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राम मंदिर के बहाने, यूं ही कुछ चलते चलते

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राममंदिर, इसको अगर थोड़ा सा तोड़कर पढ़ा जाए तो शायद इसका अर्थ कुछ ऐसा होगा। राम+ मन+ अंदर। राम तो कण कण में बसता है, उसको कहां जरूरत है किस एक जगह बंधकर बैठने की। राम मंदिर की बात करने वाले अगर अपने राम को खुश देखना चाहते हैं तो उसकी प्रजा को पेट भर भोजन दें। इंटरनेट नहीं, बिजली सुविधा दें। उनके गलों को तर करें, उनके खेतों तक पानी पहुंचाने पर माथा पच्‍ची करें। इंटरनेट तो आ ही जाएगा, जब पैसे आएंगे। वैसे भी फेसबुक वाला फ्री में नेट देने के लिए कोशिश कर रहा है, वो कामयाब हो जाएगा। आपको जरूरत नहीं।  भावनगर जाते समय मैंने बहुत खूबसूरत मंदिर देखे, मुझे लगता है कि जितना पैसा गुजरात में मंदिर निर्माण पर खर्च होता है, उतना किसी अन्‍य जगह पर नहीं होता। वहां पर अभी तीन से चार मंदिरों का निर्माण जारी था, जो जल्‍द बनकर तैयार होंगे। गुजरात में स्‍वामिनारायण भगवान के मंदिर, जैनों के मंदिर, अलग अलग कुल देवियों के मंदिर। शायद ही कोई ऐसा मार्ग हो जहां आपको मंदिर न मिले। मंदिर तो स्‍वयं लोग बना देंगे, जैसा आपने कल्‍पना भी नहीं की, लेकिन पहले उनकी पेट की भूख को तो खत्‍म कर दें। पहले उनको चांद तो चांद नज

Express Adda : राहुल गांधी के वक्‍तव्‍य - 2013

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 साल 2013 में राहुल गांधी ने कब कहां, क्‍या कहा, जानिये, इस पोस्‍ट में। राहुल गांधी   ने कहा, "कांग्रेस पार्टी दुनिया का सबसे बड़ा परिवार है लेकिन इसमें बदलाव की ज़रूरत है। मगर सोच-समझ कर। सबको एक साथ लेकर बदलाव की बात करनी है और बदलाव लाना है। प्यार से, सोचसमझ के साथ, सबकी आवाज़ को सुनकर आगे बढ़ना है। वो सबको एक ही आंख से एक ही तरीके से देखेंगे चाहे वो युवा हो, कांग्रेस कार्यकर्ता हो, बुजुर्ग हो या फिर महिला हो।''  राहल ने कहा, " आज सुबह मैं चार बजे ही उठ गया और बालकनी में गया। सोचा कि मेरे कंधे पर अब बड़ी जिम्मेदारी है। अंधेरा था, ठंड थी। मैंने सोचा कि आज मैं वो नहीं कहूंगा जो लोग सुनना चाहते हैं। आज मैं वो कहूंगा जो मैं महसूस करता हूं।" राहुल बोले, "पिछली रात मेरी मां मेरे पास आई और रो पड़ी क्योंकि वो जानती हैं कि सत्ता ज़हर की तरह होती है। सत्ता क्या करती है। इसलिए हमें शक्ति का इस्तेमाल लोगों को सबल बनाने के लिए करना है।" रविवार, 20 जनवरी 2013 राहुल गांधी ने कहा, ''डरने की नहीं बल्कि लड़ने की जरूरत है ताकि सच को सामने लाया जा

