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कांग्रेसियों का 'ब्रह्मचर्य व्रत'

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कहते हैं जो पकड़ा गया वो चोर बड़ा। जो समय रहते स्‍वीकार कर गया वो सबसे बड़ा महान, जैसे कि मोहनदास कर्म चंद गांधी। मगर अफसोस है कि अब कांग्रेसी नेताओं को स्‍वीकार करने का मौका ही नहीं मिलता या तो लड़कियां आत्‍म हत्‍या कर नेताओं को बेनकाब कर देती हैं या फिर कुछ साल बाद गलतियां पुत्रों का जन्‍म लेकर जग जाहिर हो जाती हैं। शायद महात्‍मा गांधी की परंपरा को कांग्रेसी नेता बरकरार रखने की कोशिश में लगे हुए हैं, भले दूसरी तरफ सत्‍ता में बैठी कांग्रेस महिलाओं की सुरक्षा का पूरा पूरा जिम्‍मा उठाने का भरोसा दिला रही है। कथित तौर पर कुछ महीनों से ब्रह्मचर्य का व्रत, जिससे हम बलात्‍कार भी कह सकते हैं,  कर रहे एक नेता विक्रम सिंह ब्रह्मा को क्षुब्‍ध महिलाओं ने असम में पीट डाला, और कांग्रेस को एक बार फिर शर्मिंदा होना पड़ा। शायद कांग्रेस शर्मिंदा न होती। अगर आज हमारे राष्‍ट्रपिता की तरह विक्रम सिंह ब्रहमा भी जनता के बीच आकर महिला के साथ किए अपने ब्रह्मचर्य व्रत की स्‍वीकृति करते। जैसे गांधी जी ने एक पत्र में लिखा था कि 'मुझे मालूम है कि शिविर के सभी लोग जानते हैं कि मनु मेरी खाट में साझेदारी

पद्मनी को भुला दिया, दामिनी को भी भूल जाएंगे

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एल आर गाँधी   केरल में कोच्ची की एक मस्जिद में 23 नवम्बर को, आतंकी अजमल कसाब जिसे 21 नवम्बर को फांसी पर लटका दिया गया था, के लिए नमाज़ पढ़ी गई। मस्जिद की प्रबंधक समिति ने कसाब के लिए नमाज़ पढने वाले इमाम को उसके पद से हटा दिया। ज़ाहिर है इमाम की इस करतूत को मस्जिद के प्रबंधकों ने राष्ट्र विरोधी माना और उसको इमाम के पद से हटा दिया। मगर केरल की कांग्रेस सरकार ने इस देशद्रोही इमाम के खिलाफ कोई कार्रवाही करना उचित नहीं समझा! करें भी कैसे? केंद्र की और राज्य की सेकुलर सरकारें तो आस्तीन में सांप पालने में वैसे ही माहिर हैं। अभी अभी पिछले दिनों हमारे गृह मंत्री शिंदे जी महाराज ने तो मुंबई पर आतंकी हमले के  'आका ' हाफिज सईद को 'श्री' के अलंकार के साथ संबोधित कर अपनी चिर परिचित सेकुलर मानसिकता का परिचय दे ही दिया। हर मुस्लिम नाम के आगे श्री और पीछे जी लगाना कभी नहीं भूलते हमारे ये 'सेकुलर' हुक्मरान ..... भूलें भी कैसे ....वोट बैंक की दरकार जो है। हमारे दिग्गी मिया ने तो हद ही कर दी जब दुनिया के दुर्दांत आतंकी ओसामा बिन लादेन को देश के परम आदरणीय शब्द 'जी' से संब

