संदेश

हिंदु मंदिर लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मंदिर हों तो अक्षरधाम जैसे

चित्र
रविवार का दिन, सबसे मुश्‍िकल दिन मेरे लिए, पूरा दिन आखिर करूं तो क्‍या करूं, कोई दोस्‍त आस पास रहता नहीं, अगर रहता भी होगा तो उसके घर भी एक पत्‍नी होगी, जो उससे समय मांगेगी, ऐसे में मेरा उसके पास जाना भी कोई उचित नहीं था, मेरी पत्‍िन तो मायके गई हुई थी, बच्‍ची से मिलने, मैं रोज रोज सुसराल नहीं जा सकता। ऐसे में सुबह जल्‍दी जल्‍दी तैयार हुआ, और दुकान के लिए चल दिया, सोचा ब्‍लॉग जगत के लिए कुछ लिखूंगा, मगर दुकान पहुंचा तो पता चला इंटरनेट समयावधि पूरी होने के चक्‍कर में बंद पड़ा, दुकान का शटर नीचे किया, और खाने निकल गया, खाने के बाद सोचा घर जाऊं, सारा दिन टीवी देखूं, एंकर के चेहरों के बदलते हावभाव देखूं, या ऐसी टीवी चर्चा का हिस्‍सा बनूं, जिसमें मैं अपने विचार नहीं प्रकट कर सकता, ऐसे में सोचा क्‍यूं न अक्षरधाम घूम आउं, एक साल हो गया गांधीनगर में रहते हुए, लेकिन अक्षरधाम के मुख्‍य द्वार के सिवाय मैंने अक्षरधाम का कुछ नहीं देखा। आज मन हुआ, निकल दिया, तो सोचा आज सही वक्‍त है, वरना फिर कभी जाना नहीं होगा, जैसे अक्षरधाम के मुख्‍य द्वार पर पहुंचा तो पता चला कि अंदरमोबाइल लेकर जाना सख्‍त