सैफ से शादी, अर्जुन से हनीमून !
कल रात आर.बाल्की निर्देशित फिल्म 'की एंड का' देखने के बाद पहला वन लाइन यह ही नहीं निकला। इसमें कोई दो राय नहीं है कि निर्देशक आर.बाल्की ने एक बेहतरीन विषय को नए तरीके से पेश किया। मगर, फिल्म का एक बड़ा हिस्सा करीना कपूर के हनीमून सा लगा।
बात बात पर चूम्मा चाटी। अंतरंग सीन । ऐसा लग रहा था कि करीना कपूर ने आर.बाल्की की फिल्म को इस शर्त पर साइन किया होगा कि उनका हनीमून समय चल रहा है, इस बात का उनको ख्याल रखना होगा।
फिल्म की शुरूआत एक शादी समारोह से होती है। इस शादी में करीना कपूर अकेली अकेली खड़ी होती है तो हर कोई उसको नाचने के लिए बुलाता है। पहली हंसी दर्शकों को तब आती है, जब वे अपने पीरियड में होने की बात चीख कर कहती है। दूसरी बार जब वो शादी के प्रति अपनी राय प्रकट करती है।
शादी में सरदार जी करीना को शराब ऑफर करते हैं, जो शायद पंजाब का वास्तविक कल्चर नहीं लेकिन बॉलीवुड का कल्पित कल्चर। शादी में बड़बोली करीना शादी के प्रति अपनी राय प्रकट कर निकलती है तो उसकी मुलाकात होती है अर्जुन कपूर से।
बस, यहां से शुरू हो जाती है दोनों की लव स्टोरी। अर्जुन कपूर (कबीर) अमीर बाप का बेटा और करीना कपूर (कीया) एक महत्वाकांशी कामकाजी महिला। जैसे कि अर्जुन कपूर पहले ही कहे चुके हैं कि फिल्म संदेश देने के लिए नहीं बनाई, बल्कि मनोरंजन के लिए बनाई है। अर्जुन कपूर सही कह रहे हैं।
अर्जुन करीना कपूर की शादी के दौरान आपको चुटीले संवाद सुनने को मिलेंगे। सिने प्रेमी इस पर गुदगुदाते हुए नजर आएंगे। एक मां का अपनी बेटी से पूछना बेटी सेक्स तो कर लिया ना। एक पिता का अपने बेटे से कहना, अगर मर्द होने पर शक हो तो अपनी चड्ढी खोलकर देख ले।
इंटरवल तक तो जीवन में मस्त चलता है। इंटरवल के बाद हाउस हस्बैंड और काममकाजी पत्नी के बीच संबंध वैसे ही हो जाते हैं, जैसे आम विवाहों में। अब शुरू होता है। आर. बाल्की का संदेश। दरअसल, आर. बाल्की कहना चाहते हैं कि वैवाहिक जीवन में उतार चढ़ाव केवल व्यक्ति की व्यक्तिगत सपनों, अहं और जीवन की भाग दौड़ के कारण आते हैं। इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि घर को कौन चला रहा है, महिला या पुरुष।
व्यावसायिक दृष्टि से तैयार फिल्मों को पूरी तरह संदेशवाहक बनाना मुश्किल होता है। इन फिल्मों में आटे में नमक सा संदेश और बाकी सारा लटरम पटरम होता है। फिल्म को देखते हुए दिमाग में ख्याल दौड़ रहे थे कि इस फिल्म को देखने के लिए बच्चे भी आए हैं, जो छह से दस के हैं, उनके दिमाग में संदेश कम, करीना कपूर और अर्जुन कपूर के रोमांस भरपूर सीन ज्यादा उतरेंगे।
सिनेमा सी तेजी से बोल्ड सीनों और दोअर्थी संवादों के सहारे आगे बढ़ रहा है। उसको देखकर भारतीय सिनेमा में पॉर्न स्टारों का कैरियर बनने की संभावनाएं अधिक होती जा रही हैं।
'की एंड का' एक मनोरंजक रोमांस भरपूर फिल्म है। अगर, यह निकाल दिया जाएं तो फिल्म दस बीस मिनट की भी नहीं बचेगी। अगर, उपरोक्त बातों के लिए आप तैयार हैं तो फिल्म देखने के लिए जाना चाहिए। मगर, फिल्म संदेशवाहक है, तो बिल्कुल नहीं सोचें।
