'जनांदोलन' नहीं, 'जनाक्रोश'
राहुल गांधी, अब जनपथ से बाहर आइए। इंडिया गेट पर पहुंचकर, उस युवा पीढ़ी के साथ खड़े होने का दम दिखाईए। जिसको बार बार राजनीति में उतरे का आह्वान आप हर राजनीति रैली में कर रहे थे। इस बार पुलिस असफल हो रही है भीड़ को खदेड़ने में, क्यूंकि यह जनांदोलन नहीं, जनाक्रोश है। जो ज्वालामुखी की तरह एक दम से फूटता है, और पानी की बौछारें उस आग का कुछ नहीं बिगाड़ पाती, जो ज्वालामुखी से उत्पन्न होती है। जो जनाक्रोश दिल्ली में अभी देखने को मिल रहा है। वो अब तक हुए जनांदोलनों से कई गुना ज्यादा आक्रामक है। वहां हर कोई पीड़ित है। वहां हर कोई सरकार से पूछना चाहता है आखिरी कब मिलेगी असली आजादी। लड़कियां तो लड़कियां इस जनाक्रोश में तो लड़के भी बहुसंख्या में शामिल नजर आ रहे हैं, जो कहीं न कहीं बदलते समाज की तस्वीर को उजागर करते हैं। ये वो युवा पीढ़ी है, जो आने वाले कल में देश को नई पनीरी देगी। जो आज दिल्ली में आक्रोशित हैं, वो कल अपने बच्चों को शायद एक अच्छा नागरिक बनाने में तो अपनी जी जान लगाएगी। वहीं, दूसरी तरफ उस अस्पताल के बाहर कुछ कानून की पढ़ाई कर रहे छात्र नुक्कड़ नाटक के प्रति लोगों को