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'प्रभु की रेल' से अच्छी है 'रविश की रेल'

जब सुरेश प्रभु रेल बजट पेश कर रहे थे, उसी समय एनडीटीवी के चर्चित पत्रकार एवं समाचार प्रस्तोता रवीश कुमार एक नई रेल चलाने में मशगूल थे। उम्मीद है कि रवीश की रेल, प्रभु की रेल से अधिक मजेदार लगेगी, क्योंकि में स्वाद, बेस्वाद, खट्टे मीठे स्वाद को शामिल किया गया है।    नई दिल्ली : रेल बजट का दिन आमतौर पर रोने-धोने में ही गुज़र जाता है। रेल अपने आप में किसी कथाकार से कम नहीं है। रोज़ अनगिनत कहानियां रचती चली जाती है। लेट होने से लेकर टिकट न मिलने के बीच कुछ अच्छी यादें भी हैं, जिन्हें यात्री अपने साथ किसी धरोहर की तरह संभालकर रखते हैं। इसी खयाल से आज मैंने अपने ट्विटर खाते पर पूछ लिया कि बताइए, किस स्टेशन का खाना आपको पसंद आता है और आप सफर के दौरान उस स्टेशन के आने का इंतज़ार करते हैं। इन व्यंजनों और स्टेशनों के नाम पढ़ते-पढ़ते मिनट भर में टाइमलाइन पर रेल का एक ऐसा नक्शा बना, जिससे पढ़ने वालों के मुंह में पानी भर आय़ा। मैं भी उनके जवाब को री-ट्वीट करने लगा। देखते-देखते मेरी टाइमलाइन पर सुरेश प्रभु से अलग ही रेल दौड़ने लगी। मैंने सोचा कि क्यों न व्यंजनों के हिसाब से इन्हें स

कोई मेरे भी कपड़े नीलाम करा दे!

श्रीराम चाचा के बहुत दिन बाद दर्शन हुए. वे मस्त मुद्रा में थे. मिलते ही बोले, ‘‘भतीजे कोई मेरी चड्ढी-बनियान नीलाम पर चढ़ा दे, तो मेरा काम बन जाये, बहुत कड़की चल रही है. नीलामी से नाम भी होगा और दाम भी मिल जायेंगे.’’ मुङो तुरंत समझ में आ गया कि चाचा नवलखा मोदी सूट से प्रभावित हो गये हैं. मैं कुढ़ कर बोला, ‘‘चाचा तुम तो ऐसे कह रहे हो जैसे मैंने कोई नीलामघर खोल रखा हो! और अगर खोल भी रखा हो तो तुम्हारे चड्ढी-बनियान को पूछेगा कौन? तुम सलमान खान हो या फिर तुम्हारे चड्ढी-बनियान में मोदी सूट की तरह सोने के तार बुने हैं?’’ चाचा तपाक से बोले, ‘‘भतीजे, सोने के तार नहीं हैं, पर यह तार-तार तो है.’’ फिर उन्होंने चुटकी से पकड़ कर बनियान को लहराया और कहा, ‘‘देख लो इसमें ‘मेड इन इंडिया’ से लेकर ‘मेक इन इंडिया’ तक!’’ उनकी बनियान में इतने छेद थे जितने कि मच्छरदानी में होते हैं. मैंने समझाने की कोशिश की, ‘‘क्यों अपनी इज्जत नीलाम करने पर तुले हो?’’ मगर चाचा टस से मस न हुए, बोले- ‘‘यहां तो लोग खुद नीलाम हो रहे हैं. देखो अभी आइपीएल में युवराज की 16 करोड़ रुपये की बोली लगी. जब इनसान की नीलामी में कोई शर्म नह

