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याकूब मेमन की फांसी बहाने कुछ और भी

मेमन समुदाय के सर्वश्रेष्ठ चार्टेर्ड अकाउंट याकूब मेमन को उसके जन्म दिवस के मौके पर फांसी दी गर्इ। याकूब मेमन ने सीए की डिग्री लेने के बाद एक हिन्दु मित्र के साथ कारोबार शुरू किया। मगर, जल्द ही दोनों अलग हो गए, और देखते देखते मेमन समुदाय का याकूब सर्वश्रेष्ठ चार्टेर्ड अकाउंट बन गया। याकूब मेमन के पास सब कुछ था, नाम, शोहरत, दौलत। मगर, मृत्यु के समय उसके चरित्र पर एक काला धब्बा था, देशद्रोही होने का। हां, एक समय था, जब फांसी के रस्से चूमने वालों को भारत अपनी सर आंखों पर ही नहीं बल्कि रग रग में बसा लेता था। मगर, उस समय भारत की लड़ार्इ कुछ एेसे लोगों के खिलाफ थी, जो बर्बरता की हद पार किए जा रहे थे। मगर, याकूब मेमन के गले में डाला फांसी का रस्सा एक समाज को शर्मिंदा कर रहा था, गर्वित नहीं क्योंकि याकूब मेमन उस साजिश का हिस्सा था, जिसने कर्इ हंसते खेलते हुए घरों को एक झटके में बर्बाद कर दिया था। याकूब मेमन, जिस आतंकवादी हमले में शामिल थे, दाउद अब्राहिम के समूह ने उसको बाबरी मस्जिद पर हमले का बदला कहा, मगर, चकित करने वाली बात तो यह थी कि बम्ब धमाकों में मरने वालों का बाबरी मस्जिद गिराने में ज

तुम पूछते हो तो बताता हूं, मेरे किस काम आती हैं किताबें

तुम पूछते हो तो बताता हूं, मेरे किस काम आती हैं किताबें जिन्दगी की राहों में जब अंधकार बढ़ने लगता है, जुगनूआें की तरह राहों में रोशनियां बिछाती हैं किताबें दुनिया की भीड़ में जब तन्हा होने लगता हूं मैं तो चुपके से मेरे पास आकर समय बिताती हैं किताबें सिर से इक छत का छाया जब छीनने लगता है, तो खुले आसमां की आेर नजर करवाती हैं किताबें मैं कली से फूल हो जाता हूं पल भर में  भंवरों की तरह जब मेरे आस पास गुनगुनाती हैं किताबें चिंता की कड़कती धूप जब चेतन पर करती है वार बरगद के पेड़ सी अपनी छांव में बुलाती हैं किताबें अक्कड़ जाती हैं जब बांहें किसी आलिंगन को सीने से मेरे बच्चे की तरह लिपट जाती हैं किताबें मेरी जिन्दगी निकल जाए जिसे सीखने में बस कुछ घंटों महीनों में वे सब सिखाती हैं किताबें राॅबिन, कार्नेगी, पोएलो आैर गोर्की तो चंद नाम हैं न जाने आैर कितनी हस्तियों से रूबरू करवाती हैं किताबें  हां, मैं रहता हूं इक छोटे से आशियाने में हैप्पी, मुझे भारत से रशिया फ्रांस तक घुमा लाती हैं किताबें  तुम पूछते हो तो बताता हूं, मेरे किस काम आती हैं किताबें

'प्रभु की रेल' से अच्छी है 'रविश की रेल'

