कफन के जेब नहीं होती...
यहां हर इंसान को पता है कि जब वो दुनिया से जाता है तो उसके हाथ खाली होते हैं, इतना ही नहीं कभी कभी तो उसके परिजन उसके हाथों में मरते समय रह गई अंगूठियों को भी उतार लेते हैं. इस असलियत से हर शख्स अवगत है, परंतु फिर भी उसके भीतर से लोगों के साथ छल कपट करके कमाई करने की आदत नहीं जाती. दुनिया में सिकंदर, रावण धनवान पल में राख हो गए और उनके साथ उनकी कमाई का एक हिस्सा भी नहीं गया, सिकंदर विशालतम साम्राज्य का मालिक था परंतु अंत में तो उसको दो गज ज़मीन ही नसीब हुई. मगर इंसान के भीतर दौलत कमाने की लालसा कभी कम नहीं होती, बेशक उसको पता है कि जिस सफेद कपड़े से उसका अंतिम यात्रा के वक्त शरीर ढका जाएगा, उसके परिजन जेब तक नहीं लगवाते. उदाहरण के तौर पर आज आपको एक नौजवान को नौकरी देने की एवज में एक करोड़ रुपए की रिश्वत मिल गई है और उसके कुछ दिन बाद ही आपकी मौत हो जाती है. क्या आपके परिजन आपके साथ वो पैसे जला देंगे ?, क्या वो आपका संस्कार चंदन की लकड़ी से करेंगे ? शायद उत्तर नहीं में होगा. अब भी आपके परिजन आपका अंतिम संस्कार आम लोगों की तरह ही करेंगे, शायद आपकी मौत पर वो नौजवान आंसू न बहाए, जिस से आप