First Look : फ्रैंकफर्ट में नई कारों का जमघट

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रेनॉल्‍ट की इल्‍केट्रिक कार रेनॉल्‍ट ट्विजी जर्मन के पांचवें सबसे बड़े शहर फ्रैंकफर्ट में इंटरनेशनल ऑटोमोबाइल एग्‍जीबिशन शुरू होने में केवल दो दिन शेष हैं।फ्रैंकफर्ट में आयोजित होने वाले इस ऑटो शो से पहले दस सितंबर को मीडिया के लिए प्रीव्‍यू डे का आयोजन किया गया, जहां पर दुनिया भर के कार निर्माताओं ने अपने नये मॉडल से पर्दा उठाया। शरीर की कुल हड्डियों से मात्र एक कम पर्यटन स्‍थलों को अपनी बांहों में समेटे हुए शहर फ्रैंकफर्ट में 14 सितंबर से 22 सितंबर तक इस ऑटो शो का आयोजन किया जाएगा।  Image Courtesy : darkroom.baltimoresun.com जर्मन कार निर्माता वॉक्‍सवेगन कंपनी की इलेक्‍ट्रिक कार ई अप। जर्मनी में शुरू हुए इंटरनेशनल मोटर शो में रेनॉल्‍ट स्‍पार्क एसआरटी 01ई एफआईए फॉर्मूला ई रेस कार की पहली झलक। बुगती का नया मॉडल जीन बुगती का ऑडी क्‍वाट्रो स्‍पोर्ट कन्‍सेप्‍ट हाईब्रिड कार फेरारी के चेयरमैन लूका कॉर्डेरो दी मोंटेजेमोलो फेरारी का नया मॉडल फेरारी 458 प्रस्‍तुत करते हुए। इंटरनेशनल ऑटोमोबाइल प्रदर्शनी में इंफिनिटी क्‍यू 30 कन्‍सेप्‍ट कार की

Ad Review : 'इंडिया वांट्स टू नाउ' इमेजिंग

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फिल्‍मों का रिव्‍यू होता था। किताबों का रिव्‍यू होता था। फिर ट्रेलर और टीज़र का भी रिव्‍यू होने लगा। बहुत सारे विज्ञापन दिल को छू जाते हैं। कल Flipkart   का नया विज्ञापन देखने बाद खयाल आया, क्‍यूं न विज्ञापन की भी समीक्षा की जाए। आज के लोग कुछ नया करना चाहते हैं। हर चीज के साथ नये नये अनुभव करना चाहते हैं। अच्‍छी बात है। कभी कभी अनुभव कड़वे तो कभी कभी शहद से भी मीठे साबित होते हैं। आप ब्रुश कर रहे हैं अचानक एक मीडिया कर्मी आपके घर में घुसता है, और पूछता है कि आपके टूथपेस्‍ट में नमक है। फिर एक और विज्ञापन आपको देखने को मिला होगा तोते को डेंडरफ वाला। दोनों में मीडिया की धज्‍जियां उड़ाई गई थी। दोनों में एंटरटेनमेंट या अपील जैसी कोई बात नहीं थी। लेकिन Flipkart   का नया विज्ञापन ख़बरी चैनलों पर चलने वाले डिबेट शो पर आधारित एक इमेजिंग विज्ञापन है। यह विज्ञापन अंग्रेजी चैनल के बेहद लोकप्रिय और ब्रांड बन चुके अर्नब गोस्वामी को ध्‍यान में रख कर बनाया गया है। विज्ञापन हिन्‍दी चैनल को भी ध्‍यान में रखकर बनाया जा सकता था, लेकिन विज्ञापन कंपनी का टार्गेट हिंग्‍लिश यूथ है। जो थोड़ी हिन्‍द

वेयर इज माय नॉबेल प्राइज

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 व्‍हाइट हाउस के रोज गॉर्डन से....... हमने बहुत सोच समझ कर फैसला लिया है। सीरिया में जो हो रहा है वे बहुत गलत है। हमको जल्‍द से जल्‍द सीरिया पर हमला करना होगा। अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा बोल रहे हैं।   ट्रिंग......... ट्रिंग......... ट्रिंग......... ट्रिंग......... ट्रिंग......... ट्रिंग......... ट्रिंग......... ट्रिंग......... ट्रिंग.........ट्रिंग......... हेल्‍लो.... हेल्‍लो.... कौन है वहां ? भाषण की समाप्‍ति के बाद ऑफिस का फोन उठाते हुए ओबामा। खाद्य सामग्री को रसद कहते हैं.....इस ना चीज को बशर अल असद कहते हैं। पहचाना। आगे से आवाज आती है। गुस्‍से में ओबामा चिल्‍लाते हैं....कुत्‍ते मैं तेरा खून पी जाऊंगा। आगे से शांत आवाज आती है.... तू और कर भी क्‍या सकता है, आदिवासी इलाकों में कीड़े मकौड़े खाकर राष्‍ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचे दो चेहरे इंसान, खून पीना तो तेरा बचपन का शौक है..... पीजे, बर्गर तो तुम को राष्‍ट्रपति बनने के बाद मिले। गुस्‍से में लाल पीले ओबामा ताव में आकर..... बे गैरत.. जुबान को लगाम दे..वरना तेरे शरीर में इतने छेद करूंगा कि तू कंफ्यूज हो जाएगा.

