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रणभूमि की चलत-तस्वीर 'सेविंग प्राइवेट रेयान'

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जज्बा किस चिड़िया का नाम है? युद्ध किसे कहते हैं? देश के लिए लड़ने वालों की स्थिति मैदान जंग में कैसी होती है? युद्ध के समय वहां पर क्या क्या घटित होता है? युद्ध सेनाओं से नहीं, हौंसलों से भी जीता जा सकता है। कुछ तरह की स्थिति को बयां करती है 1998 में प्रदर्शित हुई 'सेविंग प्राइवेट रेयान'। फिल्म की कहानी शुरू होती है ओमाहा बीच जर्मनी से, जहां जर्मन फौजें और अमेरिकन फौजें आपस में युद्ध कर रही होती हैं। ओमाहा बीच पर उतरी अमेरिकन फौज की टुकड़ी की स्थिति बहुत नाजुक हो जाती है, पूरी टुकड़ी हमलावरों के निशाने में आने से लगभग खत्म सी हो जाती है। कुछ ही जवान बचते हैं, जो हौंसले के साथ आगे बढ़ते हुए दुश्मनों पर फतेह हासिल कर अपने मशीन को आगे बढ़ाते हैं। ओमाहा बीच पर उतरी टुकड़ी की अगवाई कर रहे कैप्टन जॉहन एच मिलर (टॉम हंक्स) को हाईकमान से आदेश मिलता है कि एक जवान को ढूंढकर उसके घर पहुंचाना है। उसके लिए कैप्टन मिलर को एक टीम मिलती है। युद्ध चल रहा है, लेकिन कैप्टन अपनी ड्यूटी निभाते हुए उस नौजवान जेम्स फ्रांसिस रेयान (मैट डॉमन) को ढूंढने निकल पड़ता है। इस दौरान उसको कई चुनौतियों का सामना करना

बाल दिवस-विशेष कविता

आज के बच्चे कल के नेता स्कूलों की सफेद दीवारों पर नीले अक्षरों में लिखा पढ़ा अक्सर। लेकिन अभिभावकों से सुना अक्सर बनेगा मेरा बेटा बड़ा डॉक्टर, इंजीनियर, या फिर कोई ऑफिसर। किसी ने नहीं जाना क्या चाहते हो तुम, और कौन सी प्रतिभा है तेरे अंदर। कभी टीचर ने, कभी अभिभावकों ने बस नचाया जैसे मदारी नचाए कोई बंदर। हूं तो हिन्दुस्तानी बीच में पढ़ाई छुड़वाती बोली इंग्लिश्तानी क्योंकि हिन्दी नहीं, पास होना है तो इंग्लिश जरूरी इस लिए न चाहते है उसको पढ़ना है अपनी मजबूरी

एंजेल्स एडं डिमोंस - एक रोचक फिल्म

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अगर आप एक रहस्यमयी, एक्शन एवं गंभीर विषय की फिल्में देखना पसंद करते हैं या हॉलीवुड अभिनेता टॉम हंक्स की अदाकारी के कायल हैं तो आपके लिए 'दी दा विंची कोड' से विश्व प्रसिद्धी हासिल कर चुके डान ब्राउन के उपन्यास आधारित फिल्म 'एंजेल्स एंड डिमोंस' एक बेहतरीन हो सकती है, इस फिल्म का निर्देशन 'दी दा विंची कोड' बना चुके हॉलीवुड फिल्म निर्देशक रॉन होवर्ड ने किया है। कहानी : फिल्म की कहानी ईसाई धर्म के आसपास घूमती है। रोम कैथोलिक चर्च के पोप की मृत्यु के बाद नए पोप के चुनाव के लिए रीति अनुसार समारोह आयोजित होता है। नया पोप बनने के लिए मैदान में चार उम्मीदवार होते हैं, जिनका अचानक समारोह से पहले ही अपहरण हो जाता है। उनका अपहरण ईसाई धर्म से धधकारे गए इल्यूमिनाटी समुदाय के लोग करते हैं, जो विज्ञान में विश्वास रखते हैं। इल्यूमिनाटी चेतावनी देते हैं कि चार धर्म गुरूओं की बलि चढ़ा दी जाएगी और वैटीकन सिटी को रोशनी निगल जाएगी, मतलब विशाल धमाका होगा, जिसे वैटीकन सिटी तबाह हो जाएगी। उन दुश्मनों तक पहुंचने के लिए चिन्ह विशेषज्ञ प्रो. रोबर्ट लैंगडन (टॉम हंक्स) को बुलाया जाता है। उ

शब्द लापता हैं

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कुछ लिखना चाहता हूं, पर शब्द लापता हैं आते नहीं जेहन में कुछ इस तरह खफा हैं चुप क्यों हो मां कुछ तो बोलो कहां से लाऊं वो शब्द जो तेरा दर्द बयां करें कहां से लाऊं पापा बोलो ना दर्द निवारक वो शब्द जो तेरी पीड़ा को हरें कहां से लाऊं वो शब्द जो घर में हर तरफ खुशी खुशी कर दें कहां से लाऊं वो शब्द जो भारत मां के जख्मों को इक पल में भर दें कहां से लाऊं वो शब्द ए जान-ए-मन जो तेरे मुझराए चेहरे को खिला दें कहां से लाऊं वो शब्द जो इक पल में हिन्दु-मुस्लिम का फर्क मिटा दें कहां से लाऊं वो शब्द जो मेरे ख्यालों को हर शख्स का ख्याल कर दें कहां से लाऊं वो शब्द जो कुलवंत हैप्पी को सिद्ध 'मां का लाल' कर दें

आज की सबसे बड़ी खबर

आज की सबसे बड़ी ख़बर लेकर हाजिर हूं, मैं "खुसर फुसर", वैसे तो बड़ी खबरों को प्रस्तुत करने के लिए बड़े बड़े न्यूज एंकर होते हैं, लेकिन वेतन न मिलने के कारण सब के सब जेट एयरवेज के पायलटों से प्रेरित होकर अचानक सामूहिक छुट्टी पर चले गए। ऐसे में चैनल को चलाने के लिए मालिक ने मुझे एंकर बना दिया। कहीं जाईएगा मत, क्योंकि हम भी कहीं जाने वाले नहीं, ब्रेक तो तब ही आएगा, जब विज्ञापन होगा। विज्ञापन ही नहीं तो ब्रेक कैसा। हां हां हां... आज की बड़ी खबर है, जो कि है डंके की चोट पर लिखने वाले प्रभाष जोशी नहीं रहे! कलम में सियाही नहीं शब्दी बारूद रखने वाले प्रभाष जोशी लम्बी प्रवास पर चले गए, लेकिन उन्होंने जो अब तक पत्रकारिता को दिया है, वो उनकी मौजूदगी को सदैव जमीन पर कायम रखेगा। और जानकारी लेने के लिए सीधा चलते हैं...उनके घर पर नहीं बल्कि इधर उधर से जानकारी एकत्र करने के लिए, क्योंकि हमारे पास रिपोर्टर भी नहीं, जो सीधा प्रसारण करने में हमारी मदद करें। ऐसे में हमको सहारा लेना पड़ेगा ब्लॉग जगत का..वैसे भी तो हमारे चैनल वालों के पास रह ही क्या गया है? आप बस बने रहें, वरना मुझे न्यू एंकर बनने का जो म