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सावधान! देश उबल रहा है

मेरे घर गुजराती समाचार पत्र आता है, जिसके पहले पन्‍ने पर समाचार था कि देश की सुरक्षा को खतरा, इस समाचार को पढ़ने के बाद पहले पहल तो लगा कि देश का मीडिया देश हित की सोचता है या चीन जैसे दुश्‍मन की, जो ऐसी जानकारियां खुफिया तरीकों से जुटाने के लिए लाखों रुपए खर्च करता है। फिर एकांक विज्ञापन की एक पंक्‍ित 'देश उबल रहा है' याद आ गई, जो कई दिनों से मेरे दिमाग में बार बार बज रही है। जो कई दशकों से नहीं हुआ, और अब हो रहा है यह उबलते हुए देश की निशानी नहीं तो क्‍या है? इस समाचार को पढ़ने के बाद मैं काम को निकल गया, हुआ वही जो मेरे दिमाग में समाचार पढ़ने के बाद आया, कि अब राजनेता सेनाध्‍यक्ष की कुर्सी को निशाना बनाएंगे, सभी नेताओं ने प्रतिक्रिया देना शुरू कर दी, जो मुंह में आया बोल दिया, जानकारियां लीक करने वाले मीडिया के लिए जश्‍न का दिन बन गया, क्‍योंकि पूरा दिन पंचायत बिठाने का अवसर जो मिल गया था। मीडिया ने एक की सवाल पूछा क्‍या सेनाध्‍यक्ष को बर्खास्‍त किया जाना चाहिए, किसी ने यह नहीं कहा कि जो सेनाध्‍यक्ष ने पत्र में लिखा, उस पर जांच बिठाई जानी चाहिए, आखिर कहां कमियां रह गई के दे