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मनीबेन से जुड़ा तुलसी का भविष्य

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हर समय ऐसे जैसे हालात नहीं रहते, कभी इंसान सफलता के सातवें आसमां पर होता है, तो कभी वो ही इंसान असफलता की पतन पर होता है. कुछ ऐसी स्थिति में है स्मृति इरानी बनाम तुलसी, अब उसका भविष्य तय करेगा 'मनीबेन डॉट कॉम', जी हां, पंजाबी पिता और बंगाली मां की बेटी स्मृति इरानी बनाम तुलसी अब मनीबेन बनने जा रही है. बालाजी की शाखा को मजबूत करने वाला 'क्योंकि सास भी कभी बहू' के बंद होने के बाद तुलसी अपने पुराने कर्ज उतारने के लिए नया रूप धारण कर छोटे पर्दे पर फिर से दस्तक देने जा रही है, स्टार प्लस की जगह हँसी के ठहाके लगाने वाले चैनल 'सब टीवी' पर. इस बार लोगों को हंसाकर वाह वाह बटोरने वाली है स्मृति इरानी, लेकिन ये तो सीरियल आने के बाद ही पता चलेगा कि तुलसी के बाद मनीबेन स्मृति में कितना दम है. अभिनय के साथ साथ राजनीति में कदम रखने वाली स्मृति इरानी को चांदनी चौंक के बशिंदों ने नकार दिया था, उस हार का मजा चखने के बाद स्मृति ने इस बार चुनाव में अपना भाग्य अजमाने की बिल्कुल नहीं सोची, हां लेकिन भाजपा को जिताने के लिए जुटी रही. अपने अभिनय के बल पर छोटे पर्दे पर सरदारी करने वाली स

यहां भी होता है मज़ाक ?

चुनावों के नतीजे आ रहे थे, राजनीति में दिलचस्पी लेने वालों के अलावा अन्य लोगों की निगाहें भी नतीजों पर टिकी हुई थीं, शायद मेरे संस्थान की तरह अन्य मीडिया कार्योलयों में चुनावों के आ रहे रुझानों को गौर से देखा जा रहा होगा, लेकिन टेलीविजन की स्क्रीनों पर कुछ नेताओं के साथ बहुत बुरा मज़ाक हुआ, पहले तो उनको हारे हुए घोषित कर दिया गया, फिर उनको विजेता घोषित किया गया. इस मजाक का शिकारे हुए केंद्र गृहमंत्री पी. चिदंबरम, वरुण गांधी की माताश्री मेनका गांधी, रेणुका चौधरी के साथ भी ऐसा ही हुआ, लेकिन रेणुका चौधरी को पहले विजेता घोषित कर फिर उसको हारा हुआ घोषित कर दिया. इतना ही नहीं, इस तरह का हाल अनंतनाग में भी देखने को मिला, वहां पर पहले एनसी के उम्मीदवार को विजेता घोषित किया गया, अंतिम चरण में पहुंचते वो सीट पीडीपी के खाते में चली गई.

बगीची: कांग्रेस की रेस (अविनाश वाचस्‍पति)

बगीची: कांग्रेस की रेस (अविनाश वाचस्‍पति)

रामू ने चुराई रण की स्टोरी..!

रामगोपाल वर्मा एक ऎसा निर्देशक जो हमेशा विवादो में घिरा रहता है। कभी वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के पीछे पीछे किसी पालतू कुत्ते की तरह मुंबई की उस ताज होटल को देखने (अपनी भविष्य की फिल्मो का प्लोट्स ढूँढने) चला जाता है जहाँ पर आतंकवादी हमला हुआ था, तो कभी बिना मतलब की फिल्मो (नि:शब्द) को बनाकर समाज को गुमराह करता रहता है। यह वही निर्देशक है जो होलीवुड के महान निर्देशक फ्रांसिस फोर्ड कपोला की फिल्म गोड फाधर से प्रेरित (प्रेरित शब्द बोलने में अच्छा लगता है इसलिए यहाँ पर लिख रहाँ हूँ वरना सही शब्द चोरी और उठांतरी है।) होकर सरकार और सरकार राज जैसी फिल्मे बनाकर सफलता का ताज अपने शिर पर पहन लेता है । यह वही शख्स है जो किसी से धोखाधड़ी करने में भी कभी पीछे मुडकर नहीं देखता। सफलता पाने के लिए कभी-कभी यह शख्स अपने नाम (राम) का भी दूरुपयोग करके देश के हितो और गीतो (राष्ट्रगान) को भी अपनी शैली में बेचने पर तैयार हो जाता है। विश्वास न आ रहा हो तो जरा इस पक्तिं को पढिए.. ''जन गण मन रण है, इस रण मैं जख्मी हुआ है भारत का भाग्यविधाता। पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा एक दूसरे से लड़के मर रहे है। रामू