नरेंद्र मोदी, मीडिया और अरविंद केजरीवाल
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से अधिक मीडिया पीड़ित कोई नहीं होगा। मोदी जितना तो बॉलीवुड में भी आपको मीडिया पीड़ित नहीं मिलेगा। ग्यारह साल तक निरंतर मीडिया के निशाने पर रहे। मीडिया का विरोधी सुर इतना कि उनको पांच इंटरव्यूओं को छोड़कर भागना पड़ा। 2012 ढलते वर्ष के साथ एक नए नरेंद्र मोदी का जन्म हुआ। यह ग्यारह साल पुराना नरेंद्र मोदी नहीं था। इस समय नए नरेंद्र मोदी का उदय हो रहा था। गुजरात की सत्ता चौथी वार संभालने की तरफ कदम बढ़ रहे थे। गुजरात की जीत उतनी बड़ी नहीं थी, जितना बड़ा उसको दिखाया गया। इसके पीछे सबसे बड़ा हाथ एपको वर्ल्ड, पीआर एजेंसी का, जिसने अपने हाथ में मीडिया रिमोट ले लिया था। 2012 की जीत बड़ी नहीं थी। इसका तथ्य देता हूं, जब नरेंद्र मोदी पहली बार गुजरात में मुख्यमंत्री बने तो उनकी सीटें 127 थी, दूसरी बात सत्ता में आए तो उनकी सीटें 117 तक घिसककर आ गई थी। अंत 2012 में यह आंकड़ा महज 116 तक आकर रुक गया। मगर मोदी का कद विराट हो गया, क्यूंकि मीडियाई आलोचनाओं के बाद भी नरेंद्र मोदी निरंतर गुजरात की सत्ता पर काबिज होने में सफल हुए। ग्यारह सा