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मशहूर व मरहूम शायर साहिर लुधियानवीं

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"मैं पल दो पल का शायर हूँ, पल दो पल मेरी कहानी है। पल दो पल मेरी हस्ती है, पल दो पल मेरी जवानी है। हिन्दी फिल्म संगीत जगत का बेहद लोकप्रिया गीत आज भी लोगों की जुबाँ पर बिराजमान है, लेकिन इस गीत को लिखने वाली कलम के बादशाह साहिर लुधियाणवीं 25 अक्टूबर 1980 को इस दुनिया से सदा के लिए रुखस्त हो गए थे। इस महान शायर और गीतकार का जन्म लुधियाना में 8 मार्च 1921 को हुआ। साहिर लुधियानवीं कितने मजाकिया थे, इस बात का अंदाजा उनकी नरेश कुमार शाद के साथ हुई एक मुलाकात से चलता है। नरेश कुमार शाद ने आम मुलाकातियों की तरह एक रसमी सवाल किया, आप कब और कहाँ पैदा हुए? तो साहिर ने उक्त सवाल को दोहराते हुए और थोड़ा सा मुस्कराते हुए कहा, ये सवाल तो बहुत रसमी है, कुछ इसमें और जोड़ दो यार। क्यों पैदा हुए?। शाद के अगले सवाल पर साहिर कुछ फ़खरमंद और गर्वमयी नज़र आए, उन्होंने कहा कि वो बी.ए. नहीं कर सके, गौरमिंट कॉलेज लुधिआना और दयाल सिंह कॉलेज ने उनको निकाल दिया था, जो आज उस पर बड़ा गर्व करते हैं। साहिर की इस बात से शाद को साहिर का नज़र ए कॉलेज शेअर याद आ गया। लेकिन हम इन फजाओं के पाले हुए तो हैं। गर या नहीं, यहा