सीटी स्‍केन रूम है या फन पार्क

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न्‍यूयॉर्क के सबसे बड़े बच्‍चों के अस्‍पताल के सीटी स्‍कैन रूम पहुंचते ही बच्‍चे अलग अनुभव करेंगे। सीटी स्‍कैन करवाते उनको अब पहले से कम डर लगने की संभावना है। दरअसल, मॉर्गन स्‍टैनले चिल्‍ड्रेन्‍स हॉस्‍पिटल प्रबंधन ने अपने सिटी स्‍कैन रूम को समुद्री लुटेरों के थीम वाले वार्ड बदल दिया है। इसके बदलाव को लेकर प्रबंधन का कहना है कि ऐसा इसलिए किया गया है ताकि बच्‍चे स्‍केनिंग के दौरान इस बात से न डरे कि वे अस्‍पताल के किसी वार्ड में खड़े हैं। इसके अलावा एक लम्‍बे अध्‍ययन के बाद  अस्‍पताल प्रबंधन ने जेई के साथ मिलकर एक ऐसी मशीन तैयार करवाई और यहां स्‍थपित की, जो पहले वाली मशीन के मुकाबले बच्‍चों के लिए कम नुकसानदेह साबित हो। . दरअसल, एक अध्‍ययन के तहत प्रबंधन ने महसूस किया था कि सीटी स्‍कैन मशीन से निकलने वाला रेडिएशन बच्‍चों पर बुरा प्रभाव डालता है। इस अस्‍पताल में नवजात शिशुओं से लेकर 21 साल तक के युवाओं का सीटी स्‍केन किया जाता है। Image :  Buzz Feed

It's Fake News - इंजी. छात्राओं के पेपर साहित्‍यक लाइबेरी में रखे जाएंगे

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गुजरात यूनिवर्सिटी ने फैसला किया है कि वे इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे 700 छात्रों में से कुछ छात्रों के पेपर साहित्‍यक लाइबेरी में भेजे जाएंगे। इसके लिए बकायदा समाचार पत्रों व अन्‍य साधनों के जरिये आवेदन मांगे जाएंगे। गुजरात यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने पिछले दिनों एक मीडिया रिपोर्ट में खुलासा किया है कि इंजीनियरिंग कर रहे छात्र बहुत होशियार हैं, लेकिन फिर भी पेपर पास नहीं कर पा रहे, क्‍यूंकि उनको साहित्‍य का कीड़ा काट चुका है। छात्र इतने प्रतिभाशाली हैं कि वे इंजीनियरिंग पेपर में पूछे गए सवालों के जवाब अपनी निजी कहानियों, कविताओं के जरिये दे रहे हैं। इसके साथ यूनिवर्सिटी ने चेताया कि छात्रों के पास अपना हुनर निखारने के लिए केवल 2015 तक का समय है, उसके बाद उनको साबित करने के लिए अन्‍य मौका नहीं दिया जाएगा। यूनिवर्सिटी को उम्‍मीद है कि अगले दो सालों में और बेहतरीन साहित्‍य कला कृतियां मिलेगीं। दीपिका, क्‍या देख रहे हो ? शाह रुख खान, कुछ नहीं, देख रहा हूं, इतनी बड़ी हिट के बाद भी कोई निर्माता निर्देशक साइन करने क्‍यूं नहीं आया। दीपिका, अरे बुद्धू, निर्माता निर्देशक ह

