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मौन थी, माँ

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आँख मलते हुए उठा वो बिस्तर से रोज की तरह और उठाया हठों तक लाया चाय की प्याली को हैरत में पड़ा, देख उस अध-खाली को मां के पास गया और बोला आज चाय इतनी कम क्यों है तू चुप, और तेरी आंख नम क्यों है फिर भी चुप थी, मौन थी, माँ एक पत्थर की तरह वो फिर दुहराया मां चाय कम क्यों है तेरी आंख नम क्यों है फिर भी न टूटी लबों की चुप कैसे टूटती चुप ताले अलीगढ़ के गोरमिंट ने लगा जो दिए मौन होंगी अब कई माँएं शक्कर दूध के भाव बढ़ा जो दिए