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तुम पूछते हो तो बताता हूं, मेरे किस काम आती हैं किताबें

तुम पूछते हो तो बताता हूं, मेरे किस काम आती हैं किताबें जिन्दगी की राहों में जब अंधकार बढ़ने लगता है, जुगनूआें की तरह राहों में रोशनियां बिछाती हैं किताबें दुनिया की भीड़ में जब तन्हा होने लगता हूं मैं तो चुपके से मेरे पास आकर समय बिताती हैं किताबें सिर से इक छत का छाया जब छीनने लगता है, तो खुले आसमां की आेर नजर करवाती हैं किताबें मैं कली से फूल हो जाता हूं पल भर में  भंवरों की तरह जब मेरे आस पास गुनगुनाती हैं किताबें चिंता की कड़कती धूप जब चेतन पर करती है वार बरगद के पेड़ सी अपनी छांव में बुलाती हैं किताबें अक्कड़ जाती हैं जब बांहें किसी आलिंगन को सीने से मेरे बच्चे की तरह लिपट जाती हैं किताबें मेरी जिन्दगी निकल जाए जिसे सीखने में बस कुछ घंटों महीनों में वे सब सिखाती हैं किताबें राॅबिन, कार्नेगी, पोएलो आैर गोर्की तो चंद नाम हैं न जाने आैर कितनी हस्तियों से रूबरू करवाती हैं किताबें  हां, मैं रहता हूं इक छोटे से आशियाने में हैप्पी, मुझे भारत से रशिया फ्रांस तक घुमा लाती हैं किताबें  तुम पूछते हो तो बताता हूं, मेरे किस काम आती हैं किताबें