राहुल गांधी बोल रहे हैं !

मेरी मां मुझे अक्सर कहती थी कि समय पर काम होते हैं आैर बे समय केवल सिर पटकना होता है। आज मां तो नहीं है, लेकिन उनकी कही बात मुझे याद आ रही है, क्योंकि कांग्रेस के उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी आज जगह जगह सिर जो पटक रहे हैं।

मैं साफ कर दूं कि राहुल गांधी की वापसी कांग्रेस के लिए उम्मीदजनक, आशा की किरण, डूबने वाले तिनके का सहारा आदि हो सकती है। मगर, देश के आम नागरिक की नजर में केवल मौकापरस्ती या अवसरवाद है।

इस बात में कोर्इ शक नहीं है कि कांग्रेस के उपाध्यक्ष वापसी के बाद काफी सक्रिय हो चुके हैं। मगर, इस बात का राष्ट्र के सुनहरे भविष्य से कोर्इ लेन देन नहीं है, क्योंकि अब तक सत्ता उसी परिवार के हाथों में रही है, जिस परिवार के उत्तराधिकारी राहुल गांधी हैं।

गत दिवस फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के नए अध्यक्ष गजेन्द्र चौहान की नियुक्ति के खिलाफ विरोध कर रहे छात्रों के समर्थन में खड़े होते हुए कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी ने कहा, ''लोकतांत्रिक रूप से अगर ज्यादातर छात्र यह कहते हैं कि उन्हें वह अध्यक्ष के रूप में स्वीकार नहीं है तो उनको वहां नहीं होना चाहिए।''

मैं सोच रहा हूं कि सच में ये राहुल गांधी बोल रहे हैं, जिनका स्वयं की पार्टी में निरंतर विरोध होता रहा है, जिनको हटाने के लिए पार्टी के भीतर जद्दोजहद चलता रहा है। क्या राहुल गांधी को उस समय लोकतंत्र की परिभाषा नहीं आती थी ? या केवल मौका देखकर शब्दों से खेलना राहुल गांधी ने भी सीख लिया है ?

राहुल गांधी भले ही वापसी के बाद चातुर या शब्दों से खेलने वाले नेता बनकर लौट आए हों, मगर, उनके भीतर एक सशक्त लीडर आज भी कहीं मरा पड़ा है। आप केवल शब्दों की हेरफेर से नेता नहीं बन सकते, नेता का अर्थ अगुआ होता है, जो एक भीड़ का नेतृत्व करता है, जो सामने से आने वाली चुनौतियों को भीड़ से पहले भांपता है, आैर उनसे निबटता है।

पहले संसद के सत्र के दौरान राहुल गांधी लापता हो गए थे। अब वापस लौटते हैं, तो संसद के सत्र की कार्यवाही आगे बढ़ने का नाम नहीं ले रही। इस तरह सदन का अपमान करना किसी भी नेता या पार्टी को शोभा नहीं देता। हालांकि, विपक्ष का हमेशा एेसा ही रवैया रहा है, मगर, अच्छे नेता समय के ढांचों को बदल देते हैं। उम्मीद करता हूं कि राहुल गांधी अपनी पार्टी का नेतृत्व करते हुए संसद के सत्र की कार्यवाही को बहाल करवाएंगे। मौकापरस्ती का समय नहीं, बल्कि एक अच्छा विपक्ष बनने का समय है।

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