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वो रुका नहीं, झुका नहीं, और बन गया अत्ताउल्‍ला खान

घर में संगीत बैन था। माता पिता को नरफत थी संगीत से। मगर शिक्षक जानते थे उसकी प्रतिभा को। वो अक्‍सर मुकेश व रफी के गीत उसकी जुबान से सुनते और आगे भी गाते रहने के लिए प्रेरित करते। वो परिवार वालों से चोरी चोरी संगीत की बारीकियों को सीखता गया और कुछ सालों बाद घर परिवार छोड़ कर निकल पड़ा अपने शौक को नया आयाम देने के लिए, और अंत बन गया पाकिस्‍तान का सबसे लोकप्रिय गायक जनाब अताउल्‍ला खान साहिब। अताउल्‍ला खान साहिब की पाकिस्‍तानी इंटरव्‍यू तक मैं सादिक साहिब की बदौलत पहुंचा, जिन्‍होंने 35000 से अधिक गीत लिखे और नुसरत फतेह अली खान साहिब व अत्ताउल्‍ला खान के साथ काम किया। सादिक साहेब ने हिन्‍दी, पंजाबी एवं ऊर्द में बहुत से शानदार गीत लिखे, जो सदियों तक बजाए जाएंगे। बेवफा सनम के गीत सादिक साहेब के लिखे हुए हैं, जो जनाम उत्ताउल्‍ला खान ने पाकिस्‍तान में गाकर खूब धूम बटोरी थी, और उनकी बदौलत ही वो गीत भारत में आए। सादिक साहेब कहते हैं कि खान साहिब ने उनको सौ गीत लिखने के लिए कहा था, और उन्‍होंने करीबन तीन चार घंटों में लिखकर उनके सामने रख दिए, जो बेहद मकबूल हुए पाकिस्‍तान और हिन्‍दुस्‍तान में।