संदेश

शुरूआत एक नए युग की

नमस्‍ते दोस्‍तो, आपकी ओर से मिल रहे प्‍यार और स्‍नेह ने ही मुझे ब्‍लॉग को वेबसाइट में बदलने के लिए प्रेरित किया। मैं वादा करता हूं कि आज के बाद यह पोर्टल पूर्ण रूप से युवाओं को समर्पित होगा। मेरी नजर में उम्र से युवा होना ही युवा होना नहीं है, ब्‍लकि सोच से युवा होना ही असली युवावस्‍था है. उम्‍मीद ही नहीं, यकीन भी है कि आपको मेरी ओर से उठाए गए इस कदम से बेहद खुशी खुशी होगी।

जीवन खत्‍म हुआ तो जीने का ढंग आया

जीवन खत्‍म हुआ तो जीने का ढंग आया   शमा बुझ गई जब महफिल में रंग आया, मन की मशीनरी ने सब ठीक चलना सीखा,  बूढ़े तन के हरेक पुर्जे में जंग आया,  फुर्सत के वक्‍त में न सिमरन का वक्‍त निकाला,  उस वक्‍त वक्‍त मांगा जब वक्‍त तंग आया,  जीवन खत्‍म हुआ तो जीने का ढंग आया।  जैन मुनि तरूणसागर जी की किताब से

मीडिया, किक्रेट और पब्‍लिक

पंजाब के पूर्व वित्‍त मंत्री व मुख्‍यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के भतीजे ने नई पार्टी की घोषणा करते हुए कहा कि आने वाले एक साल में वह पंजाब का नक्‍शा बदलकर रख देंगे, अगर लोग उनका साथ दें तो। आखिर बात फिर तो पर आकर अटक गई। जब तक बीच से तो व पर नहीं हटेंगे तब तक देश का सुधार होना मुश्किल। पब्‍लिक के साथ की तो उम्‍मीद ही मत करो, क्‍योंकि पब्‍लिक की याददाश्‍त कमजोर है। मनप्रीत सिंह बादल ने अपनी नई पार्टी की घोषणा तब की, जब पूरा मीडिया देश को क्रिकेट के रंग में पूरी तरह भिगोने में मस्त है। मीडिया की रिपोर्टों में भी मुझे विरोधाभास के सिवाए कुछ नजर नहीं आ रहा, चैनल वाले टीआरपी के चक्कर में बस जुटे हुए हैं। मुद्दा क्‍या है, क्‍या होना चाहिए कुछ पता नहीं। वो ही मीडिया कह रहा है कि भारत के प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को न्यौता भेजकर दोनों देशों के संबंधों में आई खटास दूर करने के लिए कदम उठाया है, लेकिन वहीं दूसरी तरफ मीडिया भारत पाकिस्तान के मैच को युद्ध की तरह पेश कर रहा है। कहीं कहता है कि दोनों देशों में दोस्ताना बढ़ेगा, वहीं किक्रेट की बात करते हुए युद्ध सी स्थिति पैदा कर देता ह

न्यू बठिंडा की तस्वीर प्रदर्शित करती घटनाएं, फिर चुप्पी क्‍यों

कुलवंत हैप्पी / गुडईवनिंग/ समाचार पत्र कॉलम पिछले दिनों स्थानीय सिविल अस्पताल से खिडक़ी तोडक़र भागी युवती का तो कुछ अता पता नहीं, लेकिन फरार युवती पीछे कई तरह के सवाल छोड़ गई। वह युवती सहारा जनसेवा को बेसुध अवस्था में मिली थी एवं सहारा जनसेवा ने उसको इलाज हेतु सिविल अस्पताल दाखिल करवाया, तभी होश में आने के बाद युवती ने जो कुछ कहा, उसको नजरंदाज नहीं किया जा सकता, क्‍योंकि वह युवती उस क्षेत्र से संबंध रखती है, जहां शहर की ८० हजार से ज्यादा आबादी रहती है। युवती सिविल अस्पताल में उपचाराधीन पड़ी नशा दो नशा दो की रट लगा रही थी, जब मांग पूरी न हुई तो वहां से सहारा वर्करों को चकमा देकर भाग निकली। उसके बाद पता नहीं चला कि युवती आखिर गई कहां एवं प्रशासन भी कारवाई के लिए उसकी स्थिति सुधरने का इंतजार करता रहेगा। इस घटनाक्रञ्म से पूर्व स्थानीय रेलवे रोड़ स्थिति एक होटल से मृतावस्था में एक युवक मिला था, जो होटल में किसी अन्य जगह का पता देकर ठहरा हुआ था। उस युवक के पास से नशे की गोलियों के पते मिले थे, जो साफ साफ कह रहे थे कि नशे ने एक और जिन्दगी निगल ली। यह युवक भी लाइनों पार क्षेत्र से संबंधित था। इन

आखिर कहां सोते रहे मां बाप

मीडिया पर भी लगे सवालिया निशान कुलवंत हैप्पी / गुड ईवनिंग / समाचार पत्र कॉलम आज सुबह अखबार की एक खबर ने मुझे जोरदार झटका दिया, जिसमें लिखा था एक सातवीं की छात्रा ने दिया बच्चे को जन्म एवं छात्रा के अभिभावकों ने शिक्षक पर लगाया बलात्कार करने का आरोप। खबर अपने आप में बहुत बड़ी है, लेकिन उस खबर से भी बड़ी बात तो यह है कि आखिर इतने महीनों तक मां बाप इस बात से अभिज्ञ कैसे रहे। किसी भी समाचार पत्र ने इस बात पर जोर देने की जरूरत नहीं समझी कि आखिरी इतने लम्‍बे समय तक लडक़ी कहां रही? अगर घर में रही तो मां बाप का ध्यान कहां था ? खबर में लिख गया केवल इतना, सातवीं कक्षा की छात्रा ने दिया बच्चे को जन्म, जिसकी पैदा होते ही मौत हो गई। गर्भ धारण से लेकर डिलीवरी तक का समय कोई कम समय नहीं होता, यह एक बहुत लम्‍बा पीरियड होता है, जिसके दौरान एक गर्भवती महिला को कई मेडिकल टेस्टों से गुजरना पड़ता है। इतना ही नहीं, इस स्थिति में परिवार का पूर्ण सहयोग भी चाहिए होता है। अभिभावकों ने अपनी प्रतिक्रिया प्रकट करते हुए कहा, उनको शक है कि इसके पीछे छात्रा के शिक्षक का हाथ है, लेकिन सवाल उठता है कि शिक्षक तो इसके पा