अर्जुन कपूर करीना कपूर का अभिनय शानदार है। अन्य कलाकारों ने भी अपने किरदार बेहतरीन तरीके से निभाएं हैं। अमिताभ बच्चन और जय बच्चन की आपसी नोंक झोंक मजेदार है।
बात बात पर चूम्मा चाटी। अंतरंग सीन । ऐसा लग रहा था कि करीना कपूर ने आर.बाल्की की फिल्म को इस शर्त पर साइन किया होगा कि उनका हनीमून समय चल रहा है, इस बात का उनको ख्याल रखना होगा।
फिल्म की शुरूआत एक शादी समारोह से होती है। इस शादी में करीना कपूर अकेली अकेली खड़ी होती है तो हर कोई उसको नाचने के लिए बुलाता है। पहली हंसी दर्शकों को तब आती है, जब वे अपने पीरियड में होने की बात चीख कर कहती है। दूसरी बार जब वो शादी के प्रति अपनी राय प्रकट करती है।
शादी में सरदार जी करीना को शराब ऑफर करते हैं, जो शायद पंजाब का वास्तविक कल्चर नहीं लेकिन बॉलीवुड का कल्पित कल्चर। शादी में बड़बोली करीना शादी के प्रति अपनी राय प्रकट कर निकलती है तो उसकी मुलाकात होती है अर्जुन कपूर से।
बस, यहां से शुरू हो जाती है दोनों की लव स्टोरी। अर्जुन कपूर (कबीर) अमीर बाप का बेटा और करीना कपूर (कीया) एक महत्वाकांशी कामकाजी महिला। जैसे कि अर्जुन कपूर पहले ही कहे चुके हैं कि फिल्म संदेश देने के लिए नहीं बनाई, बल्कि मनोरंजन के लिए बनाई है। अर्जुन कपूर सही कह रहे हैं।
अर्जुन करीना कपूर की शादी के दौरान आपको चुटीले संवाद सुनने को मिलेंगे। सिने प्रेमी इस पर गुदगुदाते हुए नजर आएंगे। एक मां का अपनी बेटी से पूछना बेटी सेक्स तो कर लिया ना। एक पिता का अपने बेटे से कहना, अगर मर्द होने पर शक हो तो अपनी चड्ढी खोलकर देख ले।
इंटरवल तक तो जीवन में मस्त चलता है। इंटरवल के बाद हाउस हस्बैंड और काममकाजी पत्नी के बीच संबंध वैसे ही हो जाते हैं, जैसे आम विवाहों में। अब शुरू होता है। आर. बाल्की का संदेश। दरअसल, आर. बाल्की कहना चाहते हैं कि वैवाहिक जीवन में उतार चढ़ाव केवल व्यक्ति की व्यक्तिगत सपनों, अहं और जीवन की भाग दौड़ के कारण आते हैं। इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि घर को कौन चला रहा है, महिला या पुरुष।
व्यावसायिक दृष्टि से तैयार फिल्मों को पूरी तरह संदेशवाहक बनाना मुश्किल होता है। इन फिल्मों में आटे में नमक सा संदेश और बाकी सारा लटरम पटरम होता है। फिल्म को देखते हुए दिमाग में ख्याल दौड़ रहे थे कि इस फिल्म को देखने के लिए बच्चे भी आए हैं, जो छह से दस के हैं, उनके दिमाग में संदेश कम, करीना कपूर और अर्जुन कपूर के रोमांस भरपूर सीन ज्यादा उतरेंगे।
सिनेमा सी तेजी से बोल्ड सीनों और दोअर्थी संवादों के सहारे आगे बढ़ रहा है। उसको देखकर भारतीय सिनेमा में पॉर्न स्टारों का कैरियर बनने की संभावनाएं अधिक होती जा रही हैं।
'की एंड का' एक मनोरंजक रोमांस भरपूर फिल्म है। अगर, यह निकाल दिया जाएं तो फिल्म दस बीस मिनट की भी नहीं बचेगी। अगर, उपरोक्त बातों के लिए आप तैयार हैं तो फिल्म देखने के लिए जाना चाहिए। मगर, फिल्म संदेशवाहक है, तो बिल्कुल नहीं सोचें।
अर्जुन कपूर करीना कपूर का अभिनय शानदार है। अन्य कलाकारों ने भी अपने किरदार बेहतरीन तरीके से निभाएं हैं। अमिताभ बच्चन और जय बच्चन की आपसी नोंक झोंक मजेदार है।
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