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अब ट्विटर पर सुनिए मनपसंद गाने

वॉशिंगटन । 140 कैरेक्टर्स में आपके विचारों को समेटनेवाली माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने अब मनपसंद गाना सुनाने का नया फीचर शुरू किया है। ट्विटर पर आप अपने पॉडकास्ट, ऑडिओ क्लिप्स और म्यूजिक को अपनी या किसी की भी टाइमलाइन पर जाकर प्ले कर सकते हैं। यह सुविधा ट्विटर स्ट्रीम या मोबाइल डिवाइसेज पर उपलब्ध होगी। ट्विटर ने ब्लॉग पोस्ट में जानकारी दी कि दुनिया के सर्वाधिक प्रभावशाली म्यूजिशियन और मीडिया प्रड्यूसर पहले से ही यूनीक ऑडिओ कंटेंट इस साइट के जरिए शेयर कर रहे हैं। ऐसे में नया फीचर आपको ट्विटर पर सीधे म्यूजिक सुनने का अनुभव कराएगा। ये फीचर ट्विटर ऑडिओ कार्ड पर काम करेगा और एंड्रॉयड और आईओएस, सभी डिवाइसेज पर उपलब्ध होगा। अब ट्विटर ब्राउज करना और गाना सुनना साथ-साथ हो सकेगा। फिलहाल ट्विटर ने पार्टनर के रूप में बर्लिन आधारित साउंडक्लाउड नाम की ऑडिओ स्ट्रीमिंग सर्विस से गठजोड़ किया है। साउंडक्लाउड से जुड़े संगठनों में नासा, बीबीसी वर्ल्ड सर्विस, वाइट हाउस, डेविड गट्टा और कोल्डप्ले शामिल हैं। ट्विटर ने कहा है कि ये एक तरह से ऑडिओ कार्ड फीचर का टेस्ट रन है, ताकि भविष्य में अरबों फॉलोअर्स को बे

मीडिया कवरेज़ पर उठ रहे सवाल

हमारे प्रधानमन्त्री जी अमेरिका दौरे पर है। आइये कुछ सच्चाइयों से अवगत कराये। भारतीय मीडिया 1. नरेंद्र मोदी जी का भव्य स्वागत किया गया। * जब कि स्वागत के समय मात्र भारतीय मूल के पांच अफसर और एक अमेरिकन प्रोटोकॉल उपस्थित थे। 2. नरेंद्र मोदी जी के लिए कढ़ी सुरक्षा व्यवस्था। * जब कि एयरपोर्ट से होटल तक मोदी जी अपनी गाडी से अमेरिकन सुरक्षा व्यवस्था के बिना ही गए। कोई भी अमेरिकन पुलिस की मोटर साइकिल नहीं थी। 3. मोदी जी का अमेरिकन वासियो ने आथित्य स्वागत किया। * जब की अमेरिका दौरे का पूरा खर्च भारत ने किया। उनके ठहरने तक का खर्चा भारतीय दूतावास ने उठाया। 4. आइये देखे वहाँ के लोग और वहाँ के अखबार क्या कहते है। * न्यू यॉर्क टाइम्स में उनके आने का उल्लेख तक नहीं है। 2002 के दंगो के कारण वहा की कोर्ट द्वारा सम्मन दिए जाने का विवरण है। * वाशिंगटन पोस्ट ने उनका मज़ाक उड़ाते हुए लिखा है - "India’s Modi begins rock star-like U.S. tour" , यानि हमारे प्रधानमंत्री की तुलना वहाँ के नाचने - गाने वालों से की है। * वाशिंगटन पोस्ट ने यह भी लिखा है की भारत के प्रधानमंत्री के अमेरि