भारत सरकार और डॉलर में होगी सीधी वार्ता

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डॉलर द्वारा भारतीय रुपये पर हो रहे निरंतर हमलों से सरकार पूरी तरह चिंतित है, लेकिन सरकार सोच रही है कि केवल चिंतन मंथन करने से काम नहीं चलेगा, अब पानी सिर से ऊपर निकल चुका है, ऐसे में डॉलर के साथ बैठकर आमने सामने बात करनी ही होगी।  सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकार बहुत जल्‍द डॉलर के साथ बैठकर इस विषय पर बात करेगी। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि सरकार इस मामले में तीन दौर की बैठक का आयोजन कर सकती है। उम्‍मीद है कि डॉलर रुपये को इज्‍जत देने के लिए तैयार हो जाएगा, और इस समझौते से रुपये की गिरती हालत में सुधार होगा। डॉलर का रुपये के प्रति कड़ा रुख वैसे तो सरकार से बर्दाशत नहीं होता, लेकिन वार्ता के दौरान सरकार शांति व गांधीगिरी से काम लेगी। उधर, जब इस बारे में वित्‍त मंत्री से संपर्क साधा गया, और रुपये की दिन प्रति दिन बिगड़ रही तबीयत के बारे में पूछा गया तो उन्‍होंने कहा, लोगों को डॉलर की खरीददारी पर अंकुश लगाने की अपील की जा रही है, लेकिन लोग डॉलर खरीदने में अधिक दिलचस्‍प ले रहे हैं, उनको लग रहा है कि डॉलर भी सोने की तरह अच्‍छा रिटर्न देगा। साले पागल लोग। सरका

स्‍वतंत्रता दिवस पर लालन कॉलेज वर्सेस लाल किला

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आजाद भारत का शायद पहला स्‍वतंत्रता दिवस होगा। जब राष्‍ट्र के लोग इस दिन मौके होने वाले आयोजित समारोह में अधिक दिलचस्‍प लेंगे। इसका मुख्‍य कारण मौजूदा प्रधानमंत्री और संभावित प्रधानमंत्री पद के दावेदार के बीच सीधी टक्‍कर। एक हर बार की तरह लाल किले तो तिरंगा फरहाएंगे तो दूसरे भुज के लालन कॉलेज से। ऐसे में इलेक्‍ट्रोनिक मीडिया के कैमरे दोनों तरफ तोपों की तरह तने रहेंगे। देश के प्रधानमंत्री होने के नाते मीडिया मनमोहन सिंह की उपस्‍थिति वाले समारोह को नजरअंदाज नहीं कर सकता, वहीं दूसरी तरफ संभावित प्रधानमंत्री पद के उम्‍मीदवार के रूप में उभरकर सामने आ रहे नरेंद्र मोदी को भी जनता सुनना चाहेगी, जो वैसे भी आजकल टेलीविजन टीआरपी के लिए एनर्जी टॉनिक हैं। गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्‍वयं गुजरात के भुज में आयोजित युवाओं की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘जब हम तिरंगा फहराएंगे तो संदेश लाल किला तक भी पहुंचेगा। राष्ट्र जानना चाहेगा कि वहां क्या कहा गया और भुज में क्या कहा गया।’ इस नरेंद्र मोदी की बात में कोई दो राय नहीं। देश की जनता बिल्‍कुल जानना चाहेगी, ले

उड़ीसा का एक राजा, जो आज जीता फकीर सी जिन्‍दगी

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न उसके घर में जंग खाती तलवार है और न सिंहासन। न राजा महाराजाओं की तरह दीवारों पर लटकी ट्रॉफियां, जो याद दिलाएं बीते दिनों में किए शिकारों की। न पीली पड़ चुकी तस्‍वीरें, जो याद दिलाएं युवा अवस्‍था के सुंदर सुनहरे दिनों की। जिस महल में वे अपनी पत्‍िन और बच्‍चों के साथ 1960 तक रहा, आज वहां लड़कियों का हाई स्‍कूल है। टिगिरिया का पूर्व राजा ब्राजराज क्षत्रीय बीरबर चामुपति सिंह महापात्रा एक कच्‍चे मकान में कुछ प्‍लास्‍टिक की कुर्सियों के साथ अपना जीवन बसर करता है, टिगिरिया जो कि कटक 'उड़ीसा' जिले में पड़ता एक क्षेत्र है। एस्बेस्टस छत में से बारिश का पानी लीक हो रहा है, और भूतपूर्व राजा की लकड़ से बनी खाट को एक फटेहाल तरपाल से ढ़का गया है, ताकि वे छत से लीक हो रहे पानी से भीगकर ख़राब न हो। इस कच्‍चे घर में कुछ किताबें, प्‍लास्‍टिक की बोतलें, एक बैटरी और कुछ कच्‍चे टमाटर पड़े हुए हैं। अपने परिवार से अलग हुआ भूतपूर्व राजा अब अपनी साधनहीन और असहाय जिन्‍दगी की अगुवाई कर रहा है। जबकि दोनों आंखों को मोतियाबिंद ने अपनी चपेट में ले लिया है, और सुनने की शक्‍ति भी समय के साथ पहले से

