संदेश

देखिए 'क्रिश 3' का ट्रेलर, पढ़िए कुछ और बातें

चित्र
'कोई मिल गया'से शुरू हुआ रोमांचक सफर 'क्रिश 3' तक पहुंच गया है। आधुनिक तकनीक का इस्‍तेमाल कर बॉलीवुड में बनाई जा रही फिल्‍म 'क्रिश 3'कहीं न कहीं हॉलीवुड को पीछे छोड़ने की होड़ में बॉलीवुड की ओर से बढ़ाया एक कदम लगता है। राकेश रोशन भले ही रुपहले पर्दे पर बतौर नायक अच्‍छी पारी न खेल सकें, और लेकिन बतौर निर्देशक जो उन्‍होंने बॉलीवुड को अपना हुनर दिया, बेलजवाब रहा है।  राकेश रौशन ने बॉलीवुड में बतौर निर्देशक पहली फिल्‍म शत्रुघ्‍न सिन्‍हा और जितेंद्र को लेकर खुदगर्ज बनाई थी, जिसका बाद में रीमेक तमिल में बना, जिसमें रजनीकांत ने काम किया, हालांकि इस फिल्‍म का निर्देशन सुरेश कृष्‍णा ने किया था। इसके बाद राकेश रौशन ने दूसरी फिल्‍म का निर्देशन किया, जो हिन्‍दी इतिहास के जगत में महानतम फिल्‍मों में शामिल हुई, 'खून भरी मांग'। फिल्‍म का नाम सुनते रेखा का अभिनव आंखों के सामने जीवंत हो उठता है। रेखा के जख्‍मों को लोग आज भी नहीं भूले। शाह रुख खान और सलमान खान की यादगार फिल्‍म 'करण अर्जुन' का निर्देशन भी राकेश रोशन ने किया था, इस फिल्‍म की कहानी, किरदा

गजब ये लड़कियां, हॉकी स्‍टिक से लिखा इतिहास

चित्र
भारत की लड़कियों ने जर्मनी में इतिहास रच दिया है। महिला हॉकी के समूचे इतिहास में पहली बार, और किसी भी तरह की हॉकी में पूरे 38 साल बाद वे किसी वल्र्ड कप का कोई मेडल जीतकर भारत लाई हैं। और इस टूर्नामेंट के दौरान क्या शानदार हॉकी खेली है उन्होंने। स्पेन को 4:2 से, न्यूजीलैंड को 2:0 से और रूस को 10:-1 से दौड़ा दौड़ा कर मारा। इंग्लैंड के साथ ब्रांज मेडल के लिए हुए अपने अंतिम मैच से हजारों विदेशी दर्शकों के सामने ऐसी परफार्मेंस दी, जो शायद उन्हें जिन्दगी भर याद रहे।  70 मिनट के नियमित समय में 1-:1 पर बराबर छूटे इस  मैच का फैसला टाईब्रेकर से होना था। भारत की गोल रक्षा का जिम्मा बुरी तरह थकी मणिपुर की निंगोमबाम की जगह झारखंड की बिगोन सोय ने संभाला, जिन्हें महिलाओं के इस जूनियर वल्र्ड कप में तब तक एक मिनट के लिए भी मैदान में उतरने का मौका नहीं मिला था। दूसरे टाई ब्रेकर में भारत की तरफ से दागे तीन में से दो गोल निशाने सही पड़े, जबकि इंग्लैंड की तरफ से मारे गए तीन में से सिर्फ एक ही शॉट को जाल में उलझने का मौका बिगोन सोय की तरफ से मिल पाया। भारत की तरफ से मैदान में सबसे बड़ा कमाल दिखाया मा

सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को 'पत्र' लिखा

चित्र
सोनिया गांधी, संयुक्‍त प्रगतिशील गठबंधन की चेयरपर्सन ने देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा, लेकिन यह कोई प्रेम पत्र नहीं था। यह पत्र आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्‍ति नागपाल के निलम्‍बन को लेकर लिखा गया, इस पत्र में सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह से आग्रह किया, 'सरकार आईएएस अधिकारी के साथ किसी तरह की नइंसाफी न होने दे, और सरकार ने अब तक इस मामले में क्‍या काईवाई की उसकी जानकारी मांगी।' जब सोनिया गांधी के पत्र की ख़बर सामने आई तो दिमाग का चक्‍का घूमा। खयाल आया कि आजकल सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के बीच पति पत्‍नि वाला मनमुटाव हो गया क्‍या ? जैसे टीवी सीरियलों में होता है, जब पति पत्‍नि में अनबन हो जाती है तो टि्वटर नमूना पर्चियों का सहारा लेते हैं एक दूसरे को अपनी बात कहने के लिए, वैसे तो साधारण परिस्‍थितियों में रिमोट होम मिनिस्‍टर के हाथ में ही होता है, होम मिनिस्‍टर कहने भर से काम चल जाएगा, मुझे यकीन है। सोनिया गांधी, जिन पर अक्‍सर आरोप लगता है कि संप्रग सरकार को मनमोहन सिंह नहीं, स्‍वयं सोनिया गांधी चलाती हैं, शायद वैसे ही जैसे बड़े बड़े अधिकारी कार की पिछली सी

अमेरिका के पहले राष्‍ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन नहीं थे

चित्र
जब 1776 में अमेरिकी कॉलोनियों को ब्रिटिश साम्राज्‍य से स्‍वतंत्रता मिली, और 1789 में जॉर्ज वाशिंगटन पहले राष्‍ट्रपति अमेरिका चुने गए।  लेकिन इतिहास के पन्‍ने पलटने पर यह पता चला है , वर्जिनिया का पहला राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन नहीं हो सकता। समस्‍या यह है कि इतिहासकारों ने अमेरिकी इतिहास के कुछ सालों को भूलाकर आगे से इतिहास लिखना शुरू कर दिया था। आजादी की लिखित घोषणा 1776 में हुई, लेकिन अमेरिका का संविधान 1787 में लिखा गया, और वाशिंगटन राष्‍ट्रपति 1789 में नियुक्त हुए।   उन बीच के वर्षों में अमेरिका को एक सरकार द्वारा चलाया गया। इसका मतलब साफ है कि इस दौरान किसी पहले राष्‍ट्रपति द्वारा अमेरिका का नेतृत्‍व संभाला गया।   जी हां, अमेरिका के पहले राष्‍ट्रपति जॉन हैनसन हैं। 1776 में राष्‍ट्रीय सरकार के समय जॉन हैनसन महाद्वीपीय कांग्रेस, अमेरिकन कॉलोनीज के अध्‍यक्ष थे। जब उन्‍होंने आजादी के घोषणा पत्र पर हस्‍ताक्षर किए, तत्‍काल उनको अमेरिका का राष्‍ट्रपति बनाया गया था।  दूसरा, पहला राष्‍ट्रपति सैम्‍यूल होंटिंगटन थे, लेकिन उनको नजरअंदाज किया गया, क्‍यूंकि उसने एक परिभाषा

अखिलेश दुर्गा ले लेगी तेरी जान, तू लिखके ले ले

चित्र
युवा पीढ़ी आमने सामने है। एक तरफ युवा आईएएस अधिकारी तो दूसरी तरफ युवा मुख्‍यमंत्री। एक महिला वर्ग का नेतृत्‍व कर रहा है तो दूसरा पुरुष वर्ग का। एक ने कड़ी मुश्‍क्‍कत के बाद पद हासिल किया तो एक को पिता से विरासत में मिली गद्दी।  जी हां, उत्‍तर प्रदेश के युवा मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव को पिता की ओर से विरासत में गद्दी मिली है, हालांकि दुर्गा शक्‍ति नागपाल के साथ ऐसा नहीं हुआ। आईएएस के इम्‍तिहानों को पास करना कोई बच्‍चों का खेल नहीं, खासकर नेताओं का तो बिल्‍कुल नहीं। अखिलेश यादव ने जब आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्‍ति नागपाल को निलंबित करने के मामले को सही ठहराते हुए सफाई दी, तब शायद उनको याद भी नहीं आया कि यूपी के रामपुर में एक मदरसा गिराया गया है, वहां पर भी स्‍थिति बिगड़ सकती थी, लेकिन वहां तो कोई इस तरह की कार्रवाई नहीं हुई। यह बात तब सामने आई, जब फिल्‍म अभिनेत्री से राजनेता बनीं, जयप्रदा ने अखिलेश यादव से सवाल करते हुए पूछा कि क्या मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को यह पता नहीं है कि रामपुर में 23 जुलाई को एक मदरसा तोड़ दिया गया था? इससे भी तो माहौल खराब हो सकता था? फिर रामपुर में किसी