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बिहार को किस की नजर लग गई

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आधुनिकता के इस युग में नजर कोई मायने नहीं रखती। नजर से तात्पर्य, दृष्टि नहीं, अंधविश्‍वास है। कहते सुना होगा कि नजर लग गई। नजर लगना, बुरी बला का साया पड़ना। अच्‍छा होते होते एकदम बुरा होने लगना। जब सब रास्‍ते बंद हो जाते हैं तो भारतीय लोग अपने पुराने रीति रिवाजों के ढर्रे पर आ जाते हैं, और सोचने लगते हैं कि इसके पीछे कुछ न कुछ है, जो अंधविश्‍वास से जुड़ा हुआ है। सड़कों पर चलने वाले ट्रकों के पीछे बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला, यह पंक्‍ति आम मिल जाएगी, हालांकि बुरी नजर वाले का मुंह कभी काला नहीं होता, जो लोग पैदाइशी काले होते हैं, उनके दिल और उनकी नजर भी अन्‍य लोगों की तरह पाक साफ होती है। काला रंग, तो ग्रंथों की शान है। काले रंग की  फकीर कंबली ओढ़ते हैं। कोर्ट में वकील काले रंग का कोर्ट पहनता है। आंखों में डालने वाला काजल काला होता है। कुछ लोग तो बुरी नजर से बचाने के लिए घर की छत या मुख्‍यद्वार पर काला घड़ा रखते हैं। शायद बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार अपने सुशासन को बचाए रखने के लिए बिहार के मुख्‍यद्वार पर काले घड़े को रखने भूल गए। मुझे लगता है कि बिहार को किसी की नजर लग ग