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राम मंदिर के बहाने, यूं ही कुछ चलते चलते

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राममंदिर, इसको अगर थोड़ा सा तोड़कर पढ़ा जाए तो शायद इसका अर्थ कुछ ऐसा होगा। राम+ मन+ अंदर। राम तो कण कण में बसता है, उसको कहां जरूरत है किस एक जगह बंधकर बैठने की। राम मंदिर की बात करने वाले अगर अपने राम को खुश देखना चाहते हैं तो उसकी प्रजा को पेट भर भोजन दें। इंटरनेट नहीं, बिजली सुविधा दें। उनके गलों को तर करें, उनके खेतों तक पानी पहुंचाने पर माथा पच्‍ची करें। इंटरनेट तो आ ही जाएगा, जब पैसे आएंगे। वैसे भी फेसबुक वाला फ्री में नेट देने के लिए कोशिश कर रहा है, वो कामयाब हो जाएगा। आपको जरूरत नहीं।  भावनगर जाते समय मैंने बहुत खूबसूरत मंदिर देखे, मुझे लगता है कि जितना पैसा गुजरात में मंदिर निर्माण पर खर्च होता है, उतना किसी अन्‍य जगह पर नहीं होता। वहां पर अभी तीन से चार मंदिरों का निर्माण जारी था, जो जल्‍द बनकर तैयार होंगे। गुजरात में स्‍वामिनारायण भगवान के मंदिर, जैनों के मंदिर, अलग अलग कुल देवियों के मंदिर। शायद ही कोई ऐसा मार्ग हो जहां आपको मंदिर न मिले। मंदिर तो स्‍वयं लोग बना देंगे, जैसा आपने कल्‍पना भी नहीं की, लेकिन पहले उनकी पेट की भूख को तो खत्‍म कर दें। पहले उनको चांद तो चांद नज