उठता धुआं (ओवैसी), किसी आगजनी का अंदेशा

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लगता है देश एक बार फिर से किसी भयानक हादसे से गुजरने वाला है। देश के हुकमरान एक बार फिर किसी को पनपने की वो हर परिस्‍थिति मुहैया करवा रहे हैं, जो आज से कुछ साल पहले कुछ समुदाय नेताओं की दी गई एवं अंत तो पूरा विश्‍व जानता है। मगर अफसोस यह गलती एक ही परिवार बार बार कर रहा है।   कथित तौर पर   लिट्टे को जन्‍म देना वाला। पंजाब में सिखों के अलग राज की मांग करने वाले संत। सभी को उभरने के लिए गांधी परिवार ने अपना पूरा सहयोग दिया। मगर जब इन्‍होंने गांधी परिवार से आगे जाकर अपनी खुद की पैठ बनानी शुरू की तो गांधी परिवार को बुरा लगा। अफसोस इसमें नुकसान आम आदमी को भुगताना पड़ा। अब एक बार फिर गांधी परिवार अपनी पुरानी भूल को दोहराने जा रहा है, लेकिन इत्तेहादुल मुसलमीन के विधायक अकबरउद्दीन ओवैसी के रूप में। अकबरउद्दीन ओवैसी के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने नई दिल्ली के पार्लियामेन्ट स्ट्रीट के डीसीपी को एक पत्र लिख कर शिकायत की है कि ओवैसी ने 24 दिसम्‍बर 2012 को आंध्र प्रदेश के निर्मल शहर में बेहद भड़काऊ भाषण दिया गया था। पूरा भाषण बेहद आपत्तिजनक है, हिंदू धर्म के खिलाफ भड़काऊ और हमारी सा

न नेता सुधरेंगे न अभिनेता

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दिल्‍ली गैंगरेप के बाद नेता और अभिनेता टेलीविजन पर आंसू बहाते नजर आए। मगर संसद एवं मायानगरी में पाए जाने वाले ये अद्भुत प्राणी कभी नहीं सुधर सकते। पहले ही दिन एक नेता ने गीतिका को नौकर बताकर नए साल की बेहतरीन शुरूआत की दी। कांग्रेसी नेता एक अन्‍य सहयोगी नेता के जन्‍मदिवस पर जश्‍न मनाने में मशगूल थे, जिन पर आत्‍महत्‍या के लिए मजबूर करने का आरोप है। किसी ने नेता से पूछ लिया गीतिका केस के बारे में, दरअसल यह सवाल उस लड़की के बारे में, जो कभी कांग्रेसी नेता गोपाल कांडा की कंपनी में अधिकारी हुआ करती थी, एक दिन आत्‍महत्‍या कर ली। जहां कांग्रेस सरकार दिल्‍ली में बैठकर महिला सुरक्षा घेरे को मजबूत करने की दावे कर रही है, वहीं दिल्‍ली के पड़ोसी राज्‍य में उसके नेता महिलाओं के प्रति किसी तरह का नजरिया रख़ते हैं के उदाहरण पेश कर रहे हैं। हरियाणा के एक मंत्री शिव चरण शर्मा ने कहा, गोपाल कांडा ने गलती से एक गलत नौकर को रख लिया था, वो मामला इतना बड़ा नहीं, यह बयान उस लड़की के संबंध में थे, जिससे गोपाल कांडा के काफी करीबी रिश्‍ते होने की बातें सामने आई, और उस लड़की ने अंत आत्‍म हत्‍या कर ली थी। गीति

अब बलात्‍कारी भी होंगे ऑन लाइन !