मोना लीसा की तस्‍वीर का सच आएगा सामने या नहीं

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लिओनार्दो दा विंची के द्वारा कृत एक विश्व प्रसिद्ध चित्र है। यह एक विचारमग्न स्त्री का चित्रण है जो अत्यन्त हल्की मुस्कान लिये हुए है। यह संसार की सम्भवत: सबसे प्रसिद्ध पेंटिंग है जो पेंटिंग और दृष्य कला की पर्याय मानी जाती है। सदियों से मोनालीसा की रहस्यमय मुस्कुराहट जहाँ रहस्य बनी हुई है। एक तस्‍वीर हजारों बातें, लेकिन अब अनुसंधानकर्ताओं की एक टीम इटली के फ्लोरेंस में पहुंच चुकी है। इस टीम के लिए उस कब्रगाह को खोल दिया गया है, जिसमें व्यापारी 'फ़्रांसेस्को देल जियोकॉन्डो' की पत्नी 'लिसा गेरार्दिनि' के अन्‍य परिजनों को दफनाया गया था। अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि डीएनए से मोनालीसा की पहचान हो सकती है। लेखक और अनुसंधानकर्ता सिल्‍वानो विन्‍सेटी ने योजना बनाई है कि हड्डियों के जरिये डीएनए टेस्‍ट लेकर पिछले साल सेंट ओर्सोला कान्‍वेंट से मिली तीन खोपड़ियों के साथ टेस्‍ट करके देखा जाएगा, क्‍यूंकि उनके हिसाब से इतिहासिकारों का मानना है कि लीसा गेरार्दिनी अपने अंतिम कुछ साल सेंट ओर्सोला कन्‍वेट में थी, और इस खंडहर इमारत में पिछले साल हड्डियों को ढूंढने

माँ की आँख

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मेरी माँ की सिर्फ एक ही आँख थी और इसीलिए मैं उनसे बेहद नफ़रत करता था | वो फुटपाथ पर एक छोटी सी दुकान चलाती थी | उनके साथ होने पर मुझे शर्मिन्दगी महसूस होती थी | एक बार वो मेरे स्कूल आई और मै फिर से बहुत शर्मिंदा हुआ | वो मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती है ? अगले दिन स्कूल में सबने मेरा बहुत मजाक उड़ाया | मैं चाहता था मेरी माँ इस दुनिया से गायब हो जाये | मैंने उनसे कहा, 'माँ तुम्हारी दूसरी आँख क्यों नहीं है? तुम्हारी वजह से हर कोई मेरा मजाक उड़ाता है | तुम मर क्यों नहीं जाती ?' माँ ने कुछ नहीं कहा | पर, मैंने उसी पल तय कर लिया कि बड़ा होकर सफल आदमी बनूँगा ताकि मुझे अपनी एक आँख वाली माँ और इस गरीबी से छुटकारा मिल जाये | उसके बाद मैंने म्हणत से पढाई की | माँ को छोड़कर बड़े शहर आ गया | यूनिविर्सिटी की डिग्री ली | शादी की | अपना घर ख़रीदा | बच्चे हुए | और मै सफल व्यक्ति बन गया | मुझे अपना नया जीवन इसलिए भी पसंद था क्योंकि यहाँ माँ से जुडी कोई भी याद नहीं थी | मेरी खुशियाँ दिन-ब-दिन बड़ी हो रही थी, तभी अचानक मैंने कुछ ऐसा देखा जिसकी कल्पना भी नहीं की थी | सामने मेरी म

