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'शब्द'

अंगीठी में कोयलों से जलते शब्द। आंखों में खाबों से मचलते शब्द।। दिल में अरमानों से पलते शब्द। समय के साँचों में ढलते शब्द।। पकड़, कोरे कागद पे उतार लेता हूं मैं फिर हौले हौले इन्हें संवार लेता हूं मैं प्यारी मां के लाड़ प्यार से शब्द। पिता की डाँट फटकार से शब्द ।। बचपन के लंगोटिए यार से शब्द। बहन भाई और रिश्तेदार से शब्द॥ पकड़, कोरे कागद पे उतार लेता हूं मैं फिर हौले हौले इन्हें संवार लेता हूं मैं मेरे जैसे यार कुछ बदनाम से शब्द।। पौष की धूप, जेठ की शाम से शब्द। करें पवित्र जुबां को तेरे नाम से शब्द। अल्लाह, वाहेगुरू और राम से शब्द॥ पकड़, कोरे कागद पे उतार लेता हूं मैं फिर हौले हौले इन्हें संवार लेता हूं मैं

लिखता हूं

न गजल लिखता हूं, न गीत लिखता हूं। बस शब्दों से आज औ' अतीत लिखता हूं॥ होती है पल पल, वो ही हलचल लिखता हूं। गमगीन कभी, कभी खुशनुमा पल लिखता हूं।। मैं तो शब्दों में बस हाल-ए-दिल लिखता हूं। आए जिन्दगी में पल जो मुश्किल लिखता हूं॥ बिखरे शब्दों को जोड़, न जाने मैं क्या लिखता हूं। लगता है कि खुद के लिए दर्द-ए-दवा लिखता हूं ॥ कभी सोचता हूं, क्यों मैं किस लिए लिखता हूं। मिला नहीं जवाब, लगे शायद इसलिए लिखता हूं॥ शब्दों का कारवां