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#उलटी चप्‍पल   अगर आप बलात्‍कारियों से नरफत करते हैं, और आप उनकी सुपारी देना चाहते हैं, तो आपके लिए एक अच्‍छी ख़बर है कि सरकार बहुत जल्‍द बलात्‍कारियों की वेबसाइट पर पूरी जानकारी डालेगी, जिसमें उनका नाम, फोटो एवं घरे के पते आदि शामिल होंगे। अभी तो फिलहाल गृह राज्यमंत्री आर पी एन सिंह ने राष्ट्रीय अपराध रेकॉर्ड ब्यूरो को इतना ही करने का निर्देश दिया है। अगर गुप्‍त पूर्वानुमान कर्ताओं की मानें तो सरकार आने वाले समय में बलात्‍कारियों को जेलों में कम्‍प्‍यूटर एवं इंटरनेट मुहैया करवाकर देगी एवं फेसबुक या अन्‍य सोशल साइट माहिरों से संपर्क कर एक अच्‍छी चैट एपिलकेशन का प्रबंध भी करेगी, ताकि बलात्‍कारी अपने विचारों का आदान प्रदान कर सकें। बलात्‍कार का शिकार हो चुकी युवतियां, महिलाएं एवं बच्‍चियां अपने पर कहर ढहाने वालों से बातचीत कर अपने मन की भड़ास निकाल सकें या फिर अपने घर पर लगे कम्‍प्‍यूटर की स्‍क्रीन पर उनको वीडियो चैट पर लेकर जूते आदि मार सकें। सरकार ने यह कदम लोगों की पुरजोर आ रही मांग को देखते हुए उठाया है, जिसमें कहा जा रहा था, बलात्‍कारियों को सार्वजनिक करो, उनको सार्वजनिक सज

प्रधान मंत्री के नाम खुला पत्र

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प्रिय मनमोहन सिंह। मैं देश का आम नागरिक हूं। मुझे ऐसा लगने लगा है कि अब देश पर चल रही साढ़े साती खत्‍म होने का वक्‍त आ गया है। आपको अब नैतिक तौर पर अपने पद से अस्‍तीफा दे देना चाहिए। बहुत मजाक हो चुका। अब और मत गिराओ प्रधान मंत्री पद की गरिमा को। तुम राष्‍ट्र संदेश के अंत में पूछते हो ठीक है, जबकि देश में कुछ भी ठीक नहीं। हर तरफ थू थू हो रही है। उस समय 'ठीक' शब्‍द बहुत ख़राब लगता है, जब देश के नागरिक ठीक करवाने के लिए सड़कों पर उतर कर दमन का सामना कर रहे हों। प्रिय मनमोहन सिंह मैं जानता हूं, चाय में चायपत्‍ती की मात्र चीनी, पानी एवं दूध से कम होती है। मगर पूरा दोष चायपत्‍ती को दिया जाता है, अगर चाय अच्‍छी न हो। मैं जानता हूं, आपकी दशा उस चायपत्‍ती से ज्‍यादा नहीं, लेकिन अब बहुत हुआ, अब तो आपको सोनिया गांधी पद छोड़ने के लिए कहे चाहे न कहे, आपको अपना पद स्‍वयं जिम्‍मेदारी लेते हुए छोड़ा देना चाहिए, ये ही बेहतर होगा। वरना पूरा देश उस समय सदमे में पहुंच जाएगा। जब सचिन की तरह आपके भी संयास की ख़बर एक दम से मीडिया में आएगी। सचिन के नाम तो बहुत सी अच्‍छी उपलब्‍िधयां हैं, लेकिन

'जनांदोलन' नहीं, 'जनाक्रोश'

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राहुल गांधी, अब जनपथ से बाहर आइए। इंडिया गेट पर पहुंचकर, उस युवा पीढ़ी के साथ खड़े होने का दम दिखाईए। जिसको बार बार राजनीति में उतरे का आह्वान आप हर राजनीति रैली में कर रहे थे। इस बार पुलिस असफल हो रही है भीड़ को खदेड़ने में, क्‍यूंकि यह जनांदोलन नहीं, जनाक्रोश है। जो ज्‍वालामुखी की तरह एक दम से फूटता है, और पानी की बौछारें उस आग का कुछ नहीं बिगाड़ पाती, जो ज्‍वालामुखी से उत्‍पन्‍न होती है। जो जनाक्रोश दिल्‍ली में अभी देखने को मिल रहा है। वो अब तक हुए जनांदोलनों से कई गुना ज्‍यादा आक्रामक है। वहां हर कोई पीड़ित है। वहां हर कोई सरकार से पूछना चाहता है आखिरी कब मिलेगी असली आजादी। लड़कियां तो लड़कियां इस जनाक्रोश में तो लड़के भी बहुसंख्‍या में शामिल नजर आ रहे हैं, जो कहीं न कहीं बदलते समाज की तस्‍वीर को उजागर करते हैं। ये वो युवा पीढ़ी है, जो आने वाले कल में देश को नई पनीरी देगी। जो आज दिल्‍ली में आक्रोशित हैं, वो कल अपने बच्‍चों को शायद एक अच्‍छा नागरिक बनाने में तो अपनी जी जान लगाएगी। वहीं, दूसरी तरफ उस अस्‍पताल के बाहर कुछ कानून की पढ़ाई कर रहे छात्र नुक्‍कड़ नाटक के प्रति लोगों को

