पंजाबी भाषा और कुछ बातें

अपने ही राज्य में बेगानी सी होती जा रही है पंजाबी भाषा, केवल बोलचाल की भाषा बनकर रह गई पंजाबी, कुछ ऐसा ही महसूस होता है, जब सरकारी स्कूलों के बाहर लिखे 'पंजाबी पढ़ो, पंजाबी लिखो, पंजाबी बोलो' संदेश को देखता हूँ। आजकल पंजाब के ज्यादातर सरकारी स्कूलों के बाहर दीवार पर उक्त संदेश लिखा आम मिल जाएगा, जो अपने ही राज्य में कम होती पंजाबी की लोकप्रियता को उजागर कर रहा है, वरना किसी को प्रेरित करने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। पंजाबी भाषा केवल बोलचाल की भाषा बनती जा रही है, हो सकता है कि कुछ लोगों को मेरे तर्क पर विश्वास न हो, लेकिन सत्य तो आखिर सत्य है, जिस से मुँह फेर कर खड़े हो जाना मूर्खता होगी, या फिर निरी मूढ़ता होगी। पिछले दिनों पटिआला के बस स्टॉप पर बस का इंतजार करते हुए मेरी निगाह वहाँ लगे कुछ बोर्डों पर पड़ी, जो पंजाबी भाषा की धज्जियाँ उड़ा रहे थे, उनको पढ़ने के बाद लग रहा था कि पंजाबी को धक्के से लागू करने से बेहतर है कि न किया जाए, जो चल रहा है उसको चलने दिया जाए। अभी पिछले दिनों की ही तो बात है, जब एक समारोह में संबोधित कर रहे राज्य के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को अचा...