर्गों का अक्स ही ऐसा बना दिया है. गुफ्तगू चल ही रही थी कि बस पास आई और ले लो बुजुर्ग रूह की खुराक ड्राईवर ने बोलते हुए अख्बार बुजुर्गों की तरफ फेंका. गज्जन सिआं ने अख्बार की परतें खोलते हुए कहा, आज तो पहले पन्ने पर किसी नैनो की खबर लगी है, जल्दी पढ़ो गज्जन सिआं, कोई आँखों का मुफ्त कैंप लगा होगा आस पास में कहीं, समीप बैठा करतारा बोलिया..चुटकी लेते हुए गज्जन सिआं ने कहा नहीं ओ मेरे बाप, ये ख़बर आंखों से संबंधित नहीं बल्कि टाटा ग्रुप द्वारा बनाई जा रही नैनो कार के बारे में है, करतारा नजर झुकाते हुए बोला, चल आप ही बताएं खबर में क्या लिखा है, गज्जन सिआं बोला कि अख्बार में लिखा है कि नैन