दिल्‍ली की प्रशासक महिला, फिर महिला असुरक्षित!

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दिल्‍ली गैंगरेप मामले ने उस तरह तुल पकड़ लिया, जिस तरह मुम्‍बई में हुए आतंकवादी हमले ने। भले ही इससे पहले भी गैंगरेप हुए थे, भले ही इससे पहले भी आतंकवादी हमले हुए थे। शायद किसी न किसी चीज की एक हद होती है, जब हद पार हो जाए तो उसका विनाश तय होता है। दिल्‍ली गैंगरेप के बाद लोग सड़कों पर उतर आए, मगर दिल्ली की मुख्‍यमंत्री शीला दीक्षित कहती हैं, उनमें हिम्‍मत नहीं कि वो रेप पीड़िता से मिल सकें, लगातार तीन बार दिल्‍ली की जनता ने उनको मुख्‍यमंत्री बनाया। दिल्‍ली का प्रशासन एक महिला के हाथ में है, मगर हैरत की बात है कि दिल्‍ली को महिलाओं के लिए असुरक्षित माना जा रहा है। इससे पहले दिल्‍ली पर सुषमा स्‍वराज का राज रहा। निरंतर महिलाएं दिल्‍ली की सत्‍ता संभालें हुए हैं, मगर फिर भी दिल्‍ली सुरक्षित नहीं महिलाओं के लिए। देश की सबसे बड़ी पार्टी को चलाने वाली सोनिया गांधी   दिल्‍ली में दस जनपथ पर रहती हैं। वहीं, सेक्‍सी शब्‍द को सुंदरता की संज्ञा देने वाली महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा   भी तो दिल्‍ली में बसती हैं। गैंग रेप मामले ने जैसे ही तुल पकड़ा तो सेक्‍सी शब्‍द की सुंदरता से तुलना करने वा

असली 'द व्‍हाइट टाइगर' नरेंद्र मोदी

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अपनी पहली बुक 'द व्‍हाइट टाइगर' से धूम मचाने देने वाले अरविंद अडिगा को अगर अपनी दूसरी बुक लिखने का मन करे तो वो नरेंद्र मोदी पर लिख सकते हैं, क्‍यूंकि नरेंद्र मोदी भी 'अरविंद अडिगा' की किताब 'द व्‍हाइट टाइगर' के किरदार की तरह काफी उतार चढ़ावों से गुजरते हुए गुजरात की सत्‍ता पर विराजमान हुए हैं। नरेंद्र मोदी का जन्‍म उत्‍तर गुजरात में पड़तते वडनगर कस्‍बे के एक मध्‍य वर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता चाय बेचने का कार्य करते थे, उनकी मां हीरा बा को आज भी विश्‍वास नहीं होता कि उनका पुत्र नरेंद्र आज देश की राजनीति में सबसे बड़े कद के नेताओं को मात दे रहा है। नरेंद्र मोदी, चौथी बार गुजरात के मुख्‍यमंत्री बनने जा रहे हैं, जबकि 2012 के विधान सभा चुनावों में हुई उनकी इस  जीत को उनकी चुनावी हैट्रिक कहा जा रहा है। दरअसल केशुभाई पटेल के 2001 में त्‍याग पत्र देने के बाद तत्‍कालीन सत्‍ताधारी पार्टी भाजपा ने अपनी सरकार की बागडोर नरेंद्र मोदी को सौंप दी थी। शायद तब भाजपा को भी अंदाजा न था कि नरेंद्र मोदी इतना लम्‍बा राजनीति की पिच पर खेल पाएंगे, क्‍यूंकि गुजरात की राजनीति में

