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फ़रवरी, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Publicly Letter : गृहमंत्री ​सुशील कुमार शिंदे के नाम

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नमस्कार, सुशील कुमार शिंदे। खुश होने की जरूरत नहीं। इसमें कोई भावना नहीं है, यह तो खाली संवाद शुरू करने का तरीका है, खासकर आप जैसे अनेतायों के लिए। नेता की परिभाषा भी आपको बतानी पड़ेगी, क्यूंकि जिसको सोशल एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया के शब्दिक ​अ​र्थ न पता हों, उसको अनेता शब्द भी समझ में आना थोड़ा सा क​ठिन लगता है। नेता का इंग्लिश अर्थ लीडर होता है, जो लीड करता है। हम उसको अगुआ भी कहते हैं, मतलब जो सबसे आगे हो, उसके पीछे पूरी भीड़ चलती है।   अब आप के बयान पर आते हैं, जिसमें आप ने कहा कुचल देंगे। इसके आगे सोशल मीडिया आए या इलेक्ट्रोनिक मीडिया। कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, क्यूंकि कुचल देंगे तानाशाही का प्रतीक है या किसी को डराने का। आपके समकालीन अनेता सलमान खुर्शीद ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को नंपुसक कहा, क्यूंकि वो दंगों के दौरान शायद कथित तौर पर अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पाए, लेकिन जब मुम्बई पर हमला हुआ था, तब आपके कुचल देंगे वाले शब्द किस शब्दकोश में पड़े धूल चाट रहे थे, तब कहां थे सलमान खुर्शीद जो आज नरेंद्र मोदी को नपुंसक कह रहे हैं। इलेक्ट्रोनिक मीडिया को तो शायद आप पैस

एक वोटर के सवाल एक पीएम प्रत्याशी से

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गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी देश की सत्ता संभालने के लिए आतुर हैं, राजनेता हैं आतुर होना स्वभाविक है, जीवन में प्रगति किसे पसंद नहीं, खासकर तब जब बात देश के सर्वोच्च पदों में से किसी एक पर बैठने की। एक राजनेता के रूप में मेरी शुभइच्छाएं आपके साथ हैं, लेकिन अगर आप स्वयं को स्वच्छ घोषित करते हैं, देश को एक सूत्र में पिरोने की बात करते हैं, स्वयं को दूसरी राजनीतिक पार्टियों के नेतायों से अलग खड़ा करने की कोशिश करते हैं तो एक वोटर के रूप में आप से कुछ सवाल पूछ सकता हूं, सार्वजनिक इसलिए पूछ रहा हूं क्यूंकि वोटर सार्वजनिक है, हालांकि वो वोट आज भी गुप्त रूप में करता है। पहली बात, आप अपना पूरा दांव युवा पीढ़ी पर खेल रहे हैं। जिनको अभी अभी वोट करने का अधिकार मिला है, या कुछेक को कुछ साल पहले। जहां तक मुझे याद है यह अधिकार दिलाने में कांग्रेस के युवा व स्वर्गीय प्रधान मंत्री राजीव गांधी का बड़ा रोल रहा है, युवा इसलिए, उनकी सोच एक युवा की थी, जो कुछ करना चाहता था, देश के युवायों के लिए। दूसरी बात, मैं जो सवाल आप से सार्वजनिक रूप में पूछने जा रहा हूं, यह भी उस महान व्यक्तित

तेलंगाना बिल पास बंद कमरे में, कुछ ​िट़्वटर पर चर्चा​

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बंद कमरा, तेलंगाना बिल पारित, अब गाएंगे हम दोनों हैं जुदा जुदा हम दोनों हैं अलग अलग मैं चोर तू कहां सल्लग (अच्छा) #YoCongBjpSoConstitutional — Kulwant Happy ® (@kulwanthappy) February 18, 2014 बहुत बड़ी घटना है नए राज्य का बनना। पर बहस, सांसदों को बोलने का मौका और देश को देखने का मौका दिए बिना, बंद संसद में - घोर अलोकतांत्रिक है। — Rahul Dev (@rahuldev2) February 18, 2014 प्रसारण बंद होने पर भाजपा, कांग्रेस से "चाय-पानी" की मांग कर रही है।। #TelanganaBill :P #YoCongBJPSoConstitutional — Ashish Gupta (@Ashish_Gupta_) February 18, 2014 #YoCongBjpSoConstitutional लोकसभा का प्रसारण रोक कर मोदी सेना और राहुल सेना का भरत मिलाप हो रहा है क्या? Telangana Bill — Dubey Satish (@DubeySatish86) February 18, 2014 दिल्ली विधान सभा में संविधान का अपमान मत करो केजरी बाबू चीखने वाली कांग्रेस बीजेपी लोक सभा प्रसारण बंद क्यों ? #YoCongBjpSoConstitutional — Aarti (@aartic02) February 18, 2014 काला कौन कांग्रेस या बीजेपी #YoCongBjpSoConstitutional — Sameer

