किस तरह हंसते हो

शाबाद अहमद की कलम से

किस तरह हंसते हो तुम लोग बता दो यारो
मुझको भी हंसने की तरकीब सुझा दो यारो

मैं तो जब भी हंसता हूं,
तो रूखसार फड़क जाते हैं
जिनसे मेरे गेंसु गिले हुए जाते हैं
हौंसले जिनसे मेरे ढीले हुए जाते हैं
मेरी मुश्‍किल का कोई तो हल बता दो यारो
मुझको भी हंसने की तरकीब सुझा दो यारो
किस तरह हंसते हो तुम लोग बता दो यारो

आज गमगीन हूं, किस्‍मत ने बहुत मारा है
और मजलूम को आहों ने भी ललकारा है
किस तरह कटेगी जिन्‍दगी, यही गम सारा है
गम के म्‍यूजियम में मुझ को सजा दो यारो
आज शादाब को गीत गमगीन सुना दो यारो
मुझको भी हंसने की तरकीब सुझा दो यारो
किस तरह हंसते हो तुम लोग बता दो यारो

टिप्पणियाँ

  1. किस तरह हंसते हो तुम लोग बता दो यारो
    मुझको भी हंसने की तरकीब सुझा दो यारो

    बहुत बढ़िया ... बधाई

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बढ़िया ...वाह कल 20/06/2012 को आपकी इस पोस्‍ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.

    आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!


    बहुत मुश्किल सा दौर है ये

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह..................
    बहुत बढ़िया..........................

    अनु

    जवाब देंहटाएं
  4. मुझको भी हंसने की तरकीब सुझा दो यारो
    किस तरह हंसते हो तुम लोग बता दो यारो

    बहुत खूब. बधाई.

    जवाब देंहटाएं

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