रेप रेप रेप, अब ब्रेक

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दिल्‍ली से केरल तक रेप की ख़बरें। भारतीय संस्‍कृति ऐसी तो नहीं। फिर क्‍यूं अपने घर में, देश की राजधानी में सेव नहीं गर्ल। लड़कियां कल का भविष्‍य हैं, कहकर कन्‍या भ्रूण हत्‍या पर तो रोक लगाने की हम सब जंग लड़ रहे हैं, लेकिन जिंदा लड़कियों को जिन्‍दा लाश में तब्‍दील करने के खिलाफ कब लड़ना शुरू करेंगे हम। कभी दिल्‍ली की चलती बस में लड़की के साथ रेप होता है, तो कभी घर में उसके अपने ही उसके बदन के कपड़े तार तार कर देते हैं। कभी केरल से ख़बर आती है बाप ने अपनी बेटी से कई सालों तक किया रेप। रेप रेप रेप सुनकर तंग आ चुके हैं, अब ब्रेक लगना चाहिए। गैंग रेप की घटना होने के बाद सारा कसूर पुलिस प्रशासन पर डाल देते हैं। हजारों मामलों की पैरवी कर रही पुलिस इस को भी एक मामला समझ कार्रवाई शुरू कर देती है। कई सालों बाद कोर्ट आरोपियों को कुछ साल की सजा सुना देती है, मगर रेप एक लड़की को कई सालों तक की सजा सुना देता है। उसके भीतर एक अनजाने से डर को ताउम्र भर के लिए भर देता है। सिने जगत  से लेकर मीडिया पर कसनी होगी नकेल हर तरफ सेक्‍स सेक्‍स, अश्‍लीलता अश्‍लीलता। जो दिमाग को पूरी तरह काम वासना से भ

गुजरात विस चुनाव 2012 बनाम नरेंद्र मोदी

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गुजरात विधान सभा चुनाव 2012 पर भारत की ही नहीं, बल्‍कि विश्‍व की निगाह टिकी हुई है, क्‍यूंकि नरेंद्र मोदी हैट्रिक बनाने की तरफ अग्रसर हैं, और उनका प्रचार प्रसार राष्‍ट्रपति बराक ओबामा का प्रचार कर चुकी पीआर एजेंसी के पास है, जो प्रचार पसार के लिए नए नए हथकंडे अपनाने के लिए बेहद तेज है। इतना प्रचार तो आदित्‍य चोपड़ा और आमिर ख़ान भी नहीं कर पाते, जितना प्रचार नरेंद्र मोदी का हो रहा है। अक्षय कुमार की तरह मीडिया की नजरंदाजी के बावजूद अपनी उपस्‍थिति दर्ज करवाने में कामयाब रहे नरेंद्र मोदी, आज सबसे ज्‍यादा चर्चित नेता हैं। आख़िर कैसे देते हैं हर बात का जवाब नरेंद्र मोदी एक दिन में सबसे ज्‍यादा प्रचार रैलियां करने वाले शायद भारत के पहले नेता होंगे, फिर भी वो हर भाषण का पलटकर जवाब दे रहे हैं। इसके पीछे एक ही कारण है कि मोदी ने अपने आस पास ऐसे लोगों का घेरा बनाया हुआ है जो मीडिया के संपर्क में हैं, कुछ मीडिया संस्‍थान तो विरोधी नेताओं द्वारा अलग अलग स्‍थानों पर दिए गए, बयानों की कॉपियां पल पल नरेंद्र मोदी तक पहुंचाते हैं, और मोदी कभी भी पटकथा तैयार कर रैली को संबोधित नहीं करते, वो कांग्रे