चैनल को नहीं उड़ाने दिया मोदी का मजाक

काठमांडू । नेपाल ने व्यंग्य पर आधारित एक मशहूर टेलीविजन कार्यक्रम के एक हिस्से के प्रसारण पर रोक लगा दी है जिसमें भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी का कथित रूप से मजाक बनाया गया था। जानकारी के मुताबिक नेपाल टेलीविजन (एनटीवी) ने 'टिटो सत्य' नामक कार्यक्रम के एक भाग का प्रसारण करने पर रोक लगा दी है। अब इसे एडिट कर अगले हफ्ते दिखाया जाएगा। चैनल के कार्यक्रम निदेशक प्रकाश जंग कार्की ने बताया कि एनटीवी के संपादकीय बोर्ड ने कार्यक्रम के 576वें भाग का प्रसारण नहीं करने का फैसला किया है। उनका कहना है कि इसके कुछ हिस्सों को संपादित किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा, 'यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। बात यह है कि संपादकीय टीम एक छोटे हिस्से को संपादित करना चाहती थी और समय के अभाव के कारण गुरुवार को कार्यक्रम के इस भाग को प्रसारण से वापस ले लिया गया।' कार्की ने कहा कि कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यंग्य है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि ऐसा कुछ है जिससे भारतीय प्रधानमंत्री की छवि को धक्का लगे। उन्होंने बताया कि इस एपिसोड में को एडिट करने के बाद अगले गुरूवार को इसका प्रसारण होगा। उधर, इस

'6 महीने पार, यू टर्न सरकार' पुस्तक रिलीज

कांग्रेस ने मोदी सरकार के 6 महीने के कार्यकाल के दौरान विभिन्न मुद्दों पर यू-टर्न लेने का आरोप लगाते हुए एक बुकलेट जारी की है। इस बुकलेट में बताया गया है कि सत्ता में आने से पहले बीजेपी ने क्या-क्या वादे किए थे और सत्ता में आने के बाद कैसे वह उनसे पलट गई। '6 महीने पार, यू टर्न सरकार' टाइटल वाली इस बुकलेट में विभिन्न मुद्दों पर बीजेपी सरकार की 22 'पलटियों' का जिक्र किया गया है। इस बुक को जारी करने के बाद कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा कि पिछले 6 महीने में बीजेपी सरकार 25 यू-टर्न ले चुकी है। उन्होंने कहा कि किताब में सिर्फ 22 यू-टर्न का जिक्र है, किताब छपने के लिए भेजने के बाद सरकार ने 3 और मुद्दों पर यू-टर्न ले लिया। माकन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को बांग्लादेश के साथ जमीन की अदला-बदली करने की बात कही, जबकि पिछले साल अरुण जेटली ने हमें चिट्ठी लिखी थी और इस कदम को राष्ट्र विरोधी करार दिया था। उन्होंने पूछा कि सोच में इतना बदलाव कैसे आ गया। इस बुकलेट में सरकार की अहम नीतियों पर निशाना साधा गया है। रेल किराया, ब्लैक मनी, इंश्योंरेंस सेक्टर में एफडीआई 26 फ

Black Money - काला धन, मोदी सरकार और इंद्र की अप्सराएं

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Publish In Swarn AaBha भारत की जनता को लुभावना किसी बच्चे से अधिक मुश्किल नहीं और यह बात भारतीय नेताओं एवं विज्ञापन कंपनियों से बेहतर कौन जान सकता है। इस बात में संदेह नहीं होना चाहिए कि वर्ष २०१४ में हुए देश के सबसे चर्चित लोक सभा चुनाव लुभावने वायदों एवं मैगा बजट प्रचार के बल पर लड़े गए। इस प्रचार के दौरान खूबसूरत प्रलोभनों का जाल बुना गया, जो समय के साथ साथ खुलता नजर आ रहा है। देश में सत्ता विरोधी माहौल था। प्रचार के दम पर देश में सरकार विरोधी लहर को बल दिया गया। प्रचार का शोरगुल इतना ऊंचा था कि धीमे आवाज में बोला जाने वाला सत्य केवल खुसर फुसर बनकर रहने लगा। जनता मुंगेरी लाल की तरह सपने देखने लगी एवं विश्वास की नींद गहरी होती चली गई कि अब तर्क की कोई जगह न बची। जो ऊंचे स्वर बार बार दोहराया गया, वो ही सत्य मालूम आने लगा। इस देश की जनता को पैसे की भाषा समझ आती है और विपक्षी पार्टी ने इसी बात को बड़े ऊंचे सुर में दोहराया, जो जनता को पसंद भी आ गया। नौ जनवरी को यूट्यूब पर मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक भाषण को अपलोड किया गया था, जिसमें उन्होंने तत्कालीन सरकार पर धावा बोल