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एमएलएम योजनाओं पर प्रतिबंध लगाएं राज्‍य

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केंद्र ने तैयार किया प्रस्‍ताव   - नई दिल्‍ली - केंद्र ने प्रस्‍ताव रखा है कि राज्‍य सरकार ऐसी योजनाएं चलाने वाली सभी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए, जिसके तहत सदस्‍यों को जोड़ने पर ग्राहकों को आर्थिक लाभ प्रलोभन दिया है। ऐसी योजनाएं मल्‍टी लेवल मार्केटिंग कहलाती हैं। अगर इस प्रस्‍ताव पर अमल होता है तो ऐसी तमाम कंपनियां बंद होंगी, जिसमें निश्‍चित ग्राहक संख्‍या में ग्राहक जोड़ने पर आर्थिक लाभ या कमिशन देने का बंदोबस्‍त है। इसके लिए अंतर मंत्रालयी समिति बनाई गई। इसमें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, उपभोक्‍ता मामलों का मंत्रालय, कॉर्पोरेट मंत्रालय आदि शामिल थे। समिति ने सुझाव दिया है कि एमएलएम योजनाओं पर निगाह रखने के लिए केंद्रीय एजेंसी गठित की जाएगी। एक अधिकारी ने कहा कि हम वास्‍तव में इन कंपनियों को कानून के दायरे में लाना चाहते हैं। ऐसा इस कानून की धारा 583 के तहत मुमकिन है, जिसके तहत गैर पंजीकृत कपंनियों को डीम्‍ड रजिस्‍टर्ड माना जाएगा।

एक सोच पर प्रतिबंध कहां तक उचित ?

अब पाकिस्तान में घमासान मचने को तैयार है, क्योंकि इमरान खान की लिखी गई जीवनी में कुछ ऐसी बातें सामने आई हैं, जो भुट्टो परिवार को आहत कर सकती हैं। समझ नहीं आ रही कि हर कोई सच का सामना क्यों करना चाहता है, वो भी उस सच का जिसे किसी का भी घर उजड़ सकता है। हर कोई सुकरात बनने की फिराक में। पिछले सोमवार को रिलीज हुई जसवंत सिंह की किताब ने अपनी रिलीज के बाद ही राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी, अगर देखा जाए तो जसवंत सिंह ने उस कहावत को सच करने की कोशिश की है, जो हम सब आम सुनते हैं कि एक हाथ से ताली नहीं बजती। ये बिल्कुल सच है कि कभी भी एक हाथ से ताली नहीं बजती, और उस तत्थ को भी उन्होंने सही साबित करने की कोशिश की है कि अगर हम किसी दूसरे की तरफ एक उंगली उठाते हैं तो शायद तीन उंगुलियां हमारी तरफ होती हैं। जसवंत सिंह ऐसा पहला शख्स नहीं जिसने जिन्ना के बारे में कुछ कहा हो, इससे पहले भाजपा के सीनियर नेता लालकृष्ण आडवानी भीं जिन्ना की वकालत कर चुके हैं। आडवानी ने तो अपने पद से त्याग पत्र देकर पार्टी को चुप करवा दिया था, लेकिन जसवंत सिंह की बारी तो पार्टी के कायदे कानून ही बदल गए। जिन्ना को लेकर बवाल