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आतंकियों का मुख्य निशाना

जयपुर, बैंग्लूर, अहमदाबाद, सूरत ( इस शहर में भी धमाके करने की साजिश थी), दिल्ली और अब मुम्बई को आतंकवादियों द्वारा निशाना बनना, इस बात की तरफ इशारा करता है कि आतंकवादी अब देश के लोगों को नहीं बल्कि देश की आर्थिक व्यवस्था में योगदान देने वाले विदेशियों के रौंगटे खड़े कर देश की आर्थिक व्यवस्था को तहस नहस करना चाहते हैं, जिसको वैश्विक आर्थिक मंदी भी प्रभावित नहीं कर पाई. आतंकवादी मुम्बई में एक ऐसी घटनाओं को अंजाम देने के लिए घुसे थे, जिसकी कल्पना कर पाना भी मुश्किल है, मगर आतंकवादियों ने जितना किया वो भी कम नहीं देश की आर्थिक व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए, उन्होंने ने लगातार 50 से ज्यादा घंटों तक मुम्बई नगरी को दहश्त के छाए में कैद रखकर पूरे विश्व में भारत की सुरक्षा व्यवस्था की धज्जियां उड़ा दी. हर देश में भारत की नकारा हो चुकी सुरक्षा व्यस्था की बात चल रही है और आतंकवादी भी ये चाहते हैं. आज की तारीख में भारत विश्व के उन देशों में सबसे शिखर पर है, जिस पर वैश्विक आर्थिक मंदी का बहुत कम असर पड़ा है और अमेरिका से भारत की दोस्ती इस्लाम के रखवाले कहलाने वालों को चुभती है, जिनका धर्म से दूर दूर तक क

अब बाट जोहने का वक्त नहीं...

दिक्कत यही है कि आप राजनीति का दामन भले ही छोड़ दें, राजनीति आपका दामन नहीं छोड़ती. या तो आप राजनीति को चलाएंगे या फिर राजनीति आपको अपनी मर्जी से घुमाएगी. राजनीति की दलदल में उतरे बिना इस परनाले की धुलाई सफाई का कोई जरिया नहीं है. इस सफाई के लिए कृष्ण या किसी गांधी की बाट जोहने से काम नहीं चलेगा. यह काम हम सबको ही करना पड़ेगा. उक्त लाईनें एक प्रसिद्ध लेखक चुनाव विश्लेषक और सामयिक वार्ता के संपादक योगेंद्र यादव के द्वारा लिखे एवं दैनिक भास्कर में प्रकाशित हुए वोट देना लोकतंत्रिक धर्म है आलेख की हैं. इन चांद लाइनों में लेखक ने राजनीति को गंदी कहकर मतदान नहीं करने वाले लोगों को एक मार्ग दिखाने की कोशिश की है. ये एक ऐसा सच है, जिससे ज्यादातर लोग मुंह फेर कर खड़े हैं, जिसके कारण देश में बदलाव नहीं आ रहा, देश की राजनीति देश को दिन प्रतिदिन खोखला किए जा रही है. देश को खोखला बना रही इस गंदी राजनीति को खत्म करने के लिए युवाओं को सोचना होगा, न कि राजनीति को गंदा कहकर इसको नजरंदाज करना. अगर देश में बदलाव चाहिए, अगर देश को तरक्की के मार्ग पर लेकर जाना है तो युवाओं को अपनी सोई हुई जमीर और सोच को जगाना

जागो..जागो..हिंदुस्तानियों जागो....