अरविंद केजरीवाल के बहाने स्‍विस यात्रा

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आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने अंबानी भाइयों के स्विस बैंक में खाते होने का दावा करते हुए दो बैंक ख़ातों को उजागर किया है, जिनको केजरीवाल अम्‍बानी बंधूओं का बता रहे हैं। अरविंद केजरीवाल के खुलासों की चर्चा से बॉलीवुड भी अछूत नहीं, हालिया रिलीज हुई फिल्‍म 'खिलाड़ी 786' में पुलिस कर्मचारी का किरदार निभा रहे जोनी लीवर मिथुन चक्रवर्ती को धमकी देते हैं कि वो 'केजरीवाल' को बता देगा। केजरीवाल खुलासे पर खुलासा किए जा रहे हैं, लेकिन सरकार इस मामले में कोई सख्‍़त कदम उठाती नजर नहीं आ रही, जो बेहद हैरानीजनक बात है, उक्‍त खाते अम्‍बानी बंधुओं कि हैं या नहीं, इस बात की पुष्‍टि तो स्‍विस बैंक कर सकती है, मगर निजता नियमों की पक्‍की स्‍विस बैंक ऐसा कभी नहीं करेगी, क्‍यूंकि उसने खाताधारक को एक गुप्‍त कोड दिया होता है, जिसका पता खाताधारक के अलावा किसी को नहीं होता, और तो और स्‍विस बैंक, हर दो साल बाद खाता धारकों के खाते बदल देती है, आप एक ख़ाते को आजीवन नहीं रख सकते। स्‍विस को हम कितना जानते हैं, बस इतना कि वहां पर हमारा काला धन पड़ हुआ है। मगर स्‍विस एक ऐसा देश है, जहा

सुन सनकर तंग आए ''देश का अगला...........?"

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कांग्रेस, हम ने कल लोक सभा में एफडीआई बिल पारित करवा दिया। अब हम गुजरात में भी अपनी जीत का परचम लहराएंगे। मीडिया कर्मी ने बीच में बात काटते हुए पूछा, अगला प्रधानमंत्री कौन होगा, अगर मध्‍याविधि चुनाव हों तो।  अगर देश का प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तरह जनता से बातचीत नहीं करेगा तो, मीडिया तो ऐसे सवाल पूछता ही रहेगा।                                           नोट  पेंट की एड का पॉलिटिकल वर्जन देश के लोकतंत्र में शायद पहली बार हो रहा है कि बात बात पर एक सवाल उभरकर सामने आ जाता है ''देश का अगला प्रधान मंत्री कौन होगा ?'' यह बात तब हैरानीजनक और कांग्रेस के लिए शर्मजनक लगती है जब चुनावों में एक लम्‍बा समय पड़ा हो, और बार बार वो ही सवाल पूछा जाए कि ''देश का अगला प्रधान मंत्री कौन होगा ?'' जब इस मामले से जोर पकड़ा था तो देश के प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था, ''कांग्रेस जब भी कहे, मैं राहुल गांधी के लिए खुशी खुशी कुर्सी छोड़ने को तैयार हूं, मैं जब तक इस पद पर हूं, अपना दायित्‍व निभाता रहूंगा''। देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भले द

राजनीति में ''एफडीआई''

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भारतीय राजनीति किस तरह गंदगी हो चुकी है। इसका तारोताजा उदाहरण कल उस समय देखने को मिला, जब एफडीआई का विरोध कर रही बसपा एवं सपा, ने अचानक वोटिंग के वक्‍त बॉयकॉट कर दिया, और सरकार को एफडीआई पारित करने का मौका दे दिया, जिसे सत्‍ता अपनी जीत और विपक्ष अपनी नैतिक जीत मानता है, हैरानी की बात है कि यह पहला फिक्‍सिंग मैच है, जहां कोई खुद को पराजित नहीं मान रहा। राजनीतिज्ञों का मानना है कि एफडीआई के आने से गुणवत्‍ता वाले उत्‍पाद मिलने की ज्‍यादा संभावना है। अगर विदेशी कंपनियों की कार्यप्रणाली पर हमें इतना भरोसा है तो क्‍यूं न हम राजनीति में भी एफडीआई व्‍यवस्‍था लाएं। वैसे भी सोनिया गांधी देश में इसका आगाज तो कर चुकी हैं, भले ही वो शादी कर इस देश में प्रवेश कर पाई। मगर हैं तो विदेशी। अगर राजनीति में एफडीआई की व्‍यवस्‍था हो जाए, तो शायद हमारे देश के पास मनमोहन सिंह से भी बढ़िया प्रधान मंत्री आ जाए, राजनीति दलों को चलाने वाला उत्‍तम उत्‍पाद मतलब कोई पुरुष या महिला आ जाए। अगर राजनीति में एफडीआई का बंदोबस्‍त हो जाता है तो ऐसे में पूर्ण संभावना है कि पाकिस्‍तान के आसिफ जरदारी भी भारत में अपना व

