संदेश

कुछ मन से निकले

जैसे भी चलता हैं चक्कर चलाओ मेरे बेटे को नेता बना ओ----मेंनिका गाँधी बदनाम हुए तो क्या हुआ यारों नाम तो हुआ --- एल के आडवानी जी हाँ खलनायक हूँ मैं जुल्मी बड़ा दुखदायक हूँ मैं---वरुण गाँधी यहाँ भी आईये खेत और ऑफिस

व्यंग काव्य-नैनोकली

गली गली एक बात चली आ गई टाटानी नैनोकली बेटी अपने डैड से बोली स्कूटरी छोड़ो ले दो बस नैनो ओनली सुनो जी, इस बार एमएजी ना देना पति खुश हुए पत्नी बोली नैनो ला देना मुश्किल नहीं संता बंता को समझाना मुश्किल जनता को कौन समझाए ये सब भेड़ चाल है ट्रैफिक का तो पहले ही बुरा हाल है 5227 लेकर जब निकलता हूं मैं ही जानु कितना धूंआं निगलता हूं. एमएजी (marriag anversy gift)5227 (motor cycle no)

एक कविता ब्लॉगरों के नाम

देखा नहीं, और कहीं, नई सड़क स्थित कस्‍बा के रहवासी हर ब्लॉग पर है पता इनका सवार रहते हैं उड़न तश्तरी समीर नाम जिनका अविनाश हैं कीबोर्ड के खटरागी, टिप्पणियों के रूप में कविताएं जिन्होंने दागी जैसे जैसे ब्लॉग पढ़ता जाऊं समयचक्र के साथ आगे बढ़ता जाऊंगा कभी कभी कुछ ख़ास लेकर आऊंगा

द वरुण-घटिया सोच, जहरीली जुबां

'नफरती ठाकरे' के बाद घटिया सोच की उपज इसकी अगली कड़ी है 'द वरुण-घटिया सोच, जहरीली जुबां, इस फिल्म को बड़े पर्दे पर नहीं बल्कि छोटे पर्दे पर पेश किया जा रहा है। इसका नायक राज ठाकरे की वंश का नहीं, लेकिन उसकी सोच एवं उसके शब्द उसका कनेक्शन राज ठाकरे से जोड़ते हैं. इसका जन्म तो एक गांधी परिवार में हुआ, लेकिन गांधी होने के नाते महात्मा गांधी के बताए हुए रास्ते पर चलना इसको स्वीकार नहीं, जहां महात्मा कहते थे कि अगर कोई एक थप्पड़ मारे तो दूसरी गाल आगे कर दो, लेकिन ये न समझ मियां कहते हैं कि उस हाथ को काट दो॥वो किसी ओर पर भी उठने लायक न रहे. इस फिल्म के नायक का ये बयान सुनकर तो हर कोई दंग रह गया होगा, कहां मानव-जीव हित के लेख लिखने वाली मेनका गांधी और कहां ये जुबां से नफरत का जहर फेंकने वाला वरुण, वरुण के ऐसे 'फूट डालो, राज करो' वाले बयान सुनकर तो लगता है कि मेनका गांधी लिखने में इतना व्यस्त हो गई कि वो अपने बेटे को राजनीति के दांवपेच सिखाने एवं भारतीय संसकार देने ही भूल गई. आज से पहले तो हिंदुस्तान की सरकारी शिक्षा प्रणाली पर क्लर्क पैदा करने का आरोप लगता था, लेकिन विदेश पढ़ाई

ऑस्कर विजेता स्लमडॉग एवं चुस्कियां

बच्चे अपनी तमाम मासूमियत के बावजूद इस घिसेपिटे सवाल का टेलीविजन से ही सीखा हुआ जवाब जानते थे। जी हाँ जरूर। हमारे दोस्तों ने देश का नाम रोशन किया है। स्लमडॉग मिलियनेयर का जमाल महात्मा गाँधी के बारे में पूछे जाने पर कहता है कि सुना हुआ सा लगता है नाम। झुग्गी के इन बच्चों से भी देश का इतिहास और भविष्य इतना ही दूर या करीब है तो स्लमडॉग मिलियनेयर की सफलता इनके लिए क्या है...। स्माइल पिंकी नाम की डॉक्यूमेंट्री ने भी ऑस्कर जीता। ये डाक्यूमेंट्री उत्तरप्रदेश के मिरजापुर के एक छोटे से गाँव के गरीब परिवार की पिंकी नाम की जिस बच्ची के जीवन पर आधारित है, उसकी माँ मानती है कि उसकी बेटी ने ‘अफसर’ जीता है और देश का नाम रोशन किया है और अब सरकार को उन्हें कम से कम एक छोटी दुकान खोलने के लिए पैसे देना चाहिए। ऑस्कर की खुशी में महाराष्ट्र सरकार ने भी स्लमडॉग के अजहरुद्दीन और रूबीना को मकान देने का फैसला कर लिया है, मगर हफ्ताभर लॉस एंजेलिस में बिताने वाले अजहरुद्दीन को उसके पिता ने इसलिए तमाचा जड़ दिया, क्योंकि वह पत्रकार को इंटरव्यू देने से मना कर रहा था। खबर अखबारों के पहले पन्ने पर है। कुछ दिनों के लिए