देश में बदलाव के लिए कुछ तरीके

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देश के पढ़ लिख रहे युवायों को सरकारी कार्यालय में पार्ट टाइम जॉब्स देनी चाहिए। अच्छे काम वालों को पढ़ाई खत्म होने पर पक्का किया जाए, अगर उनकी इच्छा हो तो। देश में युवायों को एक ही क्षेत्र में एक साथ दाखिले लेने पर प्रतिबंध हो। उनको अलग अलग कार्य क्षेत्र चुनने के लिए करियर गाइंड्स प्रदान की जाए। गांवों के आस पास ग्रामीण उद्योगों की स्थापना की जाए। कृषि के साथ साथ किसान या उनके युवा बच्चे इनमें अपनी इच्छा अनुसार अंशकालिक रूप में काम करें। देश में स्वदेशी चीजों के चलन पर जोर देने के लिए, सरकार को स्वयं प्रचार का जिम्मा उठाना चाहिए। देश के अंदर सरकारी कामों के लिए कोल सेंटर बनाने चाहिए, ताकि हर सरकारी काम की जानकारी तुरंत मिल सके, हर सरकारी काम ओनलाइन होना चाहिए, अगर मोबाइल फोन, बैंकिंग जैसी पेचीदा चीजों की जानकारी पल में मिलती है तो सरकारी​ विभागों के कामों की क्यूं नहीं हो सकती। सरकारी कामों के लिए विंडो सिस्टम जरूरी है। विंडो सिस्टम पर फाइलों की पूरी जांच पड़ताल हो, अधिकारी केवल खानापूर्ति के लिए साइन करें। एजेंटों को यहां से दूर रखा जाए, जिस अधिकारी का संपर्क एजेंट से पाया जा

राजनीतिक पार्टियां यूं क्यूं नहीं करती

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हर राजनीति देश के विकास का नारा ठोक रही है। सब कहते हैं, हमारे बिना देश का विकास नहीं हो सकता, सच में मैं भी यही मानता हूं, आपके बिना देश का विकास नहीं हो सकता, लेकिन एकल चलने से भी तो देश का विकास नहीं हो सकता, जो देश के विकास के लिए एक पथ पर नहीं, चल सकते, वो देश को विकास की बातें तो न कहें। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी देश को एकता का नारा देते हैं, लेकिन खड़े एकल हैं, जहां जाते हैं, वहां की सरकार की खाटिया खड़ी करते हैं। कभी कभी तो ऐसा भी होता है कि दो इंच कील की जगह चार इंच हथोड़े की चोट से ठोक देते हैं। कांग्रेस समेत देश की अन्य पार्टियां भी कुछ यूं ही करती हैं, वो देश के विकास का मोडल रखने को तैयार नहीं। टीवी चैनलों ने तो केजरीवाल सरकार को गिराने के लिए निविदा भर रखी है, जो गिराने में सशक्त होगा, उसको निवि​दा दी जाएगी। लेकिन क्यूं नहीं देश की राजनीतिक पार्टियां एक सार्वजनिक मंच पर आ जाएं। अपने अपने विकास मोडल रखें, जैसे स्कूल के दिनों में किसी प्रतियोगिता में बच्चे रखते थे, जिसका अच्छा होगा, जनता फैसला कर लेगी। इससे दो फायदे होंगे, एक तो टेलीविजन पर रोज शाम को बकबक बंद ह

एक बच्ची की मौत, अख़बारों की ​सुर्खियां

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बठिंडा शहर के समाचार पत्रों में एक बच्ची की मौत की ख़बर प्रकाशित हुयी, जिसका इलजाम पुलिस पर लगाया जा रहा है, क्यूंकि नवजात बच्ची की बेरोजगार महिला शिक्षकों के संघर्ष के दौरान मौत हुई है। पुलिस ने धरने पर बैठी महिलायों से रात को रजाईयां छीन ली थी, ठंड का मौसम है। बच्ची को ठंड लगी, अस्पताल में दम तोड़ दिया। मौत दुनिया का एक अमिट सत्य है, मौत का कारण कुछ भी हो सकता है ठंड लगना, पुलिस की मार या खाना समय पर न मिलना आदि। अगर अरबों लोग हैं तो मौत के अरबों रूप हैं। किसी भी रूप में आकर लेकर जा सकती है। लेकिन सवाल तो यह है कि हमारी मानवता इतनी नीचे गिर चुकी है कि अब हम नवजातों को लेकर सड़कों पर अपने हक मांगने निकलेंगे। पुलिस सरकार का हुकम बजाती है, यह वो सरकार है, जिसको हम अपनी वोटों से चुनते हैं। चुनावों के वक्त सरकार पैसे देकर वोटें खरीदती है और हम अपने पांच साल उनको बदले में देते हैं। गिला करने का हक नहीं, अगर सड़कों पर उतारकर हम अपने हकों की लड़ाई लड़ सकते हैं तो कुछ नौजवान आप में से देश की सत्ता संभाल सकते हैं। अपने भीतर के इंसान को जगाओ। मासूम शायद आपके भीतर का इंसान जगाने के लिए सोई हो