घोष्ट राइंटिंग - हमें सोचना होगा

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'पाखी' पत्रिका ने महुआ माजी के द्वारा लिखे गए उपन्यास की चोरी का विवाद खड़ा किया उससे बहुत सारे प्रश्न उठते हैं। अंग्रेजी में भी ऐसी घटनाओं के कारण बहसें हुई हैं और लेखन की मौलिकता संदेह के घेरे में आयी और उन्हें रचनाकार की सम्मानित सूची से हटा दिया गया। लेकिन हिंदी में यह ताजा प्रकरण इसलिए महत्वपूर्ण है कि पिछले दिनों लेखन में महत्वाकांक्षियों की एक पूरी फौज आ गयी है और वे साहित्य के इतिहास में 'महान्' हो जाना चाहते हैं। इसमें फिर चाहे तन, मन के अलावा धन ही क्यों न लगाना पड़ें। इसमें पत्रिका के सम्पादकों के साथ एक गठजोड़ की भूमिका भी देखी जानी चाहिए। कई बार प्रकाशकों के साथ इस गठजोड़ की भूमिका की जांच भी की जा सकती है। पश्चिम में तो अब आलोचक की हैसियत रही नहीं कि उसके 'कहे बोले' गए से कोई लेखक महान हो जाए या उसकी महानता की चौतरफा स्वीकृति हो जाए। वहां प्रकाशनगृह ही लेखक पैदा करते हैं वे ही उन्हें महान भी बनाते हैं। अब माना जा रहा है कि यह सिलसिला यहां हिंदी में भी चल पड़ा है। आलोचक का प्रभाव धुंधला गया है और प्रकाशक ही अब लेखक को 'आइकनिक' बना सकता

अरविंद केजरीवाल के बहाने स्‍विस यात्रा

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आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने अंबानी भाइयों के स्विस बैंक में खाते होने का दावा करते हुए दो बैंक ख़ातों को उजागर किया है, जिनको केजरीवाल अम्‍बानी बंधूओं का बता रहे हैं। अरविंद केजरीवाल के खुलासों की चर्चा से बॉलीवुड भी अछूत नहीं, हालिया रिलीज हुई फिल्‍म 'खिलाड़ी 786' में पुलिस कर्मचारी का किरदार निभा रहे जोनी लीवर मिथुन चक्रवर्ती को धमकी देते हैं कि वो 'केजरीवाल' को बता देगा। केजरीवाल खुलासे पर खुलासा किए जा रहे हैं, लेकिन सरकार इस मामले में कोई सख्‍़त कदम उठाती नजर नहीं आ रही, जो बेहद हैरानीजनक बात है, उक्‍त खाते अम्‍बानी बंधुओं कि हैं या नहीं, इस बात की पुष्‍टि तो स्‍विस बैंक कर सकती है, मगर निजता नियमों की पक्‍की स्‍विस बैंक ऐसा कभी नहीं करेगी, क्‍यूंकि उसने खाताधारक को एक गुप्‍त कोड दिया होता है, जिसका पता खाताधारक के अलावा किसी को नहीं होता, और तो और स्‍विस बैंक, हर दो साल बाद खाता धारकों के खाते बदल देती है, आप एक ख़ाते को आजीवन नहीं रख सकते। स्‍विस को हम कितना जानते हैं, बस इतना कि वहां पर हमारा काला धन पड़ हुआ है। मगर स्‍विस एक ऐसा देश है, जहा

अब बंद होंगे याहू पब्‍लिक चैट रूम

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साइबर कैफे में बैठकर याहू मैसेंजर के जरिए पब्‍लिक चैट करने वालों के लिए बेहद दुखद ख़बर है कि अब याहू पब्‍लिक चैट रूम बंद कर रहा है। 1998 में शुरू हुई याहू पब्लिक चैट सर्विस 2005 तक आते आते विवादों में घिरने लगी थी। इस दौरान याहू ने अपने कई पब्‍लिक चैट रूम बंद किए, ताकि विवादों से छुटकारा पाया जाए। मगर अभी अभी याहू ने अपने ब्‍लॉग में घोषणा की है कि वे पब्लिक चैट को स्थाई रूप से बंद कर रही है। पब्‍लिक चैट रूम यह ऐसे रूम हैं, जहां पर आप किसी भी अनजान व्‍यक्‍ति को चैट के लिए आमंत्रित कर सकते हो, अगर वो आप से बात करने का इच्‍छुक है तो आपको जवाब मिल जाएगा। मगर इन चैट रूमों का इस्‍तेमाल ज्‍यादातर अश्‍लील वेबसाइट संचालक करते हैं, जो चैट रूम में उल्‍लू जलूल नाम से घुस कर वहां उपस्‍थित युवाओं एवं युवतियों को अपना निशाना बनाते हैं। इतना ही नहीं, कुछ उम्रदाज महिलाएं एवं पुरुष अपना दिल बहलाने के लिए अज्ञात लोगों से मित्रता करती एवं करते हैं। इस चैट रूम की बजाय से काफी सारे लोग विदेश यात्रा तक भी कर चुके हैं, क्‍यूंकि चैट के दौरान इंडियन लड़के और लड़कियां विदेशी पार्टनर ढूंढते एवं ढूंढती हैं, अग