Inspiring Story— मछुआरा और बिजनैसमैन

एक बार एक मछुआरा समुद्र किनारे आराम से छांवमें बैठकर शांति से बैठा था । अचानक एक बिजनैसमैन ( कंप्यूटर/ आईटी फील्ड वाला ) वहाँ से गुजरा और उसने मछुआरे से पूछा "तुम काम करने के बजाय आराम क्यों फरमा रहे हो?" इस पर गरीब मछुआरे ने कहा "मैने आज के लिये पर्याप्त मछलियाँ पकड चुका हूँ ।" यह सुनकर बिज़नेसमैन गुस्से में आकर बोला" यहाँ बैठकर समय बर्बाद करने से बेहतर है कि तुम क्यों ना और मछलियाँ पकडो ।" मछुआरे ने पूछा "और मछलियाँ पकडने से क्या होगा ?" बिज़नेसमैन : उन्हे बेंचकर तुम और ज्यादा पैसे कमा सकते हो और एक बडी बोट भी ले सकते हो । मछुआरा :- उससे क्या होगा ? बिज़नेसमैन :- उससे तुम समुद्र में और दूर तक जाकर और मछलियाँ पकड सकते हो और ज्यादा पैसे कमा सकते हो । मछुआरा :- "उससे क्या होगा ?" बिज़नेसमैन : "तुम और अधिक बोट खरीद सकते हो और कर्मचारी रखकर और अधिक पैसे कमा सकते हो ।" मछुआरा : "उससे क्या होगा ?" बिज़नेसमैन : "उससे तुम मेरी तरह अमीर बिज़नेसमैन बन जाओगे ।" मछुआरा :- "उससे क्या होगा ?" बिज़नेसमैन : "अरे

प्रियंका की चुप्‍पी पर अटका कांग्रेस का अधिग्रहण

16वीं लोक सभा के चुनावों में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी को मिले जोरदार जनादेश के बाद राजनीति पार्टियों में उठ पटक का दौर जारी है। इस बार के चुनावों ने राजनीतिक परिदृश्‍य को बदलकर रख दिया, लेकिन ताजुब की बात है कि आज भी राजनीतिक पार्टियां उस जद हैं, जिसके कारण हारी थी। इस जनादेश में अगर सबसे बड़ा झटका किसी पार्टी को लगा है, वो है कांग्रेस। देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को विपक्ष में बैठने के लिए भी गठनबंधन की जरूरत होगी। जब देश की सबसे बड़ी एवं लम्‍बे समय तक शासन करने वाली पार्टी की यह दुर्दशा हो जाए तो पार्टी के भीतर से विरोधी सुर उठने तो लाजमी हैं। जो नेता चुनावों से पहले दबी जुबान में बोलते थे, आज वो सार्वजनिक रूप से अपना दर्द प्रकट कर रहे हैं। और दिलचस्‍प बात तो यह है कि विरोधी सुर उनके खिलाफ हैं, जिनके इस्‍तीफे को पार्टी हाईकमान ने स्‍वीकार करने मना कर दिया। कल जिसके नेतृत्‍व में चुनाव लड़ा जा रहा था, आज उसके खिलाफ आवाजें उठ रही हैं। बड़ी की शर्मनाक हार के बाद ऐसा होना था। लेकिन इन्‍हीं आवाजों में एक आवाज परिवार सदस्‍य प्रियंका गांधी के पक्ष में

नरेंद्र मोदी, मीडिया और अरविंद केजरीवाल

गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी से अधिक मीडिया पीड़ित कोई नहीं होगा। मोदी जितना तो बॉलीवुड में भी आपको मीडिया पीड़ित नहीं मिलेगा। ग्‍यारह साल तक निरंतर मीडिया के निशाने पर रहे। मीडिया का विरोधी सुर इतना कि उनको पांच इंटरव्‍यूओं को छोड़कर भागना पड़ा। 2012 ढलते वर्ष के साथ एक नए नरेंद्र मोदी का जन्‍म हुआ। यह ग्‍यारह साल पुराना नरेंद्र मोदी नहीं था। इस समय नए नरेंद्र मोदी का उदय हो रहा था। गुजरात की सत्‍ता चौथी वार संभालने की तरफ कदम बढ़ रहे थे। गुजरात की जीत उतनी बड़ी नहीं थी, जितना बड़ा उसको दिखाया गया। इसके पीछे सबसे बड़ा हाथ एपको वर्ल्‍ड, पीआर एजेंसी का, जिसने अपने हाथ में मीडिया रिमोट ले लिया था। 2012 की जीत बड़ी नहीं थी। इसका तथ्‍य देता हूं, जब नरेंद्र मोदी पहली बार गुजरात में मुख्‍यमंत्री बने तो उनकी सीटें 127 थी, दूसरी बात सत्‍ता में आए तो उनकी सीटें 117 तक घिसककर आ गई थी। अंत 2012 में यह आंकड़ा महज 116 तक आकर रुक गया। मगर मोदी का कद विराट हो गया, क्‍यूंकि मीडियाई आलोचनाओं के बाद भी नरेंद्र मोदी निरंतर गुजरात की सत्‍ता पर काबिज होने में सफल हुए। ग्‍यारह सा