जाति आधारित सुविधाएं बंद होनी चाहिए

अगर आने वाले समय में भारत को एक महान शक्ति के रूप में देखना चाहते हैं। अगर चाहते हैं कि देश एक डोर में पिरोया जा सके तो आपको सालों से चली आ रही कुछ चीजों में बदलाव करने होंगे। हम हर स्तर पर बांटे हुए हैं। जब मैं एक राज्य से दूसरे राज्य में जाता हूं तो मेरी बोली से लोग कहते हैं, तू पंजाबी है, तू मराठी है या गुजराती है। मगर जब कोई व्यक्ति अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पहुंचता है तो कोई पूछता है तो आप अचानक कहते हैं इंडियन। जगह बदलने से आपका अस्तित्व बदल गया। राज्य स्तरीय सोच को छोड़ो। आगे बढ़ो। धर्म व जाति की राजनीति से उपर आओ। स्वयं आवाज उठाओ। मेरे माता पिता ने शिक्षक की फीस रियायत देने वाली पेशकश को ठुकरा दिया था, यह कहते हुए कि इसकी जगह किसी दूसरे बच्चे की कर दो। हम अपने बच्चों को पढ़ा सकते हैं। उन दिनों सरकारी स्कूलों की फीस कुछ नहीं हुआ करती थी, लेकिन रियायत लेना मेरे पिता को पसंद न था। गांव में पीले कार्ड बनते थे। हमारे पास भी मौका था बनवाने का। पिता ने इंकार कर दिया। वो अनपढ़ थे, लेकिन समझदार थे। रियायत केवल उनको दी जाएं, तो सच में उनके हकदार हैं, न केवल जान पहचाने वालों, सिफारिश वाल

Gujarat Govt.- गरीबी यूपी बिहार के कारण, तो अमीरी के दावेदार आप कैसे ?

गुजरात के वित्त मंत्री नितिन पटेल ने कहा है कि प्रदेश में यूपी, बिहार से आए लोगों के कारण गरीबी बढ़ी है क्यूंकि गुजरात सरकार बाहरी लोगों को भी बीपीएल कार्ड मुहैया करवाती है। अपनी इज्जत बचाने के लिए हर बहाना जरूरी है। अगर गरीबी के लिए यूपी बिहार के लोग जिम्मेदार हैं, तो अमीरी एवं विकास के लिए गुजरात सरकार को स्वयं का ढिंढोरा नहीं पीटना चाहिए। गुजरात के अंदर निवेश बाहरी राज्यों से, विदेशों से हो रहा है। उनमें यूपी, बिहार, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र न जाने कितने राज्यों के अमीर आदमी शामिल हैं, जो गुजरात के विकास के लिए जिम्मेदार हैं। नैनो को लेकर तो गुजरात कुछ नहीं कहता। मारूति का कारखाना लगने वाला है, उसको लेकर गुजरात सरकार कुछ नहीं कहती, लेकिन इज्जत बचाने के लिए यूपी बिहार के लोग आंख में खटक रहे हैं, जो केवल आपको सूरत में मिलेंगे, जो कम वेतन में स्थानीय लोगों से अधिक कार्य करते हैं। अगर वे कम पैसों में ​अधिक श्रम करते हैं तो गुजरात के व्यापारियों को अधिक उत्पादन एवं पैसा मिल रहा है। गुजरात सरकार बिहारियों को बिठाकर नहीं खिला रही, वे मेहनत करते हैं, खाते हैं। जिनको गुज

समुदाय राजनीति बंद होनी चाहिए

समाचार : रामेश्वरम के निकट पंबम में मछुआरों के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करते सुषमा ने कहा, 'नरेंद्र मोदी ने एक मछुआरों को राज्यसभा का सदस्य बनाया हैं।' वह यहां मछुआरा समुदाय के चुन्नीभाई गोहिल का जिक्र कर रही थी, जिन्हें बीजेपी ने पिछले सप्ताह गुजरात से राज्यसभा का सदस्य नामांकित किया है। इसके साथ ही बीजेपी की इस वरिष्ठ नेता ने वादा किया कि अगर उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव में जीतती है, तो वह एक अलग मत्स्य पालन मंत्रालय का गठन करेगी और मछुआरों की रिहाइश की आस-पास अच्छे स्कूल और अस्पताल स्थापित किए जाएंगे। युवारॉक्स व्यू : आखिर यह क्या बात है ? लोक सभा चुनाव नजदीक हैं, और भाजपा ने गुजरात से चुन्नीभाई गोहिल को राज्य सभा सदस्य नियुक्त किया। और भाजपा की मैडम उसको हथियार बना रही हैं। हद नहीं तो क्या है ? यूं वादे करना भ्रष्टाचार प्रलोभन नहीं तो क्या है ? तो बीजेपी को अब चाय वालों के पास जाना चाहिए, कहना चाहिए देखो नरेंद्र मोदी को प्रधान मंत्री पद का उम्मीदवार बना दिया। पार्टी में कुछ वकील होंगे, कुछ छोटे कारोबारी होंगे। उधर, जदयू को भी न्यूज पेपर समुदाय से मदद मांग लेनी चा​हिए, प्रभात