कहीं छीन न जाए आजादी का मंच

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हर देश आजाद हो गया। मगर आजाद देश के बशिंदों द्वारा चुने गए शासक एक बार फिर तानाशाह का रवैया अपनाने लगे हैं, जो शुभ संकेत नहीं। एक पल में हमारी डाक पहुंचाने वाले गूगल ने समर्थन मांगा है, आजादी के लिए। गूगल ने अपने होमपेज पर ''मुक्त और खुला इंटरनेट पसंद है ? विश्व सरकार को उस तरह रखने के लिए कहें'' और  Love the free and open Internet? Tell the world's governments to keep it that way. लिखकर आपका समर्थन मांगा है। गूगल को संदेह है कि कुछ देशों की सरकारें बंद कमरों में बैठ कर इंटरनेट को सेंसर की जंजीरों से जकड़ने का प्रयास कर रही है। अगर अब आवाज न उठी तो हो सकता है कि हमारी आवाज को बुलंद करने वाला मंच हम से छीन जाए। आओ मिलकर आवाज उठाएं। निम्‍न लिंक पर क्‍लिक करें। और समर्थन दें।    Love the free and open Internet? Tell the world's governments to keep it that way.

बस! मुझे ट्रैफिक चाहिए

आज की ब्रेकिंग न्‍यूज क्‍या है ? सर अभी तक तो कोई नहीं, लेकिन उम्‍मीद है कि कोई दिल्‍ली से धमाका होगा। अगर न हुआ तो। फिर तो मुश्‍िकल है सर। बस! मुझे ट्रैफिक चाहिए। कुछ ऐसे ही संवाद होते हैं आज के बाजारू मीडिया संपादक के। मजबूरी का नाम महात्‍मा गांधी हो या मनमोहन सिंह, कोई फर्क नहीं पड़ता। मजबूरी तो मजबूरी है। उसके सामानर्थी शब्‍द ढूंढ़ने से कुछ नहीं होने वाला। पापी पेट के लिए कुछ तो पाप करने पड़ते हैं। आज मीडिया हाऊसों की वेबसाइटों को अश्‍लील वेबसाइटों में तब्‍दील किया जा रहा है। अगर कोई ब्रेकिंग न्‍यूज नहीं तो क्‍या हुआ, तुम कुछ बनाकर डालो, अश्‍लील फोटो डालो, लिप लॉक की फोटो डालो। मुझे तो बस! मुझे ट्रैफिक चाहिए। इतना ही नहीं, मासिक पत्रिकाएं भी कहती हैं अब कुछ करो, बुक स्‍टॉलों पर ट्रैफिक चाहिए, वरना घर जाइए। हर किसी को ट्रैफिक चाहिए। हर कोई ट्रैफिक के पीछे दौड़ रहा है। सड़कें ट्रैफिक से निजात पाना चाहती हैं, मगर ऐसा हो नहीं पा रहा। पैट्रोल के रेट बढ़ रहे हैं तो कंपनियां वाहनों के रेट गिराकर डीजल मॉडल उतार रही हैं। ट्रैफिक कम होने का नाम नहीं ले रहा, वहीं दूसरी तरफ नेता अभिनेता भी ट