हिन्‍दु मंदिर मामला - बिल्‍डर जीत गया, मैं हार गई

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-: वाईआरएन सर्विस :- बिल्‍डर जीत गया, मैं हार गई। ऐसा टि्वट एक ब्रेव लेडी व ब्रेव न्‍यूज एंकर जसमीन मंजूर का, जो पाकिस्‍तान में हिन्‍दु मंदिर गिराए जाने के विरोध में आवाज बुलंद कर रही थी, और अंत उसके शो को बिल्‍डर ने बंद करवा दिया। इस बात से नाराज जसमीन मंजूर ने अपने पद से अस्‍तीफा दे दिया। जसमीन का यह कदम उसके भीतर के इंसान को ख़लकत से रूबरू करवाता है, जो शो पर ही नहीं, अपनी असली जिन्‍दगी में भी धौंस से जीती है। जसमीन मंजूर को मैंने लाइव डॉट सामा डॉट टीवी पर कई दफा सुना। उसका शो बेहद धमाकेदार होता था। अच्‍छे अच्‍छे नेताओं के हाथ खड़े करवा देने वाली जसमीन मंजूर को एक बिल्‍डर के खिलाफ आवाज उठाना भारी पड़ गया, क्‍यूंकि उसने उसकी आवाज उसके शो को बंद करवा दिया। जसमीन मंजूर ने अपने टि्वटर खाते पर अफसोस जाहिर किया कि किसी भी ने उसके द्वारा उठाए गए, मुद्दे को गम्‍भीरता से नहीं लिया। इंडियन एंकर में वो आग मैंने कभी नहीं देखी, जो आग जसमीन के अंदर है। असल में वो सामाजिक मुद्दों को व्‍यक्‍तिगत रूप में लेती हैं, वो सिर्फ जॉब नहीं करती, वो अपने मंच का पूरा इस्‍तेमाल करती हैं। सलाम

गुजरात विस चुनाव - कांग्रेस को ''झटके पे झटका''

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गुजरात विधान सभा चुनावों सत्‍ता पर काबिज होने के स्‍वप्‍न देख रही कांग्रेस अभी ''पोस्‍टर वार'' से उभरी नहीं थी कि भीतर चल रहा शीतयुद्ध उभरकर सामने आने लगा। कांग्रेस के पास को ठोस चेहरा नहीं, जिसको मुख्‍यमंत्री की दौड़ में खड़ा किया जाए। ऐसे स्‍थिति कांग्रेस की गुजरात के अंदर ही नहीं, बल्‍कि केंद्र में भी ऐसी स्‍थिति है, भाजपा के कई नेताओं ने भले ही देर से मोदी के लिए पीएम का रास्‍ता साफ कर दिया, मगर कांग्रेस ने राहुल गांधी या किसी और पर ठप्‍पा लगाने की बात से पल्‍लू झाड़ते हुए कहा, पीएम पद के लिए उम्‍मीदवार घोषित करना कांग्रेस की नीति नहीं। मान सकते हैं कि अभी लोक सभा के चुनावों में वक्‍त है, मगर गुजरात विधान सभा के चुनावों तो सिर पर हैं, ऐसे में जनता जानना चाहेगी कि अगर कांग्रेस सत्‍ता में आएगी तो राज्‍य की बागडोर किसके हाथ में होगी। इस बात से जनता ही नहीं, वरिष्‍ठ कांग्रेसी नेता भी खासे नाराज हैं। कांग्रेसी नेता एवं पूर्व उप मुख्‍यमंत्री नरहरि अमीन ने कांग्रेस से गत मंगलवार को रिश्‍ता तोड़ लिया, जबकि उन्‍होंने कांग्रेस के आला अधिकारियों को जगाने के लिए कुछ दिन प

