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मृणाल पांडे : जुमला जयंती पर आनंदित, पुलकित, रोमांचित वैशाखनंदन

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लेखिका और पत्रकार मृणाल पांडे ने ऐसी कोई सी आतिशबाजी छोड़ दी कि मीडिया में कार्यरत लोग, जो कभी उनको पढ़ते रहे हैं या कभी उनके साथ काम करते रहे हैं, तिलमिला उठे हैं और लंबी लंबी पोस्टें लिखने लगे। मृणाल पांडे ने एक ट्विटर पोस्ट ही तो की है। और दिलचस्प बात तो यह है कि इस पोस्ट में किसी का नाम भी नहीं लिया। इस पोस्ट में मृणाल पांडे लिखती हैं, ''जुमला जयंती पर आनंदित, पुलकित, रोमांचित वैशाखनंदन'', और साथ ही एक गधे की फोटो लगाती हैं। #JumlaJayanti पर आनंदित, पुलकित, रोमांचित वैशाखनंदन । pic.twitter.com/eSpNI4dZbx — Mrinal Pande (@MrinalPande1) September 17, 2017 असल में गधे को वैशाखनंदन भी कहा जाता है और गदर्भ भी। जो अति गौर करने वाली बात है, वो यह है कि यह ट्वीट प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस पर किया गया है। सवाल है कि क्या उस दिन केवल प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिवस ही होता है? हां, कहना शायद मूर्खता होगी। लेकिन, कुछ पढ़े लिखे बुद्धिजीवी मृणाल पांडे के इस ट्वीट पर लंबे लंबे चिट्ठे लिख रहे हैं। उनके व्यक्तित्व और उनकी गरिमा पर उंगली उठा रहे हैं।

क्या सच में पाकिस्तान में पेट्रोल की कीमत 44 रुपये प्रति लीटर है?

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भारत के कुछ हिस्सों में पेट्रोल की कीमत 80 रुपये के आंकड़े को पार कर गई। पेट्रोल की बढ़ती कीमतों को लेकर सरकार की आलोचना हो रही है। लेकिन, सरकार की ओर से कोई ठोस जवाब सामने नहीं आ रहा है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार बढ़ती वाहन तेल कीमतों को एक झटके बदल नहीं सकते। इस बीच सोशल मीडिया पर कुछ संदेश वायरल हो रहे हैं, जिनमें कहा जा रहा है कि अगर आपको भारत में बढ़ती पेट्रोल और डीजल कीमतों से दिक्कत है, तो पाकिस्तान चले जाओ, पाकिस्तान में तेल की कीमत 44 रुपये प्रति लीटर है। हालांकि, हर किसी की कीमत अलग अलग हैं। कोई 404 रुपये, तो कोई 26 रुपये तक पेट्रोल की कीमत बता रहा है। लेकिन, क्या सच में पाकिस्तान में पेट्रोल की कीमत 40 रुपये प्रति लीटर है? यदि देश के हिसाब से बात करूं तो बिलकुल ऐसा नहीं है। पाकिस्तान में भी पेट्रोल डीजल के भाव 70 रुपये की सीमा के पार चल रहे हैं। 30 अगस्त 2017 को द आॅयल एंड गैस रेगुलेटरी अथाॅरिटी ने पाकिस्तानी पेट्रोलियम मंत्रालय को डीजल पेट्रोल के भाव बढ़ाने की सिफारिश की है। इस सिफारिश पत्र में कहा गया है कि डीजल में 0.7 र

गुजरात बुलेट ट्रेन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नाम खुला पत्र