टुकड़ों की जिन्‍दगी ; रिटर्न टू इंडिया

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कई बार हमने अपने बहनों भाईयों और दोस्‍तों को बड़े उत्‍साह के साथ जीमैट या जीआरई, टीओएफईएल की तैयारी करते, अमेरिकी दूतावास के सामने लम्‍बी कतारें लगाए और छात्रवृत्‍ति पाने के लिए तमाम कोशिशें करते देखा है, उनका मकसद सिर्फ इतना होता है कि वे अमेरिकी सपने को जीना चाहते हैं। वे कोला कोला, मिक्‍की माऊस, हैरिसन फोर्ड और अवसरों के देश को उड़ जाना चाहते हैं ताकि अपने जीवन के साथ प्रयोग कर सकें, परंपराओं और लालफीताशाही की घरेलू जंजीरों को तोड़ सकें। जानी मानी लेखिका एवं स्‍तंभकार शोभा नारायण ने अपनी किताब ''रिटर्न टू इंडिया'' में बड़ी बेबाकी से अमेरिकी सपने और उसे जीने की चाहत को उकेरा है। साथ ही साथ दो परंपराओं के बीच झूल रहे लोगों के द्वंद्व के बारे में भी बड़े सलीके से बताया और जताया है। उन्‍होंने प्‍यार, परिवार, पहचान एवं घर कहने लायक एक ठिकाने की तलाश की कहानी बड़े ही मर्मस्‍पर्शी ढंग से पिरोई है। इन कहानियों के बीच अपनी यादों को ताजा करते हुए शोभा जाहिद खान जैसे अपने दोस्‍तों की कहानी भी सुनाती हैं, जो अपने अमेरिकीकरण के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। कहानी के बहाव के

पहले मां बनो, फिर बनो पत्‍नी

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टोटोपाडा के जंगल से बॉलीवुड तक | हम नया कुछ नहीं करते, हम पुराने को तरीकों फिर से दोहराते हैं, लेकिन ख़बरों में आने के बाद वो नया सा लगने लगता है चाहे वो योग या फिर लिव इन रिलेशन का कनेक्‍शन। भारत भूटान सीमा पर एक टोटोपाडा नामक ऐसी जगह है, जहां आज भी शादी से पहले लड़की को गर्भवती होना पड़ता है। कहते हैं कि टोटो जनजाति समुदाय के लड़के को जो लड़की पसंद आती है, वो उसके साथ फरार होता है एवं लड़का लड़की एक साथ रहते हैं, कुछ महीनों बाद जब लड़की गर्भधारण कर लेती है तो लड़की को शादी के काबिल माना जाता है। भले ही हम हिन्‍दी फिल्‍मों में कुछ महिलाओं को त्रासदी झेलते देखते हैं, जब वो अपने प्रेमी से कहती हैं, जोकि फिल्‍म में विलेन है, लेकिन लड़की के लिए प्रेमी, मैं तुम्‍हारे बच्‍चे की मां बनने वाली हूं। मगर बॉलीवुड की कहानी भी रुपहले पर्दे से बेहद अलग है, जहां बहुत सी अभिनेत्री हैं, जो टोटोपाडा की प्रथा को बॉलीवुड में स्‍थापित कर चुकी हैं। ख़बरों की मानें तो बॉलीवुड की सदाबाहर अभिनेत्री श्रीदेवी ने बोनी कपूर से उस समय शादी की थी, जब वह करीबन सात माह की गर्भवती थी। परदेस से बॉलीवुड में प

क्राइम शो के होस्‍ट राघवेंद्र कुमार मुद्गल नहीं रहे

‘चैन से सोना है तो जाग जाओ’ कहने वाले राघवेंद्र नहीं रहे। टीवी चैनल पर चर्चित रहे क्राइम शो सनसनी के एंकर राघवेंद्र कुमार मुद्गल का रविवार को पटना में निधन हो गया। वे कई घंटों से वेंटिलेटर पर थे। उनका अंतिम संस्कार रविवार को ही पटना में किया गया।           दिल का दौरा पडऩे के बाद वे कई दिनों से मगध अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थे। राघवेंद्र की स्कूली शिक्षा बिलासपुर में हुई थी। उनके पिता आरटीओ अधिकारी थे। वे अंबिकापुर से रिटायर हुए। फिर वहीं बस गए। राघवेंद्र ने आकाशवाणी अंबिकापुर के ड्रामा आर्टिस्ट के तौर पर करिअर की शुरुआत की थी।     इप्टा में उन्होंने अपना अभिनय कौशल संवारा। दिल्ली और चंडीगढ़ में एनएसडी के कलाकारों के साथ भी काम किया। वे बीबीसी की कई डाक्यूमेंट्रीज में भी नजऱ आए। मुदगल ने एक भोजपुरी फिल्म ‘भोले शंकर’ में विलेन का रोल किया था। इसके हीरो मिथुन चक्रवर्ती थे। उन्होंने न्यूज़ एक्सप्रेस चैनल में भी काम किया।