जीवन खत्म हुआ तो जीने का ढंग आया
जीवन खत्म हुआ तो जीने का ढंग आया शमा बुझ गई जब महफिल में रंग आया, मन की मशीनरी ने सब ठीक चलना सीखा, बूढ़े तन के हरेक पुर्जे में जंग आया, फुर्सत के वक्त में न सिमरन का वक्त निकाला, उस वक्त वक्त मांगा जब वक्त तंग आया, जीवन खत्म हुआ तो जीने का ढंग आया। जैन मुनि तरूणसागर जी की किताब से