प्रिय नरेंद्रभाई दमोदरदास मोदी, मीडिया से दूर, समाचारों से दूर, शांतिमय अच्छे मूड में बैठा था। अपना काम के साथ साथ  फेसबुक पर बीच बीच में एकआध स्टेट्स अपडेट चल रहा था। अचानक पत्नी का काॅल आया कि सभी चैनलों पर आपकी शाही सवारी का खूबसूरत नजारा चल रहा है। मैंने आॅन किया, तो देखा कि आप और जापान के प्रधान मंत्री अबे शिन्जो खुली जीप में सवार होकर रिवरफ्रंट के किनारे टहल रहे हैं। टेलीविजन की स्क्रीन पर जापान प्रधानमंत्री अबे शिन्जो के साथ आपका रौब देखते ही बन रहा था। एक चाय वाले का ठाठ, वाह वाह, क्या कहने, जो इस समय देश का प्रधान सेवक है। आपकी आपकी बोली में कहूं तो चैंकीदार। आपके आगमन पर शहर की टूटी फूटी सड़कों को एकदम चकाचक कर दिया है, मझाल है कि पानी के गिलास से एक बूंद पानी छलककर नीचे गिर जाए। लेकिन, यह उतने क्षेत्र में ही हुआ, जहां जहां से आपकी राजशाही सवारी को गुजरना था। बाकी शहर के लिए तो भाजपा के संकट मोचन अमित शाह कह कर गए हैं कि बारिश के कारण सड़कों की मुरम्मत करना मुश्किल होता है। इसलिए बारिश का मौसम गुजर जाए तो काम चालू हो जाएंगे। जैसे ही आपके आने का समाचार तंत्र को

अगर रवीश कुमार ने पीएम को गुंडा नहीं कहा तो सवाल है कि....?

बड़े दिनों से ब्लॉग जगत से दूर हूं। आज एक बार फिर से ब्लॉग जगत की दुनिया में लौटने का मन हुआ। ख़बर आयी कि एनडीटीवी के वरिष्ठ संवाददाता और न्यूज एंकर रवीश कुमार ने देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को गुंडा शब्द से संबोधन किया। मैंने भी रवीश कुमार के बयान 'मुझे दुख है कि मोदी जैसा गुंडा मेरा पीएम है : रवीश कुमार' के बयान की फेसबुक पर निंदा की। होनी भी चाहिये, क्योंकि यह पत्रकारिता की शालीनता नहीं है और ऐसे बयान पत्रकारिता की ​गरिमा को चोट पहुंचते हैं। मगर, बाद में पता चला है कि ऐसा कोई भी बयान संवाददाता रवीश कुमार ने नहीं दिया। जो बयान सोशल मीडिया और मीडिया जगत में वायरल हो रहा है, दरअसल वो बयान फर्जी है। इससे भी मजेदार सवाल तो यह है कि ​यदि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रवीश कुमार ने गुंडा नहीं कहा, तो कौन है वह जो रवीश कुमार के कंधे पर बंदूक रखकर नरेंद्र मोदी पर निशाना साध रहा है। अपने मन की भड़ास निकाल रहा है और उसके समर्थन में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशंसक की खड़े हुए जा रहे हैं। रवीश कुमार के मुंह से क्यों? यदि कुछ कहना ही है तो अपने मुंह से ​क

70 साल की लूट, गलती से ही सही, कहीं सच तो नहीं बोल रहे नरेंद्र मोदी

आप कैशलेस को पूरे देश पर थोपना चाहते हैं। आप कैशलेस का आह्वान करते तो समझ में आता। प्रेम में प्रस्‍ताव रखे जाते हैं, और जबरी संबंधों में सबकुछ थोपा जाता है। आप कह रहे हैं कि तकनीक का जमाना है, सब कुछ ऑनलाइन हो सकता है, अब लेन देन भी ऑनलाइन करो। मैं सहमत हूँ, लेकिन एक फोकट का सवाल है , जब तकनीक का जमाना है, जब हम सब कुछ ऑनलाइन कर सकते हैं तो आपकी रैली ऑफलाइन क्यों? मेरे झोले में फोकट की सलाह भी है - क्यों ना आप भी रैली भाषण का वीडियो रिकॉर्ड करके यूट्यूब पर डालें, और महसूस करें कि पूरा इंडिया इसको सुन रहा है, देख रहा है, और गर्व महसूस कर रहा है। इससे कथित 4 करोड़ प्रति रैली खर्च बच सकता है, आपकी जान को भी कोई खतरा नहीं होगा, आपकी रक्षा के लिए रैली के बाहर खड़ी होने वाली पुलिस अपने रोजमर्रा के काम निबटा पाएगी। कड़वी दवा तो नहीं कड़वा सच - जो आप जानते हैं। आपके पीआर जानते हैं कि मोबाइल अभी घर घर की जरूरत है लेकिन इंटरनेट नहीं। आपको पता है कि जो भीड़ रैली में होती है, वो वंचित है उन सुविधाओं से जिसने आपके समर्थक लैस हैं। उस भीड़ में किसी के पास डेटा पैक के पैसे नहीं, तो किसी के पास नेट