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अलविदा ब्लॉगिंग...हैप्पी ब्लॉगिंग

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कई महीने पहले बुरा भला के शिवम मिश्रा जी  चुपके से कहीं छुपकर बैठ गए, फिर हरकीरत हीर ने अचानक जाने की बात कही, किंतु वो लौट आई। किसी कारणवश मिथिलेश दुबे भी ब्लॉग जगत से भाग खड़े हुए थे, लौटे तो ऐसे लौटे कि न लौटे के बराबर हुए पड़े हैं।

"हैप्पी अभिनंदन" में मिथिलेष दुबे

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आज आप जिस ब्लॉगर हस्ती को मिलने जा रहे हैं, वो पेशे तो इंजीनियर हैं, लेकिन शौक शायराना रखते हैं। इस बात का पता तो उनकी ब्लॉगर प्रोफाइल देखने से ही लगाया जा सकता है, इस हस्ती ने अपना परिचय कुछ इस तरह दिया है "कभी यूं गुमसुम रहना अच्छा लगता है, कभी कोरे पन्नों को सजाना अच्छा लगता है, कभी जब दर्द से दहकता है ये दिल तो, शब्दों में तुझको उकेरना अच्छा लगता है" । इससे आप कई दफा मिले होंगे, पर ब्लॉग की जरिए, कविताएं लिखते हैं, लेकिन उससे ज्यादा वस्तुओं, शब्दों एवं अन्य चीजों के उत्थान पर कलम घसीटते हुए ही मिलते हैं, जो उनके गंभीर व्यक्तित्व एवं एक स्पष्ट व्यक्ति होने की पुष्टि करता है। निजी जीवन में क्रिकेट देखने व खेलने, लोगों से मिलने, घूमने एवं साहित्यिक पुस्तकों को पढ़ने में विशेष रुचि लेने वाले गायत्री एवं रामायण जैसी पवित्र किताबों से बेहद प्रभावित हिन्दी पुराने एवं दर्द भरे गीत सुनने के शौकीन मिथिलेश दुबे जी आज हमारे बीच हैं। कुलवंत हैप्पी : आप पेशे से क्या हैं बताने का कष्ट करेंगे? मिथिलेश दुबे : मैं पेशे से सर्वर इंजीनियर हूं, एचपी में। कुलवंत हैप्पी : एचपी मतलब? मिथ