जब सुरेश प्रभु रेल बजट पेश कर रहे थे, उसी समय एनडीटीवी के चर्चित पत्रकार एवं समाचार प्रस्तोता रवीश कुमार एक नई रेल चलाने में मशगूल थे। उम्मीद है कि रवीश की रेल, प्रभु की रेल से अधिक मजेदार लगेगी, क्योंकि में स्वाद, बेस्वाद, खट्टे मीठे स्वाद को शामिल किया गया है।    नई दिल्ली : रेल बजट का दिन आमतौर पर रोने-धोने में ही गुज़र जाता है। रेल अपने आप में किसी कथाकार से कम नहीं है। रोज़ अनगिनत कहानियां रचती चली जाती है। लेट होने से लेकर टिकट न मिलने के बीच कुछ अच्छी यादें भी हैं, जिन्हें यात्री अपने साथ किसी धरोहर की तरह संभालकर रखते हैं। इसी खयाल से आज मैंने अपने ट्विटर खाते पर पूछ लिया कि बताइए, किस स्टेशन का खाना आपको पसंद आता है और आप सफर के दौरान उस स्टेशन के आने का इंतज़ार करते हैं। इन व्यंजनों और स्टेशनों के नाम पढ़ते-पढ़ते मिनट भर में टाइमलाइन पर रेल का एक ऐसा नक्शा बना, जिससे पढ़ने वालों के मुंह में पानी भर आय़ा। मैं भी उनके जवाब को री-ट्वीट करने लगा। देखते-देखते मेरी टाइमलाइन पर सुरेश प्रभु से अलग ही रेल दौड़ने लगी। मैंने सोचा कि क्यों न व्यंजनों के हिसाब से इन्हें स

कोई मेरे भी कपड़े नीलाम करा दे!

श्रीराम चाचा के बहुत दिन बाद दर्शन हुए. वे मस्त मुद्रा में थे. मिलते ही बोले, ‘‘भतीजे कोई मेरी चड्ढी-बनियान नीलाम पर चढ़ा दे, तो मेरा काम बन जाये, बहुत कड़की चल रही है. नीलामी से नाम भी होगा और दाम भी मिल जायेंगे.’’ मुङो तुरंत समझ में आ गया कि चाचा नवलखा मोदी सूट से प्रभावित हो गये हैं. मैं कुढ़ कर बोला, ‘‘चाचा तुम तो ऐसे कह रहे हो जैसे मैंने कोई नीलामघर खोल रखा हो! और अगर खोल भी रखा हो तो तुम्हारे चड्ढी-बनियान को पूछेगा कौन? तुम सलमान खान हो या फिर तुम्हारे चड्ढी-बनियान में मोदी सूट की तरह सोने के तार बुने हैं?’’ चाचा तपाक से बोले, ‘‘भतीजे, सोने के तार नहीं हैं, पर यह तार-तार तो है.’’ फिर उन्होंने चुटकी से पकड़ कर बनियान को लहराया और कहा, ‘‘देख लो इसमें ‘मेड इन इंडिया’ से लेकर ‘मेक इन इंडिया’ तक!’’ उनकी बनियान में इतने छेद थे जितने कि मच्छरदानी में होते हैं. मैंने समझाने की कोशिश की, ‘‘क्यों अपनी इज्जत नीलाम करने पर तुले हो?’’ मगर चाचा टस से मस न हुए, बोले- ‘‘यहां तो लोग खुद नीलाम हो रहे हैं. देखो अभी आइपीएल में युवराज की 16 करोड़ रुपये की बोली लगी. जब इनसान की नीलामी में कोई शर्म नह

चैनल को नहीं उड़ाने दिया मोदी का मजाक

काठमांडू । नेपाल ने व्यंग्य पर आधारित एक मशहूर टेलीविजन कार्यक्रम के एक हिस्से के प्रसारण पर रोक लगा दी है जिसमें भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी का कथित रूप से मजाक बनाया गया था। जानकारी के मुताबिक नेपाल टेलीविजन (एनटीवी) ने 'टिटो सत्य' नामक कार्यक्रम के एक भाग का प्रसारण करने पर रोक लगा दी है। अब इसे एडिट कर अगले हफ्ते दिखाया जाएगा। चैनल के कार्यक्रम निदेशक प्रकाश जंग कार्की ने बताया कि एनटीवी के संपादकीय बोर्ड ने कार्यक्रम के 576वें भाग का प्रसारण नहीं करने का फैसला किया है। उनका कहना है कि इसके कुछ हिस्सों को संपादित किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा, 'यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। बात यह है कि संपादकीय टीम एक छोटे हिस्से को संपादित करना चाहती थी और समय के अभाव के कारण गुरुवार को कार्यक्रम के इस भाग को प्रसारण से वापस ले लिया गया।' कार्की ने कहा कि कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यंग्य है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि ऐसा कुछ है जिससे भारतीय प्रधानमंत्री की छवि को धक्का लगे। उन्होंने बताया कि इस एपिसोड में को एडिट करने के बाद अगले गुरूवार को इसका प्रसारण होगा। उधर, इस