मृणाल पांडे : जुमला जयंती पर आनंदित, पुलकित, रोमांचित वैशाखनंदन

लेखिका और पत्रकार मृणाल पांडे ने ऐसी कोई सी आतिशबाजी छोड़ दी कि मीडिया में कार्यरत लोग, जो कभी उनको पढ़ते रहे हैं या कभी उनके साथ काम करते रहे हैं, तिलमिला उठे हैं और लंबी लंबी पोस्टें लिखने लगे।

मृणाल पांडे ने एक ट्विटर पोस्ट ही तो की है। और दिलचस्प बात तो यह है कि इस पोस्ट में किसी का नाम भी नहीं लिया। इस पोस्ट में मृणाल पांडे लिखती हैं, ''जुमला जयंती पर आनंदित, पुलकित, रोमांचित वैशाखनंदन'', और साथ ही एक गधे की फोटो लगाती हैं।

असल में गधे को वैशाखनंदन भी कहा जाता है और गदर्भ भी।

जो अति गौर करने वाली बात है, वो यह है कि यह ट्वीट प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस पर किया गया है। सवाल है कि क्या उस दिन केवल प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिवस ही होता है? हां, कहना शायद मूर्खता होगी।

लेकिन, कुछ पढ़े लिखे बुद्धिजीवी मृणाल पांडे के इस ट्वीट पर लंबे लंबे चिट्ठे लिख रहे हैं। उनके व्यक्तित्व और उनकी गरिमा पर उंगली उठा रहे हैं। बड़ी हैरानी की बात है कि एक ही पोस्ट से उनकी गरिमा जमीं पर आ गई।

गधे की फोटो शेयर करना, और उसके साथ किसी का नाम भी न लिखना। आखिर किसी की भावना को चोट पहुंचा सकता है। हां, इससे उनकी भावना को चोट जरूर पहुंचेगी, जो जुमला जयंती को नरेंद्र मोदी का जन्मदिवस मानते हैं और इस पर खुश होने वाले को वैशाखनंदन, जो वह स्वयं या उनके हिसाब से प्रधानमंत्री भी हैं।

मगर, वैशाखनंदन एक कर्मठ जानवर है। जो कार्य करता रहता है, लेकिन, उसकी गनना कभी अच्छों में नहीं होती। जैसे बच्चा पढ़ाई में नालायक हो तो माता पिता ऐसे ही कह देते हैं, पढ़ेगा तो आॅफिसर बनेगा, नहीं तो गधों की जिंदगी जीनी होगी। देश के कितने नागरिक आॅफिसर बनते हैं, सोचने वाली बात है। अगर, माता पिता की बात को सही ठहराया जाए तो हम में ज्यादातर गधे ही तो हैं।

जो रोज सुबह गधे की तरह काम पर निकलते हैं, और शाम ढले थके हारे घर लौटते हैं।

ऐसा पहली बार हुआ कि गधे को गधा न कहते हुए वैशाखनंदन कहा गया, और कथित गधा बुरा मान गया। अमूमन भारत में अंधे को अंधा, और काने को काना नहीं कहा जाता, क्योंकि उसके अपमानित होने का संदेह बना रहता है। मगर, मृणाल पांडे की पोस्ट में गधे को वैशाखनंदन कहा गया, जो बहुत लोगों को बात लग गई।

प्रधानमंत्री या उनके दीवानों की इज्जत उतनी मृणाल पांडे ने नहीं उतारी, जितनी उसकी निंदा करने वालों ने वाल की खाल उतारने में कर दी।

लोग कुत्ते, बिल्लियों और अन्य जानवरों की तस्वीरें लगाते हैं। मृणाल पांडे ने वैशाखानंदन की तस्वीर लगाई तो हल्ला हो गया। लेकिन, दिक्कत यह है कि आईना बड़ा कठोर होता है, वो आपको आप से रूबरू करवाता है।

इतना ही नहीं, लेखक और पत्रकार मृणाल पांडे प्रियदर्शन का एक ट्वीट रिट्वीट करती हैं, जिसमें लिखा है कि किसी ने चर्चिल को मूर्ख कहा, गिरफ्तार हो गया। ब्रिटिश संसद में हंगामा हुआ। चर्चिल बोले, मूर्ख कहना नहीं, एक गोपनीय राज उजागर करना जुर्म है।
क्या मृणाल पांडे ने किसी की गोपनीयता उजागर कर दी है? खैर यह बात तो मृणाल पांडे की निंदा करने वाले ही जानें, लेकिन, मैं इतना दावे के साथ कहता हूं कि मृणाल पांडे के ट्वीट को डिकोड किए बिना इसको गलत सिद्ध नहीं किया जा सकता।

और डिकोड करने का अर्थ होगा कि आप जिस व्यक्ति से इसको जोड़ रहे हैं, निश्चित रूप से वो इस ट्वीट का हकदार होगा।

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