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उड़ीसा का एक राजा, जो आज जीता फकीर सी जिन्‍दगी

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न उसके घर में जंग खाती तलवार है और न सिंहासन। न राजा महाराजाओं की तरह दीवारों पर लटकी ट्रॉफियां, जो याद दिलाएं बीते दिनों में किए शिकारों की। न पीली पड़ चुकी तस्‍वीरें, जो याद दिलाएं युवा अवस्‍था के सुंदर सुनहरे दिनों की। जिस महल में वे अपनी पत्‍िन और बच्‍चों के साथ 1960 तक रहा, आज वहां लड़कियों का हाई स्‍कूल है। टिगिरिया का पूर्व राजा ब्राजराज क्षत्रीय बीरबर चामुपति सिंह महापात्रा एक कच्‍चे मकान में कुछ प्‍लास्‍टिक की कुर्सियों के साथ अपना जीवन बसर करता है, टिगिरिया जो कि कटक 'उड़ीसा' जिले में पड़ता एक क्षेत्र है। एस्बेस्टस छत में से बारिश का पानी लीक हो रहा है, और भूतपूर्व राजा की लकड़ से बनी खाट को एक फटेहाल तरपाल से ढ़का गया है, ताकि वे छत से लीक हो रहे पानी से भीगकर ख़राब न हो। इस कच्‍चे घर में कुछ किताबें, प्‍लास्‍टिक की बोतलें, एक बैटरी और कुछ कच्‍चे टमाटर पड़े हुए हैं। अपने परिवार से अलग हुआ भूतपूर्व राजा अब अपनी साधनहीन और असहाय जिन्‍दगी की अगुवाई कर रहा है। जबकि दोनों आंखों को मोतियाबिंद ने अपनी चपेट में ले लिया है, और सुनने की शक्‍ति भी समय के साथ पहले से