अफजल को माफी, साध्वी को फांसी ।आरएसएस पर प्रतिबंध, सिमी से अनुबंध ।अमरनाथ यात्रा पर लगान, हज के लिए अनुदान।ये है मेरा भारत महान। जागो...जागो...शायद ये मोबाइल एसएमएस आपके मोबाइल के इंबॉक्स में पड़ा हो, ये मोबाइल एसएमएस भारत के भीतर पनप रहे मतभेद को प्रदर्शित कर रहा है. इस तरह की बनती विचार धारा देश को एक बार फिर बंटवारे की तरफ खींचकर ले जा रही है, इस एसएमएस में एक बात अच्छी वो है, 'जागो जागो', आज भारत की धरती पर रहने वाले हर व्यक्ति को जागने की जरूरत है, भले वो हिंदु है, भले वो मुस्लिम है, भले वो सिख है, भले वो ईसाई है, क्योंकि भारतीय राजनीति इस कदर गंदी हो चुकी है, वो किसी भी हद तक जा सकती है. देश की दो बड़ी पार्टियां देश को दो हिस्सों में बांटने पर तुल चुकी हैं, ऐसा ही कुछ आज से काफी दशक पहले अंग्रेजों कारण महात्मा गांधी और जिन्ना के बीच हुए मतभेदों के कारण हुआ था. हिंदुस्तान दूसरी बार न टूटे तो हर हिंदुस्तानी को जागना होगा औत इसमें हर हिंदुस्तानी की भलाई होगी. राजनीतिक पार्टियों के झांसे में आकर हर हिंदुस्तानी को ये बात नहीं भूलनी चाहिए कि आतंकवाद का किसी भी मजहब से कोई लेन देन

भगत सिंह और भोला हलवाई....

भोला हलवाई की एक हिंसक भीड़ में कुचले जाने से मौत हो गई और वो भी यमराज की कोर्ट में पहुंच गया. भोला हलवाई को गलती से यमराज के दूत ले गए थे जबकि लेकर तो भोला सिंह को जाना था. यमराज ने कहा इसको फौरन जमीन पर भेज दो..तो इतना सुन भोला हलवाई बोला. जब यहां तक आ ही गया हूं तो क्यों न इस लोक की यात्रा ही कर ली जाए. यमराज उसकी बात सुनकर दंग रह गया कि पहला मानस है जो इस लोक की सैर करना चाहता है. दूतों को यमराज ने आदेश दिया कि इसको घूमने के लिए इसकी मर्जी के वाहन मुहैया करवाए जाए..भोला तुरंत बोला नहीं..नहीं यमराज...मैं तो पैदल ही अच्छा हूं...उसको कुछ दिन वहां पर घूमने फिरने के लिए मिल गए, बस फिर क्या था. जमीन पर बेरोजगार घूमने वाले भोला हवलाई को यमराज लोक में सब सुविधाएं मिल गई. भोला सिंह ने देखा कि लोगों पर तरह तरह के जुल्म किए जा रहे थे...लोगों की चीखें, भोला हलवाई के कानों को फाड़ रही थीं. जिनको सुनकर भोला हलवाई डर गया, उसने स्वर्ग की तरफ जाने का मन बनाया, उसको लगा कि स्वर्ग में सब खुश होंगे. इतने में चलते चलते भोले के कानों में किसी के रोने के आवाज पड़ी. भोला हलवाई रूका और उसने आवाज की दिशा को मह

ऐश्वर्या के आगे चुनौती

जब पिछले दिनों अमिताभ बच्चन अस्पताल में दाखिल हुए तो ना जाने कितने लोगों ने उनके स्वास्थ्य होने की दुआ की होगी, इन दुआ करने वालों में कुछ ऐसे लोग भी थे, जो खुद शायद पूरी तरह स्वस्थ नहीं थे, लेकिन फिर भी उन्होंने बॉलीवुड के इस महानायक की सलामती के लिए दुआ की. वहीं अमिताभ बच्चन को स्वास्थ्य करने के लिए घरवालों ने पैसे भी पानी की भांति बहाए होंगे, इस में कोई दो राय नहीं. अमिताभ का तंदरुस्त होकर घर आना एक खुशी का लम्हा है, घरवालों और प्रशंसकों के लिए. लेकिन इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि अब अमिताभ साठ के पार पहुंच चुके हैं, इस पड़ाव के बाद आदमी सोचता है कि उसके बच्चे खुश रहें और उसके घर में उसके पोते पोतियां खेलें. इसमें कोई शक नहीं होगा कि अब अमिताभ का भी ये सपना होगा, अमिताभ का ही क्यों, जया बच्चन का भी तो वो घर है, क्या होगा वो टेलीविजन पर ऐश, अभि और अमित जी की तरह हर रोज दिखाई नहीं देती, किंतु हैं तो बिग बी की पत्नी, वे भी इस सपने से अछूती न होंगी. आज अमिताभ के पास दौलत है, शोहरत है, लेकिन जब उसके मन में उक्त ख्याल उमड़ता होगा, कहीं न कहीं वो खुद को बेबस लाचार पाते होंगे, क्योंकि इसको पूर