मच्‍छर की मौत लाइव रिपोर्टिंग

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होटल का दरवाजा पूरी तरह सुरक्षित हैं, क्‍यूंकि होटल प्रबंधन को पहले ही सीआईडी टीम के आने की सूचना मिल गई थी, और बताया जा रहा है कि पिछले 15 सालों में बेगिनत दरवाजे तोड़ चुके दया से होटल प्रबंधन पूरी तरह से अवगत है, क्‍यूंकि होटल में इस शो देखने वालों की संख्‍या बहुत है। मच्‍छर की बॉडी को अभी अभी पोस्‍टमार्टम के लिए लैब में भेज दिया गया है। सी आई डी अपने काम में जुट चुकी हैं, उम्‍मीद है कि बहुत जल्‍द मच्‍छर की मौत के पीछे का रहस्‍य खुलकर हमारे सामने आएगा। पुलिस अधिकारियों को एक वंछित मच्‍छर की तलाश थी, लेकिन वो यह मच्‍छर है या कोई दूसरा। इस मामले में भी तहकीकात चल रही है। ऐसे में कुछ भी कहना मुश्‍किल है। आसपास के क्षेत्र में काफी तनाव महसूस किया जा रहा है। यहां यह होटल है, ये एक पॉश इलाका है। इस जगह पर मच्‍छर की उपस्‍थिति सुरक्षा व्‍यवस्‍था पर काफी सारे सवाल खड़े रही है। अभी अभी जुड़े हमारे दर्शकों को बता देना चाहते हैं कि आज सुबह एक होटल में मच्‍छर के मृत पाए जाने की ख़बर मिली थी। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि इस मच्‍छर को पाकिस्‍तान स्‍थित आतंकवादी संगठनों द्वारा प्रशिक्षित कर

'आम आदमी' की दस्‍तक, मीडिया को दस्‍त

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अन्‍ना हजारे के साथ लोकपाल बिल पारित करवाने के लिए संघर्षरत रहे अरविंद केजरीवाल ने जैसे 'आम आदमी' से राजनीति में दस्‍तक दी, तो मीडिया को दस्‍त लग गए। कल तक अरविंद केजरीवाल को जननेता बताने वाला मीडिया नकारात्‍मक उल्‍टियां करने लगा। उसको अरविंद केजरीवाल से दुर्गंध आने लगी। अब उसके लिए अरविंद केजरीवाल नकारात्‍मक ख़बर बन चुका है। कल जब अरविंद केजरीवाल ने औपचारिक रूप में आम आदमी को जनता में उतारा तो, मीडिया का रवैया, अरविंद केजरीवाल के प्रति पहले सा न था, जो आज से साल पूर्व था। राजनीति में आने की घोषणा करने के बाद अरविंद ने कांग्रेस एवं भाजपा पर खुलकर हमला बोला। मीडिया ने उनके खुलासों को एटम बम्‍ब की तरह फोड़ा। मगर बाद में अटम बम्‍बों का असर उतना नहीं हुआ, जितना होना चाहिए था, और अरविंद केजरीवाल को मीडिया ने हिट एंड रन जैसी नीति के जन्मदाता बना दिया, जो धमाके करने के बाद भाग जाता है। मुझे पिछले दिनों रिलीज हुई ओह माय गॉड तो शायद मीडिया के ज्‍यादातर लोगों ने देखी होगी, जिन्‍होंने नहीं देखी, वो फिर कभी जरूर देखें, उस में एक संवाद है, जो अक्षय कुमार बोलते हैं, जो इस फिल्‍म