संदेश

रण को लेकर नया विवाद

जब मैं ब्लॉग लि ख रहा था तो एक बात और सामने आई कि रण फिल्म की कहानी के गुजराती युवक द्वारा लिखी गई है, परंतु संबंधी खुलासा तो अभी नहीं हुआ, मगर युवक का दावा है कि रण की कहानी उसकी है, जिसको उसने रामगोपाल वर्मा को भेजा था, लेकिन उसका क्रैडिट उसको नहीं दिया जा रहा है. हो सकता है कि एक विवाद और राम का इंतजार कर रहा हो.. 'रण' का अर्थ युद्ध होता है और रामगोपाल वर्मा की अगली फिल्म 'रण' है. जिसके शीर्षक गीत ने वाकयुद्ध सा छेड़ दिया है. टैलीविजन की स्क्रीन से नजर हटाते हुए अखबारों की सुर्खियों से गुजरने के बाद जब ब्लॉग जगत में पहुंचा तो एक ही चीज़ पाई, वो 'जन गण मन..रण' गीत...जिसने रामगोपाल वर्मा को एक बार फिर विवादों के कटहरे में खड़ कर दिया. 'आग' का झुलसा रामू अभी ठीक नहीं हुआ था कि उसकी फिल्म कंट्रेक्ट के एक दृश्य और अहमदाबाद बंब धमाकों की समानता ने उसको फिर से आलोचनाओं का शिकार बना दिया. 'सरकार राज' एवं 'फूंक' की सफलता ने रामू के भीतर जान फूंकी थी, जो आग में झुलसने के कारण खत्म सी हो गई थी. मुम्बई आतंकवादी हमले के बाद जब पूरा देश आतंकवादियों को

पप्पूओं की शिकायत.....

शुक्रवार की सुबह मैं अपने सुसराल में था, मैंने आम दिनों की तरह दुनिया भर का हाल जानने के लिए टीवी शुरू किया, और खबरिया चैनल बदलते बदलते पहुंच गया एनडीटीवी पर, जहां पप्पूओं पर स्पेशल रिपोर्ट चल रही थी, लेकिन ये वो पप्पू नहीं थे, जिनको पप्पू श्रेणी में रखा जाता है, बल्कि ये स्टोरी उन पप्पू पर आधारित थी, जो वोट करने के बाद भी बदनाम हैं. जो डांस में नंबर एक हैं, लेकिन लोग कहते हैं कि 'पप्पू कांट डांस साला', इसको प्रस्तुत कर रहे थे मेरे पसंदीदा संवाददाता एवं न्यूज एंकर रवीश कुमार. गंभीर मुद्दों पर स्पेशल रिपोर्ट पेश करने वाले रवीश कुमार, इस खबर को पेश करते हुए खुद की हँसी को ब-मुश्किल रोके हुए थे. उनकी आंखों में हँसी सफल झलक रही थी, क्योंकि वो जानते थे कि पप्पू शब्द का इस्तेमाल उनके टीवी एवं उनके ब्लॉग पर कितने बार हुआ है, लेकिन कहते हैं ना कि जब जागो तब सुबह. फिर भी रवीश कुमार अपनी हँसी को रोके हुए अपने शब्दों के जरिए बदनाम हुए पप्पूओं को उनका खोया मान दिलाने के लिए बोलना शुरू रखा. वो बार बार कह रहे थे कि वोट बबलू नहीं देता, लेकिन बदनाम पप्पू होता है. दुनिया भर में पप्पू नामक व्यक्

कभी सीधी सपाट

कभी सीधी सपाट  तो कभी पहेली लगती है  कभी बेगानी सी  तो कभी सहेली लगती है  ये जिन्दगी भी अजीब है दोस्तों  पल में सब बिखर बिखर नज़र आता है अगले ही पल सब निखर निखर नजर आता है  कभी धुप कभी छाँव जिंदगी  लगती है मनचाहे दांव  जिन्दगी कभी खुशियों भरा थाल देती है  कभी कर गम से मालामाल देती है  ये जिन्दगी भी अजीब है दोस्तों

sms खोल रहें पोल

अक्सर पंजाब से दोस्त एसएमएस भेजते रहते हैं, और मेरी भी फिदरत है कि एसएमएस को हर हाल में पढ़ा जाए, क्योंकि कुछ एसएमएस असल में भी बहुत अहम होते हैं. जिनका जवाब उसकी मौके पर देना लाजमी होता है. आज ऑफिस में बैठा कीबोर्ड पर अपनी रोजाना की तरह उंगलियां चला रहा था, और कानों में एनडीटीवी इंडिया की आवाज आ रही थी, जिस पर रवीश कुमार द्वारा स्पैशल स्टोरी प्रस्तुति की जा रही थी. इतने में पास पड़े मोबाइल पर एसएमएस आने का अलर्ट सुनाई दिया. मैंने तुरंत मोबाइल उठाया और देखा कि आख़र किसका एसएमएस आया है. मोबाइल पर एक फनी एसएमएस था, जिसको पढ़कर हंसी, लेकिन उसकी अंतिम लाईन ने लिखने पर मजबूर कर दिया.वो कुछ इस तरह था... A poor man catches a fish. wife can't cook due to.. no gas no electricity no oil man puts fish back in rivar fish comes up & shouts Badal Sarkar Zindabad इसके अलावा कुछ दिन पहले मैंने अपने मित्र पत्रकार फोटोग्राफर की ओरकुट पर बड़े बादल एवं छोटे बादल का गुफतगू करता पिकचर देखा, जब मेरी नजर उसके नीचे लिखे कमेंट पर पढ़ी तो मैं हैरान रह गया. उसमें पंजाबी में लिखा हुआ था, जिसका हिंदी अनुव

शिअद कांग्रेस में नहीं, परिवारों में टक्कर

बठिंडा पिछले एक दो साल से ख़बरों में है सिख-डेरा विवाद के कारण, लेकिन अब बठिंडा अख़बारों की सुर्खियों में डेरा सिख समुदाय विवाद को लेकर नहीं बल्कि राजनीतिक घमासान को लेकर है. पंजाब की 13 लोक सभा सीटों में से बठिंडा सबसे चर्चित एवं अति-संवेदनशील सीट बन चुकी है, क्योंकि इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अरमिंदर सिंह का बेटा रणइंद्र सिंह और उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हरसिमरत कौर है. इस लोक सभा सीट पर लड़ाई कांग्रेस और शिअद के बीच नहीं बल्कि दो बड़े राजनीतिक घरानों के बीच है. ये सीट इज्जत का सवाल बन चुकी है बादल परिवार के लिए, क्योंकि कैप्टन ने अपने बेटे को बादल के गढ़ में उतारकर घर में घुसकर मारने वाली रणनीति अपनाई है. अगर बादल परिवार की बहू इस सीट से हारती है तो बादल परिवार की साख को बहुत बड़ा झटका लगेगा. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बठिंडा सीट को निकालने के लिए शिअद नेता हर हथकंडा अपनाने के लिए तैयार है. ऐसे में चुनावों के दौरान हिंसक घटनाएं होने की भी पूरी पूरी आशंकाएं, जिन्होंने सुरक्षा प्रशासन की नींद उड़ा रखी है. इन आशंकाओं में उस समय और भी इजाफा हो जाता है जब हाल में ह