राजनीतिक पार्टियां यूं क्यूं नहीं करती

हर राजनीति देश के विकास का नारा ठोक रही है। सब कहते हैं, हमारे बिना देश का विकास नहीं हो सकता, सच में मैं भी यही मानता हूं, आपके बिना देश का विकास नहीं हो सकता, लेकिन एकल चलने से भी तो देश का विकास नहीं हो सकता, जो देश के विकास के लिए एक पथ पर नहीं, चल सकते, वो देश को विकास की बातें तो न कहें। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी देश को एकता का नारा देते हैं, लेकिन खड़े एकल हैं, जहां जाते हैं, वहां की सरकार की खाटिया खड़ी करते हैं। कभी कभी तो ऐसा भी होता है कि दो इंच कील की जगह चार इंच हथोड़े की चोट से ठोक देते हैं। कांग्रेस समेत देश की अन्य पार्टियां भी कुछ यूं ही करती हैं, वो देश के विकास का मोडल रखने को तैयार नहीं। टीवी चैनलों ने तो केजरीवाल सरकार को गिराने के लिए निविदा भर रखी है, जो गिराने में सशक्त होगा, उसको निवि​दा दी जाएगी। लेकिन क्यूं नहीं देश की राजनीतिक पार्टियां एक सार्वजनिक मंच पर आ जाएं। अपने अपने विकास मोडल रखें, जैसे स्कूल के दिनों में किसी प्रतियोगिता में बच्चे रखते थे, जिसका अच्छा होगा, जनता फैसला कर लेगी। इससे दो फायदे होंगे, एक तो टेलीविजन पर रोज शाम को बकबक बंद हो जाएगी। दूसरा भारतीय क्रिकेट को फिर से टेलीविजन में स्पेस मिल जाएगी। एंटरटेनमेंट में बहुत सी महिलायों को होंठ ख़राब हो चुके हैं, उ​सकी ख़बरें! अमिताभ बच्चन की पोती पढ़ने लग गई, हालांकि अभी तक बॉलीवुड में किसी के बच्चे पढ़ने नहीं ​गए, मुझे ऐसा लगता है, क्यूंकि कभी ख़बर नहीं आई! वो भी आने लग जाएंगी। पांच पांच सौ करोड़ जो विज्ञापन पर खर्च करना है, वो बच जाएगा, पता है वो भी जनता से वसूल किया जाएगा! थूक से पकौड़े बनाए जा रहे हैं, मूत से मछलियां पकड़ाई जा रही हैं! मुझे नहीं दिखा, कहीं गुजरात के मुख्यमंत्री ने गुजरात मोडल रखा हो, केवल बस इतना कहते हैं, मैंने इतनी भीड़ कभी नहीं देखी, सच में घर बैठ आडवाणी को बुरा लग जाता है! राहुल गांधी कुली कुली चिला रहे हैं, मोदी चाय चाय! इन दोंनो के प्रेमी आम आदमी पार्टी हाय हाय चिला रहे हैं! अनुयायी बड़ी गंदी चीज है, आंख पर पट्टी बांध लेती हैं, अपने नेता का भाषण सुनने के बाद कान में रूई डाल लेती है! दूसरी पार्टियां करें तो रासलीला, हमारे वाले करें तो रामलीला! घोर अत्याचार है!

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