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पति पीड़ित लड़की की दास्‍तां भी है 'नीरजा'

राम माधवानी निर्देशित 'नीरजा' में सोनम कपूर ने शानदार अभिनय किया। यह फिल्‍म केवल प्‍लेन हाइजैक घटना आधारित नहीं है। इस फिल्‍म के जरिये राम माधवानी ने फ्लैशबैक का सहारा लेते हुए नीरजा भनोट के उस पक्ष को भी उभारा है, जिससे देश की बहुत सारी नीरजाएं परेशान हैं। एयरप्‍लेन हाइजैक के दौरान लड़की नीरजा आतंकवादियों के चुंगल से तो सैंकड़े जानें बचाने में सफल हुई। मगर, विवाहित जीवन में एक दहेज लोभी पति के उत्‍पीड़न का शिकार होकर जीना भूल गई थी। इस तरह के हजारों मामले हमारी आंखों के सामने घटित होते हैं। हम आंख मूंद लेते हैं। मगर, अब आंख खोलने की जरूरत है। घर परिवार में कहीं भी नीरजा उदास नहीं होनी चाहिए। जरूरी तो नहीं कि नीरजा आपकी बेटी हो, तभी आवाज उठाएंगे। कभी नीरजा भाभी का पक्ष भी लिया जा सकता है। कभी नीरजा मां का समर्थन भी किया जा सकता है। यदि नीरजा की बहादुरी पर आप ने तालियां बजाई हैं। कोई नीरजा मर मर नहीं जीए, यह संकल्‍प लें। नीरजा एक बहादुर फ्लाइट अटेंडन्‍ट होने के कारण साथ एक आम लड़की भी थी, जो अपने पति के लिए सब कुछ करने के लिए तैयार थी। मगर, पति को अहं से आगे सूझती नहीं थी। लड़कि

हे प्रभु! मेरी क्षमा याचना तो लेते जाएं।

हे प्रभु! मैं बहुत परेशान हूं। मुझे समझ नहीं आता कि मैं क्या करूं ? दिशा से उम्मीद लगाउं बदलाव की ? रोज सोचता हूं कि मेरी समस्याएं भी चर्चा का विषय बनेंगी। इस उम्मीद को दिल में लिए रोज सुबह शाम समाचार की दुनिया में नजर दौड़ाता रहता हूं। सोचता हूं कि शायद अख़बारनवीस मेरी समस्या का समाधान लाएं। कोर्इ ख़बर, खुशख़बर पाती जैसी बनकर सामने आए। जिसको पढ़कर मैं झूम उठूं। जैसे सावन में कोर्इ मोर। मगर, अब तक एेसा हुआ नहीं। रोज घिसीपिटी ख़बरों के साथ कुछ मसालेदार रोचक समाचार आते हैं। हे प्रभु! आज कल तो बाॅलीवुड गाॅशिप से ज्यादा राजनीतिक गाॅशिप को जगह दी जाती है। पहले मन खुश तो हो जाता था। जब समाचारों में आता था कि विश्व सुंदरी ने अपने पुराने प्रेमी मित्र को छोड़कर नामी गरामी अभिनेता के पुत्र से विवाह रचा लिया। रैंप पर चलते हुए एक माॅडल टाॅप लैस हो गर्इ। आज बाॅलीवुड की बिंदास माॅडल ने भारत की जीत पर न्यूड होने की घोषणा की। मगर, आज कल तो अजीबोगरीब समाचार आते हैं। लोक सभा में पूछा जाता है कि सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान यात्रा पर हरी साड़ी क्यों पहननी। तो सुषमा स्वराज उसके पीछे का महत्व बताती है कि

क्यों मेरा रविवार नहीं आता

तुम थक कर हर शाम लौटते हो काम से, आैर मैं खड़ी मिलती हूं हाथ में पानी का गिलास लिए हफ्ते के छः दिन फिर आता है तुम्हारा बच्चों का रविवार, तुम्हारी, बच्चों की फरमाइशों का अंबार मुझे करना इंकार नहीं आता क्यों मेरा रविवार नहीं आता मैं जानती हूं तुमको भी खानी पड़ती होगी कभी कभार बाॅस की डांट फटकार, मैं भी सुनती हूं पूरे परिवार की डांट सिर्फ तुम्हारे लिए, ताकि शाम ढले तुमको मेरी फरियाद न सुननी पड़े काम करते हुए टूट जाती हूं बिख़र जाती हूं घर संभालते संभालते चुप रहती हूं, दर्द बाहर नहीं आता क्यों मेरा रविवार नहीं आता तुम को भी कुछ कहती हूं, तो लगता है तुम्हें बोलती हूं तुम भी नहीं सुनते मेरी दीवारों से दर्द बोलती हूं मगर, रूह को करार नहीं आता क्यों मेरा रविवार नहीं आता

जरूरी तो नहीं

जरूरी तो नहीं तेरे लबों पर लब रखूं तो चुम्बन हो जरूरी तो नहीं मेरी उंगलियां बदन छूएं तो कम्पन हो जरूरी तो नहीं तुझे अपनी बांहों में भरूं तो शांत धड़कन हो एेसा भी तो हो सकता है मेरे ख्यालों से भी तुम्हें चुम्बन हो मेरे ख्यालों से भी तुम्हें कम्पन हो मेरे ख्यालों से भी शांत धड़कन हो

उर्दू साहित्य की बहती त्रिवेणी 'रेख़्ता''

अमेरिकी उपन्यासकार, संपादक, और प्रोफेसर टोनी मॉरिसन ने लिखा है कि जो किताब आप पढ़ना चाहते हैं, यदि बाजार में उपलब्ध नहीं है, यदि अभी तक लिखी नहीं गर्इ तो वो किताब आपको लिखनी चाहिए। यह कथन उस समय मेरे सामने सच बनकर आया, जब मैं शायरोशायरी की तलाश में भटकता हुआ रेख़्ता डाॅट ओआरजी पर पहुंचा। दरअसल, रेख़्ता का जन्म भी कुछ इस तरह हुआ है। रेख़्ता के जनक संजीव सर्राफ, जो पेशे से व्यवसायी हैं, एक हिन्दी दैनिक समाचार पत्र को दिए साक्षात्कार में बताते हैं कि उनको उर्दू शायरी पढ़ने का पुराना शौक था, मगर, कुछ शब्द जब उनको समझ नहीं आते थे, तो उनको घुटन महसूस होती थी। दरअसल, यह बहुत सारे लोगों के साथ होता है, लेकिन, जो साहस संजीव सर्राफ ने किया, वो हर कोर्इ नहीं सकता। उनके इस प्रयास ने न जाने कितने लोगों की समस्या को हल कर दिया। सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि रेख़्ता हिन्दी, इंग्लिश (लिप्यंतरण) एवं उर्दू में उपलब्ध है। इस पर गजल, कविता, शेयर, वीडियो, कहानियों सहित न जाने साहित्य कृतियों के कितने ही प्रारूप उपलब्ध हैं। यदि आप उर्दू शेयरोशायरी का शौक रखते हैं। या कभी कभार आपको उर्दू शायरी के शब्द समझ मे